उन्हें धर्म का राजा समझो
पहले वाले को आध्यात्मिक राजा और दूसरे वाले को लौकिक राजा के रूप में पहचानो।९.
जो लोग बाबा के प्रचार के लिए धन दान नहीं करेंगे,
जो लोग गुरु का धन नहीं लौटाएंगे, बाबर के उत्तराधिकारी उनसे धन छीन लेंगे।
उन्हें कठोर दंड देकर,
उनको बहुत दण्ड दिया जाएगा और उनके घर लूट लिये जाएंगे।
जब वे बेमुख (मसन्द) धन से वंचित हो जायेंगे,
वे ढीठ लोग बिना पैसे के सिखों से भीख मांगेंगे।
जो लोग सिखों को पैसा देंगे,
और जो सिख उन्हें पैसा देंगे, उनके घरों को मलेच्छों (बर्बर) द्वारा लूट लिया जाएगा।11.
जब उनकी सम्पत्ति नष्ट हो जाती है,
जब उनका धन नष्ट हो जायेगा, तब वे अपने गुरु पर ही आशा रखेंगे।
जब वे गुरु-दर्शन के लिए आते हैं,
वे सब गुरु के दर्शन के लिए आएंगे, परन्तु गुरु उन्हें स्वीकार नहीं करेंगे।12.
फिर (वे सिख गुरु की अनुमति के बिना घर लौट आएंगे),
फिर गुरु की आज्ञा लिये बिना ही वे अपने घर लौट जायेंगे, अतः उनका कोई भी कार्य सफल नहीं होगा।
जो लोग गुरु के द्वार पर शरण नहीं पाते, उन्हें भगवान के द्वार पर भी निवास नहीं मिलता।
जो गुरु के घर की शरण नहीं पाता, उसे भगवान के दरबार में निवास नहीं मिलता। वह इस लोक और परलोक दोनों ही स्थानों पर निराश रहता है।13.
जो लोग गुरु के चरणों से प्रेम करते हैं,
जो लोग गुरु के चरणों के भक्त हैं, उन्हें दुःख छू नहीं सकते।
उनके घर में सदैव ऋद्धियां सिद्धियां विद्यमान रहती हैं।
उनके घर में सदैव धन-समृद्धि बनी रहती है तथा पाप और व्याधियां उनकी छाया के निकट भी नहीं आ सकतीं।14.
मलेच्छ (लोग) उनकी छाया भी नहीं छू सकते।
मलेच्छ (जंगली) उनके घर की आठ चमत्कारी शक्तियों, छायावाद को छू नहीं सकते।
जो लोग (कदम बढ़ाने का) साहस करते हैं, वे (सहज) हंसते हैं,
यदि वे भोग विलास के द्वारा भी लाभ उठाने का प्रयत्न करें, तो भी वे नौ निधियाँ स्वयं ही उनके पास आ जाती हैं।15.
उनका (अहिदिया का) नाम मिर्ज़ा बेग था
मिर्ज़ा बेग उस अधिकारी का नाम था, जिसने धर्मत्यागियों के घरों को ध्वस्त कर दिया था।
गुरु जी ने स्वयं सभी सिखों को बचाया।
जो लोग निष्ठावान रहे, गुरु ने उनकी रक्षा की, उन्हें किंचित मात्र भी हानि नहीं पहुंचाई गई।16.
इस बीच औरंगजेब मन ही मन बहुत क्रोधित हो उठा।
वहाँ औरंगजेब का पुत्र बहुत क्रोधित हुआ, उसने चार अन्य अधिकारी भेजे।
जो लोग उससे (मिर्जा बेग से) बच निकले,
जो लोग पहले बच निकले थे, उनके घर अधिकारियों ने तोड़ डाले। 17.
जो लोग गुरु की ओट छोड़कर भाग गए,
जो लोग गुरु की शरण छोड़कर आनंदपुर से भाग गए थे और अधिकारियों को ही अपना गुरु मान लिया था।
(अहीदों ने) मूत्र से अपने सिर मुंडे।
जिन्होंने अपने सिर पर मूत्र लगाया है और मुण्डन कराया है, ऐसा प्रतीत होता है कि वे गुरु हैं, इन अधिकारियों ने दूसरों से उनका पता पूछा।18.
जो लोग (गुरु की) आज्ञा के बिना (आनंदपुर से) भाग गये,
जो लोग अपने गुरु की अनुमति के बिना आनंदपुर से भाग गए थे, ये अधिकारी दूसरों से उनका पता पूछते थे।
(वे) आमने-सामने शहर में घूमते रहे,
उन्होंने अपने सिर मुंडे हैं और उन्हें पूरे शहर में घुमाया है। ऐसा प्रतीत होता है कि उन्हें अधिकारियों द्वारा चढ़ावा लेने के लिए भेजा गया है।19.
उनके पीछे जो बच्चे चल रहे थे (ओई ओई करदे),
जो लड़के उनका पीछा कर रहे हैं और उनका उपहास कर रहे हैं, वे उनके शिष्य और सेवक प्रतीत होते हैं।
(उनके) मुँह पर खींचे और चढ़ाए गए,
घोड़ों के गोबर से भरे नाक के थैले उनके चेहरों पर बंधे हैं, जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि उन्हें यह मिठाई अपने घरों से लाकर खाने के बदले में मिली है।20.
(उन सभी के माथे पर जूतों के निशान थे,
जूतों से पिटाई के कारण उनके माथे पर जो जख्म के निशान हैं, वे अधिकारियों (गुरु) द्वारा माथे पर लगाए गए निशानों जैसे लगते हैं।