इसके अंत में 'अरिनी' शब्द रखें।
इसे हृदय में सभी के नाम की तरह स्मरण करो।
सर्वप्रथम ‘इन्द्रेणी इन्द्राणी’ शब्द बोलकर अन्त में ‘अरिणी’ शब्द जोड़ दे तथा प्रयोग के लिए तुपक के सभी नामों को निर्भयतापूर्वक जान ले।।१२२२।।
(प्रथम) 'उचस्रिवइस् (इन्द्र) एस एस्नि, (शब्द का) उच्चारण करो।
फिर 'इसानि' कहकर 'अरिनी' शब्द जोड़ें।
इसे अपने हृदय में सभी बूंदों के नाम के रूप में जानो।
‘उच्चश्रीवैश्य ईशानी’ शब्दों का उच्चारण करके ‘ईशानी’ और ‘आरिणी’ शब्दों को जोड़ दे तथा उन्हें निःसंकोच प्रयोग करने के लिए तुपक के असंख्य नामों को जान ले।।१२२३।।
सबसे पहले 'हयानी (घोड़ों का राजा महामहिम) इसानी इसानी इसानी' का पाठ करें।
इसके अंत में 'अरिनी' शब्द जोड़ें।
सभी लोग अपने दिलों में तुपक का नाम जानें।
“हयानी इशानी इशानी” शब्द बोलते हुए अंत में “अरिनी” शब्द जोड़ें और मन में तुपक के सभी नाम जानें।१२२४।
(पहले) 'गज राज (इंद्र) रजनानि प्रभणी' (शब्द) का पाठ करें।
इसके अंत में 'मथानी' शब्द जोड़ें।
इसे अपने हृदय में सभी बूंदों के नाम के रूप में जानो।
“गजराज राजनानि प्रभुनि” शब्द बोलकर अंत में “मथानि” शब्द लगा दे तथा बिना किसी भेदभाव के तुपक के सभी नाम जान ले ।।१२२५।।
(प्रथम) उच्चारण करें (शब्द) 'अश्वे (उच्च घोड़ा) इस्नी इस्नी इस्नी'।
इसके अंत में 'मथनी' शब्द जोड़ें।
सभी लोग इसे हृदय में एक बूँद के नाम के रूप में लें।
“आशव ईशानी ईशानी” शब्द बोलकर अंत में “मथानी” शब्द जोड़ दें और तुपक के सभी नाम बिना किसी संकोच के जान लें ।।१२२६।।
(प्रथम) 'बह्रज (इंद्र) रजनानी रजनी' का पाठ करें।
इसके अंत में 'अरिनी' शब्द रखें।
(इसे) सभी हृदयों में एक बूँद का नाम समझो।
“वहीराज राजानि राजान्” शब्द बोलते हुए अंत में “अरिणी” शब्द जोड़ें और तुपक के सभी नाम जानें।१२२७।
सबसे पहले 'तुरंग एसनी इसनी प्रभावनी' (शब्द) कहें।
फिर उसके अंत में 'शत्रु' शब्द जोड़ दें।
(इसे) सभी हृदयों में एक बूँद का नाम समझो।
सर्वप्रथम ‘तुरंग ईशानी ईशानी प्रभुनी’ शब्द बोलकर अंत में ‘शत्रु’ शब्द जोड़ दें तथा मन में तुपक के सभी नामों को जान लें और गुणवान व्यक्तियों के समक्ष उनका निःसंकोच प्रयोग करें। 1228.
चौपाई
(पहले) 'ऐस (बाजरा) पति पितानी' शब्द का उच्चारण करें।
(फिर) 'इस्नी आरिनी' शब्द जोड़ें।
इसे सभी बूंदों का नाम समझो।
“आयसुपति पितानि” शब्द कहते हुए, “ईशानी अरिणि” शब्दों का उच्चारण करें और पावट्री के छंदों में उन्हें बोलने के लिए तुपक के नामों को जानें।1229।
अधिचोल
(सर्वप्रथम) 'बाजराज' के सभी नाम बताइये।
फिर 'प्रभानी पितनी इसानी' शब्द जोड़ें।
(फिर) कहो 'अरिणी' और इसे तुपक का नाम समझो।
बाजी राज के सभी नाम बोलते हुए, “प्रभुनि, पितानि, इशानी और अरिनी” शब्द जोड़ें, तुपक के सभी नामों को पहचानें और उन्हें इच्छानुसार उपयोग करें।१२३०।
(पहले) 'हस्ति एस (एरावत) प्रभ पितनि ग्रभानि' (शब्द) का पाठ करें।
इसके अंत में 'अरिनी' शब्द रखें।
हृदय की हर बूँद का नाम समझो।
“हसित ईश प्रभु पितानि गर्विनी” शब्द बोलकर अंत में “अरिणी” शब्द जोड़ें तथा काव्य में प्रयोग करने के लिए तुपक के नाम जानें।१२३१।
(पहले) 'दन्ति रात (एरावत) प्रभपित सुतनि' श्लोक का पाठ करें।
(फिर) इसके अंत में 'अरिनी' शब्द जोड़ें।
(इससे) सभी बुद्धिमानों! तुपक का नाम समझो।
दन्तीरात् प्रभुपित सुतानि शब्द बोलकर अन्त में अरिणी शब्द लगाओ और मन में तुपक के सब नाम जानो ।।१२३२।।
सबसे पहले 'दुराद रत (इरावत) रतिस्नि इस्नि' शब्द बोलें।
इसके अंत में 'अरिनी' शब्द रखें।
इसे सभी बूंदों का नाम समझिए।