चौपाई
तुम्हें मार डालने के लिए ले जाया जाएगा।
'वे तुम्हें मारने के लिए ले जाने की कोशिश कर सकते हैं, क्योंकि उन्होंने तलवारें खींच ली होंगी।
(तुम) अपने मन में दृढ़ रहो
'तुम दृढ़ निश्चयी रहो और भयभीत होकर कुछ भी मत बताओ।(4)
दोहिरा
फिर उसने उसे बाँधा और तलवार निकाल ली।
उसने तुरन्त उस पर वार करके उसे घायल कर दिया और फिर मार डाला।(5)
उसे मार कर उसे कोई पश्चाताप नहीं हुआ।
वह अपने गांव में शांतिपूर्ण जीवन जीने लगा और किसी को भी इस रहस्य का पता नहीं चला।(6)(1)
शुभ चरित्र का बासठवाँ दृष्टान्त - राजा और मंत्री का वार्तालाप, आशीर्वाद सहित सम्पन्न।(62)(1112)
चौपाई
दक्षिण में एक प्रबल सिंह राजा थे।
दक्षिण में परबल सिंह नाम का एक प्रतापी राजा रहता था जिसके पास बहुत धन था।
उनके घर में 'चारु चाचू' नाम की एक महिला रहती थी।
उसकी एक पत्नी थी जिसकी आंखें बहुत सुंदर थीं और वह जो कुछ कहती राजा वही करता।(1)
कहा जाता है कि वह महिला बहुत सुन्दर थी।
वह बहुत सुन्दर थी, अतः कोई भी उससे मुकाबला नहीं कर सकता था।
राजा उससे बहुत प्यार करता था।
राजा ने उसका बहुत सम्मान किया और कभी भी उससे कठोर बात नहीं की।(2)
उन्हें बंगा का राजा कहा जाता था
वे बंगाश के शासकों के रूप में जाने जाते थे और वे विभिन्न प्रकार के प्रणय-क्रीड़ाओं में आनंद लेते थे।
रानी ने एक सुन्दर आदमी को देखा
परन्तु जब रानी ने एक सुन्दर पुरुष को देखा तो कामदेव उस पर मोहित हो गये।(3)
रानी को उससे प्यार हो गया
रानी उससे बहुत प्यार करती थी और फिर उसे बहुत सारा धन देकर घर से निकाल दिया।
इस तरह उसने उस आदमी को सिखाया
उसने प्रेमी को एक अजीब चरित्र करने के लिए प्रशिक्षित किया था।(4)
दोहिरा
उसने उससे कहा था, 'गेट के बाहर, अपने कपड़े उतार कर,
'और तुम दरिद्र का वेश धारण करके वहीं खड़े रहते हो।'(5)
चौपाई
जब राजा ने अपने घर में पैर रखा।
जब राजा ने रानी के घर के अन्दर अपना पैर रखा तो रानी ने उसे जहर देकर मार डाला।
तब उस स्त्री ने बहुत ही नम्र शब्द कहे
बड़े दुःख के साथ उसने कहा, 'मेरे प्रिय राजा ने मुझे त्याग दिया है।(6)
राजा ने मरते समय मुझसे कहा था
'अपनी मृत्यु के समय उन्होंने मुझसे जो कहा था, मैं उसे करने के लिए कृतसंकल्प हूं।
वह (मेरा) राज्य किसी गरीब (या निर्धन) व्यक्ति को दिया जाए
राजा ने कहा था, "राज्य एक दरिद्र को दिया जाना चाहिए और यह अवश्य पूरा होना चाहिए।"(7)
दोहिरा
'यदि कोई व्यक्ति बहुत सुन्दर किन्तु दरिद्र हो और किले के द्वार के बाहर खड़ा हो,
“उसे बिना किसी हिचकिचाहट के शासन प्रदान किया जाना चाहिए।”(८)
चौपाई
तुम और मैं किले के द्वार पर चलते हैं।
'मैं और आप (मंत्री) बाहर जाएंगे और अगर हमें ऐसा कोई व्यक्ति मिलेगा तो हम उसे पकड़ लेंगे।
इसलिए राज्य उसे दे दो।
'तो ध्यान से सुनो, राज्य का शासन उसे दिया जाएगा।(९)