पहले 'लोकेन्द्राणी' (शब्द) का उच्चारण करें।
इसके अंत में 'हरणी' शब्द जोड़ें।
अपने मन में हर बूँद का नाम जानो।
पहले लोकेन्द्राणी शब्द बोलकर अंत में हरणी शब्द जोड़ दें तथा रात-दिन बोलने के लिए तुपक के सभी नामों को मन में जान लें।।१२००।।
चौपाई
पहले 'लोक राजनी' (राज सेना) बोलो।
इसके अंत में 'अरिनी' शब्द जोड़ें।
इसे सभी बूंदों का नाम समझो।
सर्वप्रथम ‘लोकराजनि’ शब्द बोलकर अंत में ‘अरिणी’ शब्द जोड़ दें तथा शास्त्रों और स्मृतियों में कहे गए तुपक के नामों को जानें।1201.
(पहले) 'देशेसनि रवानी' (राजा द्वारा अनुशासित सेना) (शब्द) बोलो।
अंत में 'अन्तकानि' शब्द जोड़ें।
इसे सभी बूंदों का नाम समझो।
सबसे पहले “देशाणी रामाणी” शब्द बोलकर अंत में “अन्तकाणी” शब्द जोड़ें और तुपक के सभी नाम जानें।१२०२।
पहले 'थिरा' शब्द बोलें फिर 'इत्सानी' बोलें।
अंत में 'अन्तकानि' शब्द जोड़ें।
इसे सभी बूंदों के नाम के रूप में जानो।
पहले “तिरा” शब्द बोलकर “इशानी” शब्द बोलें, फिर “अन्तकणी” शब्द जोड़ें और इस तरह तुपक के नाम जानें।१२०३।
अधिचोल
पहले 'कस्पी इस्नी' (शब्द) का उच्चारण करें।
इसके अंत में 'अंतकानि' शब्द जोड़ें।
इसे अपने मन में तुपक के नाम के रूप में लें।
‘काश्यपि ईशानि’ शब्द कहकर ‘अन्त्यन्तकनि’ शब्द जोड़कर तुपक के सभी नामों का निःसंकोच उच्चारण करें।।1204।।
सबसे पहले 'नागण' नाम का उच्चारण करें।
(फिर) इसके अंत में 'पिट्नी इसानि' शब्द जोड़ें।
उसके बाद 'घातक' शब्द लिखें।
नागिन शब्द बोलकर पितानि ईशानिवन्त शब्द जोड़ें, फिर घटानि शब्द जोड़ें और तुपक के सभी नाम जानें।1205।
सबसे पहले 'सर्प ततानि (नाग भूमि) इसानी' (शब्द) का उच्चारण करें।
इसके अंत में 'मथानी' शब्द जोड़ें।
(यह) सब बुद्धिमान है! बूंदों के नाम समझो।
‘सरप्तातनि ईशानि’ शब्द बोलकर अंत में ‘मथानि’ शब्द जोड़ दें और मन में निर्भय होकर तुपक के सभी नामों को जानें।।१२०६।।
सर्वप्रथम 'इन्द्र इन्द्राणी' (इन्द्र के स्वामी कश्यप की भूमि) शब्दों का जाप करें।
(फिर) इसके अंत में 'मथानी' शब्द जोड़ें।
अपने हृदय में उस बूँद का नाम जानो।
इन्द्रेन्दरणी शब्द बोलकर अन्त में मथानी शब्द जोड़ दें तथा काव्य में प्रयोग करने के लिए तुपक के सभी नामों का ज्ञान प्राप्त कर लें।।१२०७।।
चौपाई
पहला मंत्र 'डेन देवानी' (कश्यप की भूमि)।
(फिर) 'Esrantkan' शब्द जोड़ें.
सभी लोग इसे एक बूँद के रूप में जानते हैं।
“देवदेवाणी” शब्द कहकर “इश्रान्तकं” शब्द जोड़ दो और तुपक के सब नाम जान लो ।।१२०८।।
अधिचोल
सर्वप्रथम 'स्क्र तत् अरिणि' (इन्द्र के पिता कश्यप की पृथ्वी) शब्दों का उच्चारण करें।
इसके अंत में 'मथानी' शब्द जोड़ें।
हृदय की प्रत्येक बूँद का नाम समझो।
पहले ‘सकार्तात् अरिणि’ शब्द बोलकर अंत में ‘मथनि’ शब्द जोड़ दें तथा मन में तुपक के सभी नामों को पहचानकर प्रवचन में उनका प्रयोग करें।।1209।।
सबसे पहले 'सत् कित्रेसनि इसानि' (शब्द) का जाप करें।
इसके अंत में 'अरिनी' शब्द जोड़ें।
इसे अपने हृदय में सभी बूंदों के नाम के रूप में जानो।
“सत्कृतेषानि शिषानि” शब्द बोलकर अंत में “अरिणी” शब्द जोड़ दें, तुपक के सभी नाम जान लें।।१२१०।।