(राजा को देखकर) चन्द्रमा अन्धा हो जाता था,
इन्द्र का (हृदय) धड़कता था,
शेषनाग (पृथ्वी पर) प्राणियों को पीटते थे।
चन्द्रमा उसके सामने आश्चर्यचकित होकर खड़ा हो गया, इन्द्र का हृदय जोर-जोर से धड़कने लगा, गण नष्ट हो गये और पर्वत भी भाग गये।।१०१।।
संयुक्त छंद
जगह-जगह सबने (राजा की) सफलता की चर्चा सुनी।
सभी शत्रु समूह झुक गये।
(उन्होंने) संसार में अच्छे यज्ञों का आयोजन किया
सब लोग जगह-जगह उनकी स्तुति सुनते थे और शत्रु भी उनकी स्तुति सुनकर भयभीत हो जाते थे और मानसिक पीड़ा से पीड़ित हो जाते थे, उस समय उन्होंने सुन्दर रीति से यज्ञ करके दीन-दुखियों के दुःख दूर किये।।102।।
राजा ययाति और उनकी मृत्यु का वर्णन समाप्त।
अब राजा बेन के शासन के बारे में वर्णन शुरू होता है
संयुक्त छंद
तब बेनु पृथ्वी का राजा बन गया
जिसने स्वयं किसी से दण्ड नहीं लिया था।
सभी प्राणी और मनुष्य खुश थे
तब बेन पृथ्वी का राजा हुआ, उसने कभी किसी से कर नहीं लिया, प्राणी अनेक प्रकार से सुखी थे और किसी को उस पर गर्व नहीं था ।।१०३।।
सभी प्राणी खुश दिख रहे थे।
ऐसा लग रहा था कि किसी को कोई चोट नहीं लगी है।
सारी पृथ्वी पर हर जगह अच्छी तरह से बसा हुआ था।
प्राणी अनेक प्रकार से सुखी थे, वृक्षों को भी कोई कष्ट नहीं था, पृथ्वी पर सर्वत्र राजा की प्रशंसा हो रही थी।।104।।
इस प्रकार राज्य अर्जित करके
और पूरे देश को खुशहाल बनाकर
दीन (अजीज) ने लोगों के बहुत से दुखों को नष्ट कर दिया।
इस प्रकार राजा ने अपने समस्त देश को सुखी रखते हुए दीन-दुखियों के अनेक कष्ट दूर किये और उनका तेज देखकर समस्त देवताओं ने भी उनकी सराहना की।105।
लम्बे समय तक राज्य समाज की कमाई से
और सिर पर छाता लिए हुए
उसकी ज्वाला (सर्वशक्तिमान की) ज्वाला में विलीन हो गई।
बहुत समय तक राज्य करते हुए तथा सिर पर छत्र मंडित होते हुए उस पराक्रमी राजा बेन की आत्मा का प्रकाश भगवान के परम प्रकाश में विलीन हो गया।।१०६।।
जितने भी राजा दुर्गुणों से मुक्त हुए हैं,
(उन्होंने) राज्य किया और अन्त में (परमेश्वर में) विलीन हो गये।
कौन कवि उनके नाम गिना सकेगा,
जो भी निष्कलंक राजा राज्य करके अन्त में भगवान् में ही लीन हो गये, उनका नाम कौन कवि बता सकता है? इसलिये मैंने केवल संकेत करके बताया है।।१०७।।
राजा बेन और उसकी मृत्यु के बारे में वर्णन का अंत।
अब मान्धाता के शासन का वर्णन आरम्भ होता है।
दोधक छंद
पृथ्वी पर जितने भी राजा हुए हैं,
कौन कवि उनके नाम गिना सकेगा।
अपनी बुद्धि के बल पर (उनके नाम का) जप करते हुए,
पृथ्वी पर जितने भी राजा हुए हैं, कौन कवि उनके नामों का वर्णन कर सकता है? उनके नामों का वर्णन करने से मुझे इस ग्रन्थ के बढ़ने का भय है।।१०८।।
(जब) बेन दुनिया पर राज करके चला गया,
बेन के शासन के बाद मांधाता राजा बने
जब वे इन्द्र ('बसव') लोगों से मिलने गये,
जब वह इन्द्र के देश में गया तो इन्द्र ने उसे अपना आधा स्थान दे दिया।109.
तब मान्धाता को (राजा के मन में) क्रोध आ गया।
राजा मान्धाता क्रोध से भर गए और उन्होंने अपना खड्ग हाथ में लेकर उसे चुनौती दी।
जब वह क्रोध में आकर इन्द्र को मारने लगा,
जब वह क्रोध में भरकर इन्द्र पर प्रहार करने ही वाला था, तब बृहस्पति ने तुरन्त उसका हाथ पकड़ लिया।110.
(और कहा) हे राजन! इन्द्र का नाश मत करो।