कहीं ऋग्वेद पढ़ा जा रहा था तो कहीं अथर्ववेद
कहीं ब्रह्मसूत्र का प्रवचन था तो कहीं विष्णु के रहस्यों की चर्चा थी।2.273।
कहीं दस अवतारों के विषय में प्रवचन हो रहा था।
वहाँ चौदह विद्याओं में निपुण व्यक्ति थे।
वहाँ तीन बहुत विद्वान ब्राह्मण थे,
जो संसार से अनासक्त थे और केवल एक प्रभु पर विश्वास रखते थे।3.274.
कहीं कोकसर तो कहीं धरम-नीति पढ़ी जा रही थी
कहीं न्याय शास्त्र तो कहीं क्षत्रिय-धर्म का अध्ययन हो रहा था
कहीं धर्मशास्त्र तो कहीं खगोलशास्त्र का अध्ययन हो रहा था
कहीं-कहीं भक्तिपूर्वक युद्ध-देवी की स्तुति गायी जा रही थी।४.२७५।
कहीं प्राकृत भाषा तो कहीं नाग भाषा पढ़ाई जा रही थी
कहीं सहस्कृति तो कहीं संस्कृत (या ज्योतिष) की चर्चा हो रही थी
कहीं संगीत शास्त्र के गीत गाये जाते थे
कहीं-कहीं यक्षों और गन्धवों की विद्याओं में अंतर स्पष्ट किया जा रहा था।५.२७६.
कहीं न्याय शास्त्र, कहीं मीमांसा शास्त्र तो कहीं तारक शास्त्र (तर्कशास्त्र) का अध्ययन किया जाता था
कहीं-कहीं अग्नि-शाखाओं और ब्रह्म-अस्त्रों के मन्त्र पढ़े जा रहे थे
कहीं योग शास्त्र तो कहीं सांख्य शास्त्र पढ़ा गया
चौदह विद्याओं के खजाने का चक्र अध्ययन किया गया।६.२७७।
कहीं पतंजलि का महाभाष्य तो कहीं पाणिनि की कोमुदी का अध्ययन किया गया
कहीं सिद्धांत कोमुदी, कहीं चंद्रिका तो कहीं सारसुत का पाठ हुआ
कहीं-कहीं वैशेषिक सहित अन्य व्याकरणिक कृतियों पर भी चर्चा की गई
कहीं पाणिनि व्याकरण प्राक्रिया पर काशिक भाष्य का मंथन हो रहा था।७.२७८।
कहीं किसी ने मनोरमा पुस्तक का अध्ययन किया
कहीं कोई संगीतमय ढंग से गा रहा था और नाच रहा था
कहीं किसी ने सभी हथियारों की शिक्षा पर विचार किया
कहीं कोई युद्ध विद्या का अध्ययन करके चिंता दूर कर रहा था। 8.279.
कहीं किसी ने गदा युद्ध का प्रदर्शन किया
कहीं किसी को तलवारबाजी में पुरस्कार मिला
कहीं-कहीं परिपक्व विद्वानों ने बयानबाजी पर प्रवचन आयोजित किए
कहीं-कहीं तैराकी की कला और वाक्यविन्यास पर चर्चा की गई।९.२८०.
कहीं गरुड़ पूर्ण का अध्ययन हो रहा था
कहीं-कहीं प्राकृत में शिव की स्तुति रची जा रही थी
कहीं ग्रीक, अरबी और वीर आत्माओं की भाषा सीखी जा रही थी
कहीं-कहीं फ़ारसी और युद्ध की नई कला का अध्ययन किया जा रहा था।10.281.
कहीं कोई हथियार से हुए घावों के उपचार की व्याख्या कर रहा था
कहीं-कहीं तो हथियारों से निशाना साधा जा रहा था
कहीं ढाल के कुशल प्रयोग का वर्णन किया जा रहा था
कहीं कोई वेदान्त पर प्रवचन दे रहा था और धन पुरस्कार प्राप्त कर रहा था।११.२८२.
कहीं नृत्य कला और ध्वनि के रहस्य का वर्णन हो रहा था
कहीं-कहीं पुराणों और सेमेटिक ग्रंथों पर प्रवचन हो रहे थे
कहीं-कहीं विभिन्न देशों की वर्णमालाएं और भाषाएं सिखाई जा रही थीं
कहीं-कहीं विभिन्न देशों में प्रचलित पूजा-पद्धति को महत्व दिया जा रहा था।12.283.
कहीं शेरनी बछड़ों से अपना दूध चुसवा रही थी
कहीं शेर गायों के झुंड को चरा रहा था,
उस जगह पर साँप बिना किसी क्रोध के रेंग रहा था
कहीं-कहीं विद्वान पंडित अपने प्रवचन में शत्रु की प्रशंसा कर रहे थे।13.284।
दुश्मन और दोस्त और दुश्मन एक जैसे हैं
एक साधारण क्षत्रिय और एक सार्वभौमिक एक समान हैं।