राग मारू, प्रथम मेहल, प्रथम सदन, चौ-पाधाय:
एक सर्वव्यापी सृष्टिकर्ता ईश्वर। सत्य ही नाम है। सृजनात्मक सत्ता का साकार रूप। कोई भय नहीं। कोई घृणा नहीं। अमर की छवि। जन्म से परे। स्वयं-अस्तित्ववान। गुरु की कृपा से:
सलोक:
हे मेरे मित्र, मैं सदैव आपके चरणों की धूल रहूँगा।
नानक आपकी शरण चाहते हैं और आपको यहीं और अभी, सदैव उपस्थित देखते हैं। ||१||
शबद:
जो लोग रात्रि के अंतिम प्रहर में पुकार सुनते हैं, वे अपने प्रभु और स्वामी का नाम जपते हैं।
उनके लिए टेंट, शामियाना, मंडप और गाड़ियां तैयार कर दी जाती हैं।
हे प्रभु, तू उन लोगों को बुलाता है, जो तेरे नाम का ध्यान करते हैं। ||१||
पिताजी, मैं अभागा हूं, धोखेबाज हूं।
मुझे आपका नाम नहीं मिला; मेरा मन अन्धा है और संदेह से भ्रमित है। ||१||विराम||
मैंने स्वाद का आनंद लिया है, और अब मेरी मेहनत सफल हुई है; यही मेरी पूर्व-निर्धारित नियति है, हे मेरी माँ।
अब मेरी खुशियाँ कम हैं और मेरे दर्द बहुत हैं। घोर पीड़ा में, मैं अपना जीवन बिताता हूँ। ||2||
प्रभु से अलग होने से भी बदतर क्या अलगाव हो सकता है? जो लोग उनके साथ एक हो गए हैं, उनके लिए और क्या मिलन हो सकता है?
उन प्रभु और स्वामी की स्तुति हो, जिन्होंने इस लीला की रचना करके इसे देखा है। ||३||
अच्छे भाग्य से यह मिलन होता है; यह शरीर अपने सुखों का आनंद लेता है।
जो लोग अपने भाग्य से भटक गए हैं, वे इस मिलन से वियोग में पीड़ित हैं। हे नानक, वे फिर से एक हो जाएं! ||४||१||
मारू, प्रथम मेहल:
माता और पिता के मिलन से शरीर अस्तित्व में आता है।
सृष्टिकर्ता उस पर उसके भाग्य का शिलालेख अंकित करता है।
इस शिलालेख के अनुसार उपहार, प्रकाश और गौरवशाली महानता प्राप्त होती है।
माया से जुड़कर आध्यात्मिक चेतना नष्ट हो जाती है। ||१||
हे मूर्ख मन, तू इतना अभिमान क्यों करता है?
तुम्हें अपने प्रभु और स्वामी की इच्छानुसार उठना और प्रस्थान करना होगा। ||१||विराम||
संसार के स्वादों को त्यागें और सहज शांति पाएं।
सभी को अपने सांसारिक घर त्यागने होंगे; कोई भी यहाँ हमेशा के लिए नहीं रह सकता।
कुछ खा लो, बाकी बचा लो,
यदि आपको फिर से दुनिया में लौटना तय है ||२||
वह अपने शरीर और शरीर को रेशमी वस्त्रों से सजाता है।
वह सभी प्रकार के आदेश जारी करता है।
अपना आरामदायक बिस्तर तैयार करके वह सो जाता है।
जब वह मृत्यु के दूत के हाथों में पड़ जाए, तो चिल्लाने से क्या लाभ? ||३||
हे भाग्य के भाईयों, घरेलू मामले उलझनों के भँवर हैं।