सूर्य के सब नामों का उच्चारण करके तथा फिर ‘सुत और आस्तर’ शब्दों को जोड़कर बुद्धिमान् लोग मन में पाश के सब नामों को जान लेते हैं।।287।।
पहले भानु, दिवाकर, दिन्ध शब्द बोलें और फिर 'सुत' और 'अस्त्र' शब्द जोड़ें।
भानु, दिवाकर और दिनाधि इन शब्दों को कहकर तथा फिर सुत और अस्तेर इन शब्दों को बोलकर बुद्धिमान लोग पाश के सभी नामों को जान लेते हैं।।288।।
दिनमणि, दिवकारी और रैन्ह (शब्द) बोलते हुए फिर 'सुत' और 'अस्त्र' शब्द जोड़ें।
“दिनमणि, दिवाकर और रैन्हा” शब्दों के बाद सुत और शास्त्र शब्दों का उच्चारण करके बुद्धिमान लोग मन में पाश का नाम जानते हैं।।289।।
दिनों के नाम बोलते हुए (फिर) 'मणि' शब्द का उच्चारण करें।
‘दिन’ नाम बोलकर फिर ‘मणि’ और ‘सुतअस्तर’ शब्द जोड़ने से पाश के सभी नाम ज्ञात हो जाते हैं।।२९०।।
दिवकारी, दीनपति, निश्री (निसारी) और दिननायक (शब्द) कहने से।
"दिवाकर, दीनपति, नियाशारी और दिन-नायक" के बाद "सुत अस्तर" जोड़ने से पाश के नाम ज्ञात होते हैं।291।
सूर्य के सभी नाम लेकर, 'सुत' और 'अस्त्र' शब्द जोड़ें।
सूर्य के सभी नामों का उच्चारण करने और फिर “सुत अस्त्र” जोड़ने से पाश के सभी नाम ज्ञात हो जाते हैं।292.
पहले 'जम' शब्द बोलें और फिर 'शास्त्र' शब्द बोलें।
पहले ‘यम’ शब्द बोलकर फिर ‘शस्त्र’ शब्द जोड़कर मन में पाश के नाम पहचाने जाते हैं।
पहले 'बैवस्तु' (सूर्यपुत्र यम) शब्द बोलें (फिर) अंत में 'आयुध' शब्द जोड़ें।
प्रारम्भ में ‘वैवस्वत’ कहकर अन्त में ‘आयुध’ शब्द जोड़कर पाश के सभी नामों का मन में बोध होता है।।294।।
पहले 'काल' शब्द का जाप करो, फिर 'अस्त्र' शब्द का जाप करो।
प्रारम्भ में ‘काल’ शब्द बोलकर अन्त में ‘अस्तर’ शब्द लगाने से पाश के असंख्य नाम विकसित होते रहते हैं।295.
पहले 'पितृ राज' शब्द का उच्चारण करें, फिर 'अस्त्र' शब्द का उच्चारण करें।
प्रारम्भ में ‘पितृ-राज’ शब्द बोलकर फिर ‘अस्तर’ शब्द जोड़ने से पाश के सभी नाम पहचाने जाते हैं।।296।।
पहले 'दण्डी' शब्द बोलें और अंत में 'अस्त्र' शब्द बोलें।
पहले ‘धण्डि’ शब्द का उच्चारण करके और फिर अंत में ‘अस्तर’ शब्द लगाकर बुद्धिमान लोग पाश के असंख्य नामों को पहचानते हैं।।297।।
पहले 'जमुना भारत' शब्द बोलें और फिर 'आयुध' शब्द बोलें।
‘यमुना-भारत’ कहकर और फिर ‘आयुध’ शब्द जोड़कर बुद्धिमान लोग अपने हृदय में पाश के सब नामों को जान लेते हैं।।२९८।।
'जमुना' के सभी नाम लेकर, फिर 'भारत' और 'अस्त्र' शब्द जोड़ दिए।
यमुना के सब नाम कहकर और ‘भरत अस्त्र’ जोड़कर बुद्धिमान लोग पाश के सब नाम जान लेते हैं।।299।।
पहले 'पितृ' शब्द का उच्चारण करें, फिर 'ईसर' शब्द का उच्चारण करें।
प्रारम्भ में ‘पितृ’ (यम) कहकर फिर ‘ऐशर’ शब्द जोड़कर बुद्धिमान लोग मन में पाश के सभी नामों को जान लेते हैं।।३००।।
(पहले) सभी पितरों का नाम लेकर, फिर अंत में 'नायक' शीर्षक बोलें।
सब पितरों के नाम बोलकर फिर ‘नायक’ शब्द जोड़कर मन में पाश के नाम जाने जाते हैं।।३०१।।
(पहले) 'जगत' के सभी नाम लो (फिर) 'घिक' और 'अस्त्र' शब्द जोड़ो।
जगत् के सब नामों का उच्चारण करके और फिर ‘संहारक अस्तर्’ शब्द जोड़कर बुद्धिमान् लोग पाश के असंख्य नामों को जानते हैं।।३०२।।
रिपु खण्डन' 'दाल दहनी' और 'शत्रु तपनि' (आदि) जो नाम हैं,
रिपुखण्डन, दलदाहक, शत्रुतापक आदि ये सब पाकाश के नाम हैं, जिनसे कोई भी अपने को नहीं बचा सकता।303।
पहले 'रिपु' शब्द बोलें, फिर 'ग्रसित्नि' शब्द बोलें।
प्रारम्भ में ‘रिपु’ शब्द का उच्चारण करके फिर ‘ग्रस्तां’ शब्द का उच्चारण करने से यम-पाश के सभी नाम ज्ञात हो जाते हैं।।३०४।।
पहले 'खल' शब्द बोलकर बाद में 'खानदानी' शब्द जोड़ें।
प्रारम्भ में ‘खल’ शब्द बोलकर और अन्त में ‘खण्डन’ शब्द बोलकर यम-पाश के नाम पहचाने जाते हैं।।३०५।।
दाल दहानी', 'रिपु ग्रासिटनी' और 'शत्रु तपनि'
“दलदाहन, रिपु-ग्रस्तानी, शत्रुतापनि, आदि” ये सब काल-पाश के नाम हैं, जिनसे कोई भी बच नहीं सकता।।306।।
पहले 'ja' का उच्चारण करें और अंत में 'mi' का उच्चारण करें।
प्रारम्भ में “जा” शब्द बोलने से तथा अन्त में “मी” शब्द जोड़ने से “जामी” शब्द बनता है, जिसका अर्थ पाश होता है।।३०७।।
सर्वप्रथम 'बरुनी दिशा' (वर्ण की दिशा, पश्चिम) बोलें, फिर अंत में 'एस्राष्ट्र' शब्द का उच्चारण करें।
प्रारम्भ में ‘दिशा, वारुणी’ शब्द बोलकर और अन्त में ‘ऐश्रःतु’ शब्द बोलकर पाश के असंख्य नामों का विकास होता रहता है।।३०८।।
पहले 'पच्छम' शब्द बोलें और फिर 'ईसर' शब्द बोलें।
पहले पश्चिम शब्द बोलकर फिर ऐशर शब्द और तत्पश्चात आयुध शब्द जोड़कर पाश नाम का बोध होता है।।३०९।।
पहले ठगों के नाम लीजिए, फिर 'आयुध' शब्द जोड़िए।
ठगों के नामों को प्रारम्भ में रखकर फिर आयुध शब्द का उच्चारण करने से पाश के सभी नाम मन में पहचाने जाते हैं।।३१०।।
पहले 'बति' शब्द का उच्चारण करें, फिर 'ह' और 'अस्त्र' शब्द बोलें।