ये शब्द सुनकर वह स्त्री क्रोधित हो गई।
यह सब सुनकर वह क्रोधित हो उठी और सोचने लगी,
(मैंने कहना शुरू किया, मैं) अब मैं चोर चोर कह कर शोर मचा रहा हूँ
दोहिरा
(उसने) 'तुम इतना गुस्सा क्यों हो रहे हो, मेरे साथ खुशी-खुशी सेक्स करो।
'मेरी आँखें तुम्हें आमंत्रित कर रही हैं, क्या तुम नहीं समझ सकते कि वे क्या प्रकट कर रही हैं।' (56)
(राजा) 'सुनो, ध्यान से सुनो, मैं तुम्हारी ओर नहीं देख रहा हूँ,
'क्योंकि नज़रें अलगाव की भावना पैदा करती हैं।'(57)
छपे छंद
'पुजारियों को दान दिया जाता है और नीच सोच वाले लोगों को तिरस्कार भरी नजरों से देखा जाता है।
'मित्रों को राहत मिलती है और शत्रुओं के सिर पर तलवार से वार होता है।
'कोई भी कार्य जनता की राय को ध्यान में रखकर नहीं किया जाता।
'किसी को किसी दूसरे की पत्नी के साथ बिस्तर पर जाने का सपना भी नहीं देखना चाहिए।
'जब से गुरु ने मुझे ये पाठ पढ़ाया है,
दूसरे की वस्तु मेरे लिए पत्थर के समान है और दूसरे की पत्नी मेरे लिए माता के समान है।'(58)
दोहिरा
राजा की बातें सुनकर वह और अधिक क्रोधित हो गयी।
और “चोर, चोर” चिल्लाकर उसने अपनी सब सहेलियों को जगा दिया।(५९)
'चोर-चोर' की आवाज सुनकर राजा डर गया।
वह अपना होश खो बैठा और अपने जूते और रेशमी लबादा वहीं छोड़कर भाग गया।(60)
शुभ चरित्र का इक्कीसवाँ दृष्टान्त - राजा और मंत्री का वार्तालाप, आशीर्वाद सहित सम्पन्न। (21)(439)
दोहिरा
जब राजा ने 'चोर-चोर' की पुकार सुनी तो वह भयभीत हो गया।
वह अपने जूते और रेशमी लबादा छोड़कर भाग गया।(1)
चोर की आवाज सुनकर सभी जाग गए और राजा को भागने नहीं दिया।
और पांच या सात फीट के भीतर उन्होंने उसे पकड़ लिया।(2)
चौपाई
'चोर चोर' शब्द सुनकर सब भागे
अन्य लोग भी चोर की आवाज सुनकर तलवारें लेकर बाहर आ गये।
वे चुनौती देने लगे और कहने लगे कि वे तुम्हें जाने नहीं देंगे
लोग उस पर चिल्लाने लगे और कहने लगे कि उसे नरक में भेज देना चाहिए।(3)
दोहिरा
उसे बायीं, दायीं और सभी दिशाओं से घेर लिया गया।
राजा ने प्रयास तो किया लेकिन उसे भागने का कोई रास्ता नहीं मिला।(4)
लोगों ने उसकी दाढ़ी खींची और उसकी पगड़ी उतार दी
उन्होंने उसे चोर-चोर कहकर लाठियों से पीटा।(5)
लाठियों की मार से वह गिरकर बेहोश हो गया।
लोगों ने असली मामला समझे बिना ही उसे रस्सी से बांध दिया।(6)
जब सिख लोग वहां पहुंचे तो वे लोग लात-घूंसे चला रहे थे।
महिला चिल्लाई, “भाई, भाई,” लेकिन उसे बचा नहीं सकी।(7)
चौपाई
उसके सिर पर कई जूते मारे गए
उसके चेहरे पर जूते मारे गए तथा हाथ कसकर बांध दिए गए।
उसे जेल भेज दिया गया
उसे जेल में डाल दिया गया, और वह स्त्री अपने बिस्तर पर वापस आ गई।(८)
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इस प्रकार धोखे से राजा मुक्त हो गया तथा उसके भाई को जेल भेज दिया।
(कोई) सेवक रहस्य नहीं समझ सका