'क्योंकि उसमें स्वतंत्र विश्वास होता है और वह बुद्धि से संपन्न होता है।'(15)
वह (राजकुमार) बुद्धिमान था, वह उन बीजों को अपने घर ले आया।
और एक और पूरा चना का दाना भी प्राप्त किया।(16)
यह कल्पना की गई थी कि वह बीज बोएगा,
और इसी से उसकी बुद्धि का अंदाजा लगाया जा सकता है।(17)
उसने दोनों बीज मिट्टी में बो दिए,
और अल्लाह की कृपा चाही।(18)
छह महीने का समय बीत चुका था, जब,
नये मौसम के आगमन के साथ ही हरियाली छा गई।(19)
वह दस वर्षों तक यह प्रक्रिया दोहराता रहा।
और उनकी देखभाल करके उपज को बढ़ाया।(20)
बीजारोपण को दस, बीस बार दोहराकर,
उसने अनाज के ढेर जमा कर लिये।(21)
ऐसा करके उसने काफी धन इकट्ठा कर लिया।
जो अनाज के उन टीलों के माध्यम से आया था।(22)
इस धन से उसने दस हजार हाथी खरीदे।
जो पहाड़ों के समान ऊँचे थे और उनकी चाल नील नदी के जल के समान थी।(23)
इसके अलावा उसने पाँच हज़ार घोड़े भी खरीदे।
जिनके पास सोने की काठी और चांदी के तामझाम थे।(२४)
तीन हजार ऊँट जो उसने खरीदे थे,
उन सबकी पीठ पर सोने-चाँदी से भरे थैले थे।(25)
एक बीज से मिलने वाली मौद्रिक ताकत के साथ,
उन्होंने दिल्ली नामक एक नया शहर बसाया।(26)
और मूंग के बीज से जो पैसा आता था उससे मूंग का शहर फलता-फूलता था,