राम ने सीता से विवाह किया और घर आ गये।
राम और सीता के विवाह के पश्चात जब वे अपने घर लौटे तो विभिन्न देशों से बधाई संदेश प्राप्त हुए।158.
हर जगह बहुत उत्साह था।
चारों ओर उत्साह का माहौल था और तीन बेटों के विवाह के उत्सव की तैयारियां चल रही थीं।
अपार ताल और मृदंग बज रहे थे।
चारों ओर नाना प्रकार के ढोल बजने लगे और नर्तकों की अनेक टोलियाँ नाचने लगीं।
घुड़सवार योद्धा सजावट के साथ जा रहे थे।
कवच से सुसज्जित योद्धा और युवा सैनिक आगे बढ़े।
राजा दशरथ के द्वार पर पहुँच चुके थे।
ये सभी महारथी और धनुर्धर राजा दशरथ के द्वार पर आकर खड़े हो गये।
अपरन ही ताल ('युद्ध') और मुचंग बज रहे थे।
अनेक प्रकार के वाद्य-यंत्र गूंजने लगे तथा ढोल-नगाड़ों की मधुर ध्वनि सुनाई देने लगी।
वेश्याएं गीत गा रही थीं
ऊर्जावान महिलाओं ने गाना शुरू कर दिया और अपनी आंखों को नचाकर तथा ताली बजाकर अपनी खुशी प्रकट की।161.
भिखारियों को धन की कोई इच्छा नहीं थी।
भिखारियों को धन की कोई चाह नहीं रही, क्योंकि सोने का उपहार एक धारा की तरह बह रहा था।
(अगर कोई) एक चीज़ माँगने आए
जो कोई एक वस्तु मांगता, वह बीस वस्तुएं लेकर अपने घर लौटता।162.
रामचन्द्र पूरे वैभव से चल रहे थे। (ऐसा लग रहा था)
वन में खेलते हुए राजा दशरथ के पुत्र वसन्त ऋतु में खिले हुए फूलों के समान प्रतीत हो रहे थे।
उसके शरीर पर केसर इस प्रकार शोभा पा रहा था
अंगों पर छिड़का हुआ केसर ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो हृदय से आनन्द फूट रहा हो।163।
उन्होंने अपनी अमित चतुरंगी सेना को इस प्रकार सजाया था
वे गंगाजी की भाँति अपनी असीम चतुर्भुजी सेना एकत्रित कर रहे हैं।