वीर आत्माएँ, भूत, प्रेत और पिशाच नाच रहे हैं। पिशाच, राक्षसियाँ और शिव भी नाच रहे हैं।48.
महारुद्र (शिव) की योग-समाधि भंग होने से (भयंकर युद्ध के कारण) वे जाग उठे हैं;
योगचिन्तन से बाहर आकर परम रुद्र जागृत हो गये हैं। ब्रह्मा का ध्यान भंग हो गया है और सभी सिद्धगण अत्यन्त भयभीत होकर अपने निवासों से भाग गये हैं।
किन्नर, यक्ष, विद्याधर (अन्य देवता) हँस रहे हैं
किन्नर, यक्ष और विद्याधर हंस रहे हैं और भाटों की पत्नियाँ नाच रही हैं।
भीषण युद्ध के कारण सेना भागने लगी।
लड़ाई बहुत भयानक थी और सेना भाग गई। महान नायक हुसैन भाग गए मैदान में मजबूती से खड़े थे। महान नायक हुसैन भाग गए मैदान में मजबूती से खड़े थे।
बहादुर जसवारी वहां पहुंचे।
जसवाल के वीर उसकी ओर दौड़े। घुड़सवार उसी प्रकार काटे गए, जिस प्रकार कपड़ा काटा जाता है (दर्जी द्वारा)।50.
केवल हुसैनी खान ही वहां खड़ा था।
वहाँ हुसैन जमीन में गड़े झंडे के डंडे की तरह बिल्कुल अकेले खड़े थे।
(वह) हठी योद्धा, क्रोधित होकर, जिसे बाण लग जाता है,
उस दृढ़ योद्धा ने जहाँ भी बाण मारा, वह शरीर को छेदकर निकल गया।
उस योद्धा ने अपने ऊपर सारे बाण चलाये, फिर सब उसके पास आये।
बाणों से घायल योद्धा उसके विरुद्ध एकत्र हो गए और चारों ओर से चिल्लाने लगे, 'मारो, मारो'।
(हुसैनी) हथियार और कवच अच्छी तरह चलाते थे,
उन्होंने अपने हथियार बहुत कुशलता से उठाए और उन पर प्रहार किया। अंत में हुसैन गिर पड़े और स्वर्ग चले गए।52.
दोहरा
जब हुसैन मारा गया तो योद्धा बहुत क्रोधित हो गये।
बाकी सब भाग गये, परन्तु कटोच की सेना उत्तेजित हो गयी।
चौपाई
सभी कटोची लोग गुस्से में बाहर निकल गए।
कटोच के सभी सैनिक हिम्मत और किम्मत के साथ बड़े क्रोध से भर गए।
तभी हरि सिंह ने हमला कर दिया।
तभी आगे आये हरिसिंह ने अनेक वीर घुड़सवारों को मार गिराया।54
नराज छंद
तब कटोच क्रोधित हो गए
तब कटोच के राजा क्रोधित हो गए और मैदान में डटकर खड़े हो गए।
वे अपने हाथ इधर-उधर घुमाते थे
उसने (शत्रु के लिए) मृत्यु का नारा लगाते हुए अपने अस्त्रों का प्रयोग अचूक रूप से किया।55.
तब चंदेल राजपूत (जो हुसैनी की सहायता के लिए आये थे) भी सतर्क हो गये।
(दूसरी ओर से) चंदेल राजा क्रोधित हो गया और उसने क्रोध में आकर सब पर आक्रमण कर दिया।
जितने भी (विरोधी आगे आये) मारे गये।
जो लोग उसका सामना करने आये वे मारे गये और जो पीछे रह गये, वे भाग गये।56.
दोहरा
(संगीता सिंह) अपने सात साथियों के साथ मारे गये।
जब दर्शो को इसकी जानकारी हुई तो वह भी खेत में आया और मर गया।
तभी हिम्मत युद्ध के मैदान में आया।
उसे कई चोटें आईं और उसने अपने हथियार कई अन्य लोगों पर मारे।58.
उसका घोड़ा वहीं मारा गया, लेकिन हिम्मत भाग गया।
कटोच के योद्धा बड़े क्रोध के साथ अपने राजा कृपाल का शव ले जाने के लिए आये।
रसावाल छंद
योद्धा युद्ध में लगे हुए थे
योद्धा प्रतिशोध लेने में व्यस्त हैं, वे तलवार का सामना करते हुए शहीद हो जाते हैं।
कृपा राम सूरमा ने युद्ध लड़ा।
योद्धा कृपाराम ने इतना भयंकर युद्ध लड़ा कि सारी सेना भागती नजर आई।
(वह) एक बड़ी सेना को रौंदता है
वह बड़ी सेना को रौंदता है और निर्भय होकर अपने हथियार चलाता है।