श्री दशम ग्रंथ

पृष्ठ - 668


ਅਨਭਿਖ ਅਜੇਵ ॥੪੦੭॥
अनभिख अजेव ॥४०७॥

ਸੰਨਿਆਸ ਨਾਥ ॥
संनिआस नाथ ॥

ਅਨਧਰ ਪ੍ਰਮਾਥ ॥
अनधर प्रमाथ ॥

ਇਕ ਰਟਤ ਗਾਥ ॥
इक रटत गाथ ॥

ਟਕ ਏਕ ਸਾਥ ॥੪੦੮॥
टक एक साथ ॥४०८॥

ਗੁਨ ਗਨਿ ਅਪਾਰ ॥
गुन गनि अपार ॥

ਮੁਨਿ ਮਨਿ ਉਦਾਰ ॥
मुनि मनि उदार ॥

ਸੁਭ ਮਤਿ ਸੁਢਾਰ ॥
सुभ मति सुढार ॥

ਬੁਧਿ ਕੋ ਪਹਾਰ ॥੪੦੯॥
बुधि को पहार ॥४०९॥

ਸੰਨਿਆਸ ਭੇਖ ॥
संनिआस भेख ॥

ਅਨਿਬਿਖ ਅਦ੍ਵੈਖ ॥
अनिबिख अद्वैख ॥

ਜਾਪਤ ਅਭੇਖ ॥
जापत अभेख ॥

ਬ੍ਰਿਧ ਬੁਧਿ ਅਲੇਖ ॥੪੧੦॥
ब्रिध बुधि अलेख ॥४१०॥

ਕੁਲਕ ਛੰਦ ॥
कुलक छंद ॥

ਧੰ ਧਕਿਤ ਇੰਦ ॥
धं धकित इंद ॥

ਚੰ ਚਕਿਤ ਚੰਦ ॥
चं चकित चंद ॥

ਥੰ ਥਕਤ ਪਉਨ ॥
थं थकत पउन ॥

ਭੰ ਭਜਤ ਮਉਨ ॥੪੧੧॥
भं भजत मउन ॥४११॥

ਜੰ ਜਕਿਤ ਜਛ ॥
जं जकित जछ ॥

ਪੰ ਪਚਤ ਪਛ ॥
पं पचत पछ ॥

ਧੰ ਧਕਤ ਸਿੰਧੁ ॥
धं धकत सिंधु ॥

ਬੰ ਬਕਤ ਬਿੰਧ ॥੪੧੨॥
बं बकत बिंध ॥४१२॥

ਸੰ ਸਕਤ ਸਿੰਧੁ ॥
सं सकत सिंधु ॥

ਗੰ ਗਕਤ ਗਿੰਧ ॥
गं गकत गिंध ॥

ਤੰ ਤਕਤ ਦੇਵ ॥
तं तकत देव ॥

ਅੰ ਅਕਤ ਭੇਵ ॥੪੧੩॥
अं अकत भेव ॥४१३॥

ਲੰ ਲਖਤ ਜੋਗਿ ॥
लं लखत जोगि ॥

ਭੰ ਭ੍ਰਮਤ ਭੋਗਿ ॥
भं भ्रमत भोगि ॥

ਬੰ ਬਕਤ ਬੈਨ ॥
बं बकत बैन ॥

ਚੰ ਚਕਤ ਨੈਨ ॥੪੧੪॥
चं चकत नैन ॥४१४॥

ਤੰ ਤਜਤ ਅਤ੍ਰ ॥
तं तजत अत्र ॥

ਛੰ ਛਕਤ ਛਤ੍ਰ ॥
छं छकत छत्र ॥

ਪੰ ਪਰਤ ਪਾਨ ॥
पं परत पान ॥

ਭੰ ਭਰਤ ਭਾਨ ॥੪੧੫॥
भं भरत भान ॥४१५॥

ਬੰ ਬਜਤ ਬਾਦ ॥
बं बजत बाद ॥

ਨੰ ਨਜਤ ਨਾਦ ॥
नं नजत नाद ॥

ਅੰ ਉਠਤ ਰਾਗ ॥
अं उठत राग ॥

ਉਫਟਤ ਸੁਹਾਗ ॥੪੧੬॥
उफटत सुहाग ॥४१६॥

ਛੰ ਸਕਤ ਸੂਰ ॥
छं सकत सूर ॥

ਭੰ ਭ੍ਰਮਤ ਹੂਰ ॥
भं भ्रमत हूर ॥

ਰੰ ਰਿਝਤ ਚਿਤ ॥
रं रिझत चित ॥

ਤੰ ਤਜਤ ਬਿਤ ॥੪੧੭॥
तं तजत बित ॥४१७॥

ਛੰ ਛਕਤ ਜਛ ॥
छं छकत जछ ॥

ਭੰ ਭ੍ਰਮਤ ਪਛ ॥
भं भ्रमत पछ ॥

ਭੰ ਭਿਰਤ ਭੂਪ ॥
भं भिरत भूप ॥

ਨਵ ਨਿਰਖ ਰੂਪ ॥੪੧੮॥
नव निरख रूप ॥४१८॥

ਚਰਪਟ ਛੰਦ ॥
चरपट छंद ॥

ਗਲਿਤੰ ਜੋਗੰ ॥
गलितं जोगं ॥


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