जब राजा देवताओं के धाम में पहुंचे तो सभी योद्धा प्रसन्न हुए और बोले, "हम सभी काल (मृत्यु) के मुंह से बच गए हैं,"
जब चन्द्र, सूर्य, कुबेर, रुद्र, ब्रह्मा आदि सभी श्रीकृष्ण के पास गये,
जब चन्द्र, सूर्य, कुबेर, रुद्र, ब्रह्मा आदि भगवान के धाम में पहुँचे, तब देवताओं ने आकाश से पुष्प वर्षा की और विजय का बिगुल बजाया।1717।
बचित्तर नाटक में कृष्णावतार में "युद्ध में खड़ग सिंह की हत्या" शीर्षक अध्याय का अंत।
स्वय्या
तब तक बलरामजी ने अत्यन्त क्रोध में आकर बाण चलाकर बहुत से शत्रुओं का वध कर दिया।
उसने अपना धनुष खींचकर अनेक शत्रुओं को निष्प्राण कर दिया और उन्हें भूमि पर गिरा दिया
उसने कुछ शक्तिशाली लोगों को अपने हाथों से पकड़ लिया और उन्हें धरती पर गिरा दिया
उनमें से जो लोग अपनी शक्ति से बच गये, वे युद्ध-क्षेत्र छोड़कर जरासंध के सामने आ गये।1718।
चौपाई
(वे) जरासंध के पास गए और पुकारा
जरासंध के सामने आकर उन्होंने कहा, "खड़ग सिंह युद्ध में मारा गया है।"
उसके मुँह से ऐसी बातें सुनकर
उनकी बातें सुनकर उसकी आंखें क्रोध से लाल हो गईं।
(राजा ने) अपने सभी मंत्रियों को बुलाया
उसने अपने सभी मंत्रियों को बुलाया और कहा,
युद्ध में खड़ग सिंह मारा गया।
खड़ग सिंह युद्ध भूमि में मारा गया है और उसके जैसा कोई दूसरा योद्धा नहीं है।1720.
खड़ग सिंह जैसा कोई नायक नहीं
"खड़ग सिंह जैसा कोई दूसरा योद्धा नहीं है, जो उनकी तरह लड़ सके
अब आप ही बताइये क्या चाल चलनी चाहिए?
अब आप मुझे बता सकते हैं कि क्या किया जाना चाहिए, और अब किसे जाने का आदेश दिया जाना चाहिए?”1721.
जरासंध को संबोधित मंत्रियों का भाषण:
दोहरा
अब सुमति नामक मंत्री ने राजा जरासंध से कहा,
“अब शाम हो गई है, इस समय कौन लड़ेगा?”1722.
जब मंत्री ने यह कहा तो राजा चुप रहा।
उधर तो मंत्री की बात सुनकर राजा चुपचाप बैठ गये और इधर बलराम वहाँ पहुँच गये जहाँ कृष्ण बैठे थे।।१७२३।।
बलराम का कृष्ण को सम्बोधित भाषण:
दोहरा
कृपया निधान! यह किसका बेटा था जिसका नाम खड़ग सिंह था?
"हे दया के सागर! ये राजा खड़ग सिंह कौन थे? मैंने आज तक ऐसा पराक्रमी वीर नहीं देखा।"1724.
चौपाई
तो इसकी कहानी पर प्रकाश डालिए
“अतः आप मुझे उसका वृत्तान्त सुनाकर मेरे मन का भ्रम दूर कर दीजिए
इस प्रकार जब बलराम ने कहा
जब बलराम ने यह कहा तो कृष्ण उनकी बात सुनकर भी चुप रहे।1725.
कृष्ण की वाणी:
सोर्था
तब श्री कृष्ण ने अपने भाई से विनम्रतापूर्वक कहा,
तब श्रीकृष्ण ने कृपापूर्वक अपने भाई से कहा, "हे बलराम! अब मैं राजा के जन्म की कथा कहता हूँ, उसे सुनो।
दोहरा
खत मुख (भगवान कार्तिके) राम (लक्ष्मी) गणेश, सिंगी ऋषि और घनश्याम (काला विकल्प)
कार्तिकेय (छह मुख वाले), राम, गणेश, श्रृंगी और घनश्याम इन नामों के प्रथम अक्षर लेने पर इनका नाम खड़ग सिंह रखा गया।1727।
खड़ग (तलवार) 'रामायण' (सुंदर शरीर) 'गर्मिता' (गरिमा) 'सिंह नाद' (शेर की दहाड़) और 'घमसन' (भयंकर युद्ध)
इन पाँच अक्षरों के गुणों को प्राप्त करके यह राजा बलवान हो गया है।।1728।।
छपाई
“शिव ने उसे युद्ध में विजय की तलवार दी