जो भी आया और लड़ा, मारा गया।
पाँच जोजन (बीस कोहान) क्षेत्र तक में युद्ध हुआ।
वहाँ योद्धाओं के समूह मारे जाने के बाद अचेत अवस्था में पड़े थे। ३२.
कहीं बीर बैताल बीना बजा रहा था
और कहीं-कहीं जोगनें खड़ी होकर गीत गा रही थीं।
कहीं तूफान उन पर बरस रहे थे
जो अहमोस के सामने लड़ते और मरते थे। 33.
चौबीस:
जब पूरी सेना मारी गयी,
तब उस स्त्री ने अपने बेटे को भेजा।
जब वह भी लड़कर स्वर्ग गया
इसलिये उसने अपने एक और पुत्र को वहां भेजा। 34.
जब वह भी युद्ध के मैदान में लड़ा और मारा गया,
फिर तुरन्त तीसरे बेटे को भेजा।
जब वह भी युद्ध करके देवलोक गया,
अतः उस स्त्री ने चौथे पुत्र को भेजा। 35.
जब चारों पुत्र लड़ते-लड़ते मारे गए,
फिर वह महिला स्वयं युद्ध में चली गई।
शेष सभी नायकों को बुलाया गया
और लड़ने का अलार्म बजा दिया। 36.
उस महिला ने ऐसा युद्ध लड़ा
किसी भी योद्धा में शुद्ध बुद्धि नहीं बची थी।
कई भयानक नायक मारे गए
और गोमुख (रणसिंह) झांझ आदि बजा रहे थे। ३७.
जिस पर (रानी) सिरोही (सिरोही शहर में बनी तलवार) पर हमला करती थी।
वह उसका सिर काटकर ज़मीन पर फेंक देगी।
रानी ने किसके शरीर पर बाण मारा,
उस योद्धा ने (शीघ्र ही) जमलोक को परास्त कर दिया। ३८।
उन्होंने घुड़सवारों को जानबूझ कर मार डाला।
एक-एक करके दो टुकड़े टूट गये।
(युद्ध के मैदान से) धूल आसमान तक उड़ी
और तलवारें बिजली की तरह चमकने लगीं। 39.
सिरोही द्वारा काटे गए वीर इस प्रकार पड़े थे,
मानो झाखड़ ने कोई बड़ा पुल खोदकर सो गया हो।
युद्ध में हाथी और घोड़े मारे गये।
(वह युद्धभूमि जैसा प्रतीत हो रहा था) मानो वह शिव का क्रीडास्थल हो।४०.
उस रानी ने ऐसा युद्ध किया,
जो पहले नहीं हुआ और जो आगे भी नहीं होगा।
वह टुकड़ों में ज़मीन पर गिर पड़ी
और रण में लड़कर, संसार सागर पार हो गया। ४१।
वह घोड़े पर गिरकर टुकड़े-टुकड़े हो गई,
लेकिन फिर भी वह युद्ध का मैदान नहीं छोड़ी।
उसका मांस ('तम') राक्षसों और पिशाचों द्वारा खाया गया,
परन्तु वह घोड़े की लगाम न मोड़कर भागी नहीं। 42.
पहले चार बेटे मर गए
और फिर उसने कई दुश्मनों को मार डाला।
जब पहली रानी की हत्या हुई,
इसके बाद उसने बिरमदेव की हत्या कर दी। ४३.