'रुख' शब्द को प्रारम्भ में तथा 'प्रस्थनी' शब्द को पीछे रखने से तुपक के सभी नाम बिना किसी भेद के बन जाते हैं।693.
सबसे पहले 'उत्ताभुजा' शब्द का उच्चारण करें।
फिर मन में 'पृथ्वीस्थानी' शब्द पर विचार करें।
इसे सभी बूंदों का नाम समझो।
प्रारम्भ में ‘उत्भुज’ शब्द का उच्चारण करके तथा मन में ‘प्रस्थानि’ शब्द का चिन्तन करके, तुपक के सभी नामों को बिना किसी भेद के समझो।।694।।
सर्वप्रथम 'तरु सुत' श्लोक का जाप करें।
फिर 'पृष्ठानी' शब्द का उच्चारण करें।
इसे सब तुपक के नाम के रूप में लें।
प्रारम्भ में ‘तरसु’ शब्द बोलकर फिर ‘प्रस्थानि’ शब्द जोड़कर तुपक नामों को बिना किसी भेद के समझो।
पहले 'पत्री' शब्द बोलो।
फिर 'पृस्थानि' शब्द रखें।
इसे सभी बूंदों का नाम समझो।
तुपक के सभी नामों को प्रारम्भ में ‘पत्री’ शब्द लगाकर और पीछे ‘प्रस्थनी’ शब्द जोड़कर समझो, और उसमें कोई रहस्य मत समझो।।696।।
अधिचोल
सर्वप्रथम 'धराधार' (पृथ्वी पर आधारित सेतु) शब्द का जाप करें।
फिर इसमें 'प्रिस्थानि' शब्द जोड़िए।
सब लोगों के मन में इसी बूँद का नाम विचारो।
प्रारम्भ में ‘धरआधार’ शब्द बोलो, फिर ‘प्रस्थानि’ शब्द जोड़ दो और हे बुद्धिमान् पुरुषों! सम्पूर्ण तुपक को बिना किसी भेद के समझ लो।
दोहरा
पहले 'धरराज' (पृथ्वी पर सुंदर पंख) का जाप करें और फिर 'पृथ्वीनि' शब्द जोड़ें।
तुपक नाम के प्रारम्भ में ‘धरराज’ शब्द रखकर फिर ‘प्रस्थानि’ शब्द जोड़ने से बनते हैं, हे बुद्धिमान् पुरुषों! इन्हें अपने मन में समझो।
पहले 'धरा' शब्द का उच्चारण करें, फिर अंत में 'नायक' शब्द का उच्चारण करें।
पहले ‘धरा’ शब्द बोलकर फिर अंत में ‘नायक’ और ‘प्रस्थ’ शब्द जोड़ने से तुपक (बंदूक) का नाम ठीक से समझ में आता है।
चौपाई
सबसे पहले 'धरा' शब्द का उच्चारण करें।
फिर इसमें 'हीरो' शब्द जोड़िए।
फिर 'पृष्ठानि' शब्द बोलें।
पहले ‘धारा’ शब्द बोलो, फिर ‘नायक’ शब्द बोलो और फिर ‘प्रस्थनी’ शब्द बोलो, तुपक के सभी नामों को समझो।
सबसे पहले 'धरनी' शब्द लिखिए।
इसके अंत में 'राव' शब्द का उच्चारण करें।
फिर 'पृस्थानि' शब्द रखें।
पहले ‘धरणी’ शब्द का उच्चारण करके, फिर ‘राव’ शब्द का उच्चारण करके और फिर ‘प्रस्थानि’ शब्द जोड़कर, तुपक के सम्पूर्ण नामों को समझो ।।७०१।।
सबसे पहले 'धरनी पति' पद का जाप करें।
फिर 'प्रिस्थानि' शब्द जोड़ें।
सब लोगों के मन में इसी बूँद का नाम विचारो।
आदि में धरणीपति शब्द रखकर पीछे प्रस्थानी शब्द जोड़कर तुपक के सभी नामों को बिना किसी भेद के समझो।।७०२।।
पहले 'धाररत' (बृच्छ) पद का उच्चारण करें।
फिर 'प्रिस्थानि' शब्द जोड़ें।
मन में एक बूँद का नाम समझो।
प्रारम्भ में ‘धारारात्’ शब्द कहकर फिर ‘प्रस्थानि’ शब्द जोड़कर तू तुपक के नामों को समझ, उसमें लेशमात्र भी मिथ्या नहीं है।।७०३।।
शुरुआत में फिर से 'धरराज' (बृच्छ) का जाप करें।
फिर इसमें 'प्रिस्थानि' जोड़ें।
इन सबका नाम 'टुपक' रखा जाएगा।
प्रारम्भ में ‘धरराज’ शब्द बोलकर फिर उसके साथ ‘प्रस्थनी’ शब्द जोड़ने से तुपक नाम का बोध होता है, जिसकी सभी लोग स्तुति करते हैं।।७०४।।
सबसे पहले 'धरा' शब्द का उच्चारण करें।
(फिर) अंत में 'पृष्ठानि' शब्द लगाओ।
सभी इसे तुपक का नाम मानते हैं।
‘धरा’ शब्द बोलकर अंत में ‘प्रस्थानि’ शब्द जोड़ दो, फिर बिना किसी भेद के तुपक नामों को समझो।।७०५।।