पहले ‘भीमराज’ शब्द का उच्चारण करके और अंत में ‘शस्त्र’ कहकर हे बुद्धिमानों! पाश के नामों को पहचानो।।३३५।।
पहले 'ताप्ती' शब्द का उच्चारण करें, फिर 'एस आयुध' जोड़ें।
हे बुद्धिमानों! प्रारम्भ में ‘ताप्ती’ कहकर फिर ‘आयुध ईश’ जोड़कर पाश नाम जाना जाता है।।३३६।।
'पति' शब्द डालने से (बाद में) बारी राज, समुन्देस, सरित, सरिध,
'वारिराज समुद्रेष', फिर 'सरितसर्धपति' और तदनन्तर 'आयुध' कहकर मन में पाश के नाम जाने जाते हैं।।३३७।।
पहले 'ब्रुन' या 'बिरहा' शब्द बोलें और फिर 'आयुध' शब्द जोड़ें।
प्रारम्भ में ‘वरुण वीरहा’ कहकर फिर ‘आयुध’ जोड़ने से पाश नाम बनते हैं।।३३८।।
'नदी-राज', 'सरिटिस' और 'समुद्र-चूहा' कहकर,
नदियों के राजा और सम्पूर्ण सरिताओं के स्वामी ‘नदी राज, सरिति और समुन्द-रात’ कहकर अन्त में ‘आयुध’ कहकर पाश का नाम जाना जाता है।।339।।
पहले 'ब्रह्म पुत्र' शब्द बोलें और फिर 'एश्वर्य' शब्द बोलें।
पहले ब्रह्मपुत्र और फिर ईश्वरास्त्र कहने से पाश के सभी नाम पहचाने जाते हैं।।340।।
पहले 'ब्रह्मा' शब्द बोलकर अंत में 'पुत्र' शब्द लगाओ।
पाश के नाम पहले ब्रह्मा कहकर, फिर पुत्र कहकर और बाद में आयुध ईश कहकर जाने।।३४१।।
पहले 'ब्रह्मा' फिर 'सुत' शब्द बोलकर
पाश के नाम मुख्यतः ‘ब्रह्मा’ शब्द के उच्चारण से तथा उसके बाद ‘सुत’ और ‘ईश्रस्त्र’ शब्द के उच्चारण से पहचाने जाते हैं।342.
सबसे पहले 'जगत पिता' शब्द का उच्चारण करें और अंत में 'सुत' शब्द का उच्चारण करें।
हे गुणवान पुरुषो! पहले 'जगतपिता' शब्द कहकर अंत में 'सुत' शब्द जोड़कर पाश के नामों को पहचानो।।३४३।।
पहले 'घाघर' शब्द का उच्चारण करें, (फिर) अंत में 'इसराष्ट्र' कहें।
प्रारम्भ में घग्घर नदी का नाम लेकर अन्त में 'ईशरास्त्र' कहने से पाश नाम बनते हैं, जिन्हें हे गुणवान लोगों! तुम पहचान सकते हो।।३४४।।
पहले 'सुरस्थि' शब्द का उच्चारण करें और (फिर) अंत में 'इसराष्ट्र' शब्द का उच्चारण करें।
हे प्रतिभावान लोगों! प्रारम्भ में ‘सरस्वती’ और अन्त में ‘ईश्रस्त्र’ का उच्चारण करने से पाश नाम बनते हैं।।३४५।।
पहले 'अमु' (नदी के लिए विशिष्ट) शब्द बोलें और फिर अंत में 'इसरास्त्र' बोलें।
प्रारम्भ में अमु नदी का नाम लेकर और अन्त में ईशस्त्र कहकर पाश के असंख्य नाम विकसित होते रहते हैं।346.
उन नदियों के नाम बताइए जो समुद्र तक जाती हैं।
समुद्र में गिरने वाली सभी नदियों का नामकरण करके फिर "ईश्रस्त्र" कहने से पाश नाम प्रचलित है।।३४७।।
(सर्वप्रथम) सभी काल के नाम लेते हुए, फिर 'आयुध' शब्द का उच्चारण करें।
काल के सब नामों का उच्चारण करके और फिर आयुध शब्द जोड़कर प्रतिभाशाली पुरुष पाश के सब नामों को पहचान लेते हैं।।348।।
पहले 'दुग्ध' (खीर) शब्द का उच्चारण करें और फिर 'निध' और 'इस' शब्द जोड़ें।
प्रथमतः ‘दिगाध’ शब्द का उच्चारण करने से तथा तत्पश्चात् ‘निधि ईश’ और ‘आयुध’ जोड़ने से पाश नाम की पहचान होती है।।३४९।।
पहले 'पाणिधि' शब्द बोलें (फिर) अंत में 'इसराष्ट्र' बोलें।
पहले ‘वारिधि’ शब्द का उच्चारण करके अन्त में ‘ईशस्त्र’ का उच्चारण करने से पाश के असंख्य नाम पहचाने जाते हैं।।350।।
पहले 'स्रोंज' शब्द बोलना, फिर 'निधि' और 'है'।
प्रथमतः ‘श्रीनज’ कहकर फिर ‘निधि ईश’ और ‘आयुध’ कहकर पाश्ह के नामों का विकास होता रहता है।।३५१।।
पहले 'छित्जज' शब्द बोलें (फिर) अंत में 'इसराष्ट्र' बोलें।
मुख्यतः ‘क्षितिज’ और अंत में ‘इशारास्त्र’ कहकर पाश के सब नामों को पहचानो।।३५२।।
पहले 'इस्त्रिन' शब्द बोलकर अंत में 'राज' शब्द बोलें।
'इस्त्रिन्' शब्द कहकर फिर 'इश्रास्त्र' कहने से पाह् का नाम ठीक-ठीक ज्ञात होता है।।३५३।।
पहले 'नराज' शब्द का उच्चारण करें, फिर 'इसराष्ट्र' शब्द जोड़ें।
हे बुद्धिमान् लोगों! प्रारम्भ में ‘नारिज’ शब्द कहकर फिर ‘ईश्रास्त्र’ शब्द जोड़कर मन में पाश के सभी नामों को पहचानो।।३५४।।
(पहले) चंचला (स्त्रियों) का नाम लेकर, (फिर) 'जा' और 'निधि' बोलो।
बुध ग्रह की स्त्रियों का नामकरण करके फिर ‘निधि ईशरास्त्र’ कहने से पाश के नाम की पहचान होती है।।३५५।।
सबसे पहले नारीण (स्त्री) का नाम लें और अंत में 'जा' जोड़ें।
'स्त्री' का नाम प्रारम्भ में रखकर फिर 'जा निधि ईशस्त्र' कहने से पाश नाम की मान्यता होती है।।३५६।।
पहले 'बनिता' (फिर) 'जा' और 'निधि' शब्द बोलकर।
प्रथमतः ‘वनिता’ शब्द का उच्चारण करके फिर ‘निधि ईशास्त्र’ का उच्चारण करके पाश के नाम पहचाने जाते हैं।।३५७।।
पहले 'इस्त्रिज' (आस्त्रिज) शब्द का उच्चारण करें, फिर 'निधि' और 'इस' शब्द बोलें।
पहले ‘इस्त्रिराज’ कहकर फिर ‘निधि ईश’ और ‘इश्रास्त्र’ कहकर बुद्धिमान लोग पाश के नाम जानते हैं।।३५८।।
पहले 'बनिता' बोलें, फिर 'निधि' और 'इस' बोलें।