जो स्थिति को नहीं जानता वह मूर्ख है। 49.
यह कहते हुए सभी पठान दौड़े चले आये।
और वे अराजकता से भरे हुए शरीरों के साथ समूहों में आये।
जहाँ शम्सदीन की हत्या लछमन ने की थी,
सारी सेना उस स्थान पर एकत्रित हुई।
लोदी, सूर (पठानों की एक जाति) नियाज़ी
वे अपने साथ अच्छे योद्धाओं को ले गये।
(इसके अलावा) दाओज़ाई ('दाउदज़ई' पठानों की एक शाखा) रुहेले,
अफ़रीदी (पठान) भी अपने घोड़ों को नचाते थे। 51.
दोहरा:
बावन खेल के सभी पठान (बावन कुलों के पठान) वहीं गिर पड़े।
(वे) विभिन्न कपड़ों से सजाए गए थे, जिनकी गिनती नहीं की जा सकती। 52.
चौबीस:
घुड़सवार गेट पर नहीं रुक रहे थे।
योद्धा जहां घोड़े नाच रहे थे।
वहाँ बाणों का तूफान आया,
(जिस कारण) वह हाथ फैलाने पर भी नहीं देख सकता था। 53.
इस प्रकार शहर में शोर मच गया। (दिखाई देने लगता है)
मानो सूरज उल्टा हो गया हो,
या जैसे समुद्र का पानी बढ़ जाता है (अर्थात ज्वार आ गया है)
या जैसे मछलियाँ कूद रही हैं और मर रही हैं। 54.
नदी की धारा में नाव की तरह
दूर जा रहा है और कोई संरक्षक नहीं है।
शहर की हालत ऐसी हो गई।
(ऐसा प्रतीत हो रहा था) मानो शची इन्द्र के बिना हो गई हो।
दोहरा:
इस तरफ से सभी छत्रियां चढ़ गईं और उस तरफ से पठान चढ़ गए।
हे संतो! पूर्ण मन से सुनो, जिस प्रकार (सारी मतवाली ध्वनि) समाप्त हो गई। 56।
भुजंग प्रयात श्लोक:
जब पठानों की सेना धनुष बाण लेकर आई
अतः यहां से सभी छत्री योद्धा क्रोधित होकर ऊपर आ गए।
दोनों ओर से ऐसे भारी बाण चले
जो चीज़ शरीर में अटकी हुई है, उसे निकाला नहीं जा सकता। 57.
तब लक्ष्मण कुमार क्रोधित हो गए।
मुखी ('बानी') ने हथियारों से पठानों को मार डाला।
कहीं वीर रणभूमि में यूं ही मरे पड़े थे
जैसे इन्द्र की ध्वजाएँ कट गईं। ५८।
(युद्ध भूमि में लेटे हुए वे ऐसे लग रहे थे) मानो मलंग भांग पीकर लेटा हो।
कई हाथियों के सिर कहीं-कहीं गिरे थे।
कहीं-कहीं युद्ध के मैदान में मारे गए ऊँट भी परिचित लग रहे थे।
कहीं युद्ध भूमि में नंगी तलवारें और तलवारें लहरा रही थीं। ५९।
कहीं बाणों से कटे हुए (वीर) इस प्रकार भूमि पर पड़े थे
जैसे ही किसान ने बुवाई के लिए गन्ने की कटाई (गुच्छे) कर ली है।
पेट में कहीं डंक ऐसे चमक रहा था,
जैसे जाल में फँसी मछली आनन्द मना रही हो। ६०।
युद्ध के मैदान में कहीं-कहीं फटे पेट वाले घोड़े पड़े थे।
कहीं-कहीं जंगली हाथी और घोड़े थे जो अपने सवारों से थक चुके थे।
कहीं-कहीं शिव ('मूंड माली') मुण्डों की माला चढ़ा रहे थे।