नरक निवारण', 'अघ हरण' और 'कृपा सिंध' और फिर 'अनुज' (छोटा भाई)
नरक निवारण, अघहरण और कृपासिन्धु शब्दों का उच्चारण करने तथा तत्पश्चात् क्रम से अनुज, तनुज और शस्त्र शब्दों को जोड़ने पर बाण के नाम प्राप्त होते हैं।122.
पहले 'बीघन हरण' और 'ब्याधानी दरण' (बीमारियों को दूर भगाना) शब्द बोलें।
'विघ्न-हरण और व्याधि-दलन' शब्दों का उच्चारण करके तथा फिर क्रम से 'अनुज, तनुज और शस्त्र' शब्दों को जोड़कर बाण नाम जाने जाते हैं।123.
'मकर केतु' (या) 'मकर धुज' कहें और फिर 'आयुध' शब्द जोड़ें।
‘मकरकेतु और मकरध्वज’ इन शब्दों का उच्चारण करके तथा फिर ‘आयुध’ शब्द जोड़कर बुद्धिमान लोग बाण के सम्पूर्ण नामों को जान लेते हैं।।124।।
पहले 'पुहप धनुख' (पुष्प-प्रणामित, कामदेव) 'अलि पनाच' (भौं-प्रणामित, कामदेव) का नाम बोलें।
पुष्पधन्वा, भ्रमर और पिनाक इन शब्दों का उच्चारण करके तथा फिर आयुध शब्द जोड़कर बाण के सभी नाम प्रसिद्ध हैं।।125।।
'सम्बरारि' (राक्षस शम्बर का शत्रु, कामदेव) पहले 'त्रिप्रारि अरि' (शिव का शत्रु, कामदेव) शब्द बोलें।
'शम्बराय और त्रिपुरारि' शब्दों का उच्चारण करके तथा फिर 'आयुध' शब्द जोड़कर बाण नाम प्रसिद्ध होते हैं।।१२६।।
सारंगग्रा' (धनुष से निकला बाण) 'बिरहा' (योद्धा का हत्यारा) 'बलहा' (बल का नाश करने वाला) बान,
श्री सारंग, बिरहा, बलहा, बिसिख, बिसी आदि बाण के नाम से जाने जाते हैं।127।
'बिख' से पहले नाम लें, फिर 'धर' शब्द जोड़ें।
मुख्यतः 'विश्' नाम का उच्चारण करके फिर 'धर' शब्द जोड़ने से बाण के सभी नाम ज्ञात होते हैं।128.
समुद्र के सभी नाम लें और फिर 'तनाइ' (तन्या, पुत्र, विश, समुद्र का पुत्र) शब्द जोड़ें।
सभी समुद्रों के नाम रखने पर तनै शब्द और उसके बाद धार शब्द जोड़ने पर बाण का नाम समझ में आता है।
'उद्धि' (सागर), 'सिन्धु', 'सरितेस' (नदियों के स्वामी, सागर) आदि का उच्चारण करने के बाद 'ज' और 'धर' शब्दों का उच्चारण करें।
उदधि, सिन्धु, सार्तेश्वर इन शब्दों का उच्चारण करके फिर धर शब्द जोड़कर बुद्धिमान लोग बाण (वंशीधर) का नाम जानते हैं।।१३०।।
(शब्दों) बध, नासनी, बिरहा, बिख, बिशाग्रज (तीर से पहले विश) का उच्चारण करें।
'बध्द, नाशिनीं, बीरहा, विश, बिशखग्रज' शब्दों का उच्चारण करके फिर 'धर' शब्द जोड़ने से बाण के नाम प्रसिद्ध होते हैं।131.
सभी मनुष्यों के नाम लेते हुए, फिर उनके साथ 'हा' शब्द जोड़ दें।
सब मनुष्यों के नाम लेकर फिर ‘हा’ अक्षर जोड़कर बुद्धिमान लोग बाण के सब नामों को जान लेते हैं।।132।।
कालकूट, कस्तकारी, शिवकंठी और अहि (साँप) के साथ।
'कालकूट' शब्द बोलने से, फिर 'काष्टकारी, शिवकंठी और अहि' शब्दों का उच्चारण करने से तथा फिर 'धर' शब्द जोड़ने से बाण नाम जाना जाता है।।१३३।।
(पहले) शिव का नाम बोलें और फिर 'कंठि' और 'धर' शब्द जोड़ें।
'शिव' शब्द का उच्चारण करने के बाद क्रम से कंठी और धर शब्द जोड़ने पर बाण के नामों का वर्णन होता है।।१३४।।
'बियाधि' कहकर पहले 'भिखी मुख' बोलें, फिर 'धर' शब्द बोलें।
प्रारम्भ में ‘व्याधि और विधिमुख’ शब्दों को कहकर और फिर ‘धर’ शब्द जोड़कर बुद्धिमान लोग बाण के सब नामों को पहचान लेते हैं।।135।।
खपरा, नालीक (अंडाकार) धनुख सुत, कामनाज,
खपरा (खपरैल), नलक, शानुष, सत्य आदि शब्दों का धनुष बनाकर हाथों से कान तक खींचकर छोड़े जाने वाले वे ही बाण वंश के शस्त्र हैं।।१३६।।
जो बादल के समान बरसता है और जिसकी रचना “यश” है यद्यपि वह बादल नहीं है,
फिर भी यह बादल के समान है, कोई इसका नाम रख दे और वह बादल हो जायेगा।137.
जिसके नाम विषधर, विषयी, शोक-कार्रक, करुणारि आदि हों, उसे बाण कहते हैं।
इसका नाम लेने से सभी कार्य पूरे हो जाते हैं।138.
यद्यपि इसे “अरिवेधन” और “अरिचेधन” नामों से जाना जाता है, तथापि इसका नाम “वेदनाकर” है।
वह बाण (बाण) अपनी प्रजा की रक्षा करता है और अत्याचारियों के गांवों पर वर्षा करता है।139.
जिसका नाम जदुपतारी (कृष्ण का शत्रु) बिस्नाधिपा अरि, कृष्णान्तक है।
हे बाण! आपके शत्रु, यादवों के स्वामी, जिनके नाम 'विष्णाधिपतियारी और कृष्णनाटक' हैं, आप हमें सदैव विजय दिलाएँ और हमारे सभी कार्य पूर्ण करें।।१४०।।
पहले हलधर शब्द बोलें और फिर अनुज (छोटा भाई) और अरि शब्द बोलें।
'हलधर' शब्द बोलकर फिर 'अनुज' शब्द जोड़कर और तत्पश्चात 'अरि' शब्द कहकर बुद्धिमान लोग बाण के सभी नामों को जान लेते हैं।।141।।
'रूहानय' (रोहणी, बलराम से उत्पन्न) मुसली, हाली, रेवतीस (रेवती के पति, बलराम) बलराम (प्रारंभिक शब्द) का उच्चारण करके,
'रोहिणी, मूसली, हाली, रेवतीश, बलराम और अनुज' इन शब्दों का उच्चारण करके फिर 'अरि' शब्द जोड़कर बाण के नाम प्रसिद्ध होते हैं।142.
"तालकेतु, लंगाली" शब्दों का उच्चारण करना, फिर कृषग्रज जोड़ना
अनुज शब्द का उच्चारण करने तथा फिर अरि शब्द जोड़ने से बाण नाम प्रसिद्ध होते हैं।143.
नीलाम्बर कहकर, रुक्म्यन्त कर (रुक्मी का अंत करने वाला, बलराम) पौराणिक अरि (रोम हर्षण ऋषि का शत्रु, बलराम) (प्रस्तावना)
नीलाम्बर, रुक्मन्तकर और पौराणिक अरि शब्द बोलने से फिर अनुज शब्द बोलने और अरि जोड़ने से बाण के नाम समझ में आते हैं।।१४४।।
अर्जन के सभी नाम लेकर, फिर 'सुत' (अर्थात कृष्ण) शब्द जोड़ना।
अर्जुन के सब नामों का उच्चारण करके ‘सत्य’ शब्द जोड़कर फिर ‘अरि’ बोलने से बाण के सब नाम बोले जाते हैं।।१४५।।