सैहाति, जो कि भाला और युद्ध का शक्तिशाली रूप प्रकट करते हैं, जो कि सभी शस्त्रों में सर्वश्रेष्ठ है,
शक्तिशाली योद्धा इंद्र ने इसे युद्ध में विजय के लिए अपने हाथ में ले लिया था।५३.
छत्तरधारा, मृगविजय, कर आदि इसके नाम हैं, इन्हें भाला और नेजा, बैराछी, सहथी, शकट आदि भी कहा जाता है।
वह समस्त शक्तियों की दाता है तथा अनन्त शक्तियों की निधि भी है।
प्रारम्भ में लक्ष्मण और घटोत्कश का उच्चारण करना और फिर 'अर' कहना,
शकट (कृपाण) के अनेक नाम प्रचलित हैं।55।
वह वही है जो पौधे लगाती है और डराती है
युद्ध के सम्बन्ध में मन में ध्यान देने योग्य नाम हैं क्या?56.
प्रारम्भ में ‘विष्णु’ शब्द का उच्चारण करके बाद में ‘शास्त्र’ कहना,
सुदर्शन के अनेक नाम बनते रहे।57.
पहले 'मुर' (एक विशालकाय) शब्द का उच्चारण करें और फिर 'मर्दन' शब्द का उच्चारण करें।
पहले ‘मुर’ शब्द का उच्चारण करके फिर ‘मर्दन’ शब्द का उच्चारण करके बुद्धिमान लोग सुदर्शन चक्र का नाम समझते हैं।
(पहले) 'मधु' (राक्षस) का नाम लें और फिर 'हा' शब्द का उच्चारण करें।
प्रारम्भ में ‘मधु’ कहकर और फिर ‘हा’ कहकर कविगण सुदर्शन चक्र का नाम ठीक-ठीक बोलते हैं।
पहले 'नरकासुर' (शब्द) बोलो, फिर 'रिपु' शब्द बोलो।
पहले नरकासुर शब्द का और फिर रिपु शब्द का उच्चारण करके हे बुद्धिमानों! सुदर्शन चक्र के नाम समझ में आते हैं।
'दैत बकत्रा' (एक विशालकाय) का नाम लें और फिर 'सूडान' (हत्यारा) शब्द का उच्चारण करें।
बकार्त राक्षस का नाम लेकर फिर 'शूदान' शब्द बोलने से सुदर्शन चक्र का नाम बोला जाता है।
सबसे पहले 'चंदेरी नाथ' (शिशुपाल) का नाम लें।
प्रारम्भ में चन्द्रीनाथ शिशुपाल का नाम लेकर फिर “रिपु” शब्द बोलने से सुदर्शन चक्र के नाम बनते हैं।62.
नरकसुर (एक विशालकाय) का नाम लें और फिर 'मर्दन' (मसलनवाला) (शब्द) का उच्चारण करें।
पहले नरकासुर का उच्चारण करके फिर अनुज और आयुध शब्द कहकर सुदर्शन चक्र के अनेक नाम विकसित होते रहते हैं।63.
(पहले) कृष्ण, विष्णु और वामन (जिस्नु अनुज) का (नाम) जप करें और फिर आयुध (हथियार) का जप करें।
'कृष्ण, विष्णु' शब्द का उच्चारण करके फिर 'अनुज' और 'आयुध' शब्द का उच्चारण करके सुदर्शन चक्र के अनेक नाम विकसित होते रहते हैं।
पहले 'बज्र अनुज' (इंद्र के छोटे भाई, वामन) का जाप करें और फिर 'शस्त्र' शब्द का पाठ करें।
सुदर्शन चक्र के नामों में प्रारम्भ में ‘वज्र और अनुज’ शब्द बोलने तथा तत्पश्चात् ‘शास्त्र’ शब्द जोड़ने से यह ज्ञात होता है।
सबसे पहले 'बिरहा' (कृष्ण द्वारा मोरपंख का मुकुट धारण करना) छंद का पाठ करें, फिर विशेष अस्त्र (शब्द) बोलें।
प्रारम्भ में ‘विरः’ शब्द का उच्चारण करने से तथा फिर सुदर्शन चक्र के अनेक नाम बोलने से सुदर्शन चक्र का निर्माण होता रहता है।
पहले उनका (विष्णु का) नाम जपो जो ऋद्धिसी पुत्री का घर है।
सर्वप्रथम समस्त शक्तियों के भण्डार ईश्वर का नाम लेकर फिर उसमें शास्त्र शब्द जोड़कर चक्रों के नाम बनते जाते हैं।
पहले 'गिरधर' (गवर्द्धन पर्वत को धारण करने वाले श्री कृष्ण) शब्द का जाप करें, फिर 'आयुध' (शस्त्र) शब्द का जाप करें।
प्रारम्भ में ‘गिरधर’ शब्द का उच्चारण करके फिर ‘आयुध’ शब्द बोलने से सुदर्शन चक्र के अनेक नाम विकसित होते चले जाते हैं।68.
सबसे पहले 'काली नथिया' (कृष्ण, काले नाग का वध करने वाले) शब्द बोलें और अंत में 'शस्त्र' शब्द बोलें।
प्रारम्भ में ‘कालीनाथ’ शब्द बोलने से और अन्त में ‘शास्त्र’ शब्द जोड़ने से सुदर्शन चक्र के असंख्य नाम बनते चले जाते हैं।69.
पहले 'कंस केशिहा' (कंस और केशी का वध करने वाले कृष्ण) कहो और फिर 'शस्त्र' (शब्द) बोलो।
सर्वप्रथम कंस-केशी के वधकर्ता श्रीकृष्ण का नाम लेकर, तत्पश्चात् शस्त्रों के नामों का विचार करके कविगण सुदर्शन चक्र का नाम लेते हैं।
पहले 'बाकि' (एक विशालकाय) और 'बकासुर' (एक विशालकाय) शब्द बोलें और फिर 'शत्रु' (शत्रु) शब्द का उच्चारण करें।
‘बकासुर और बाकी’ शब्दों का उच्चारण करके फिर ‘शत्रु’ शब्द का उच्चारण करने से सुदर्शन चक्र के नाम बनते रहते हैं।71.
(पहले) 'अघ नासन' (अघ राक्षस का वध करने वाला) और 'अघ हा' (शब्द) का पाठ करें और फिर 'शास्त्र' श्लोक का पाठ करें।
पापों का नाश करने वाले भगवान् का नाम लेकर तथा तत्पश्चात् आयुधों का वर्णन करके बुद्धिमान् लोग सुदर्शन चक्र का नाम जानते हैं।
(पहले) 'श्री उपेन्द्र' (वामन अवतार) का नाम लें और फिर 'शास्त्र' शब्द का पाठ करें।
उपेन्द्र के अनेक नाम बोलकर और फिर उसमें शास्त्र शब्द जोड़कर विद्वान लोग सुदर्शन चक्र के समस्त नामों को समझ लेते हैं।
कवि की वाणी : दोहरा
हे सभी वीरों और सभी महान कवियों! अपने मन में ऐसा विचार करो
सभी योद्धाओं और कवियों को यह बात अच्छी तरह समझ लेनी चाहिए कि भगवान विष्णु और उनके चक्रों के नामों में किंचितमात्र भी भेद नहीं है।