(योद्धाओं के) अंग टूटकर गिर रहे हैं।
वे युद्ध के रंग में नाच रहे हैं।
आकाश ('दीवान') में देवता देखते हैं।
युद्ध की भावना से नाचते हुए योद्धा अंग-भंग होकर गिर पड़े और उन्हें देखकर देवता और दानव दोनों ही ‘वाह वाह! वाह’ कहने लगे।
अस्ता छंद
क्रोध से भरा हुआ (कल्कि) हाथ में तलवार लिए हुए
एक खूबसूरत रंगीन जंगल में रहना।
वह धनुष और कृपाण हाथ में लिये हुए किसी से नहीं डरता।
भगवान (कल्कि) हाथ में तलवार लेकर क्रोध में भर गए और युद्ध की भावना से युद्धस्थल में घूमने लगे। वे धनुष और तलवार को पकड़कर निर्भयतापूर्वक क्रोधपूर्वक युद्धस्थल में विचित्र प्रकार से विचरण करने लगे।।470।।
कई हथियार बेखौफ तरीके से ले जाए गए हैं।
जो लोग युद्ध में रुचि रखते हैं वे क्रोधित हैं।
हाथ में तलवार थामे वे अंत तक लड़ रहे हैं।
वह अनेक प्रकार के अस्त्र-शस्त्र धारण करके क्रोध और दृढ़ता से ललकारता हुआ युद्ध में विरोधियों पर टूट पड़ा, हाथ में तलवार लेकर वह युद्ध में तल्लीन हो गया और पीछे नहीं हटा।।471।।
(सेना) एक भयानक पतन की तरह उभरी है।
(उस संक्षिप्तीकरण में) तलवारें बिजली की तरह चमकती हैं।
दुश्मन दो कदम भी आगे नहीं बढ़े
जैसे बादलों की बिजली चमक रही हो, तलवारें चमक रही हों, शत्रुओं की सेना दो कदम भी पीछे न हटी, और क्रोध में भरकर पुनः युद्धभूमि में लड़ने के लिए आ खड़ी हुई।
जिद्दी योद्धा क्रोध में युद्ध के मैदान में घूमते हैं,
वे मानो भट्टी में तपकर आग के समान हो गए हैं।
जनरलों ने सेना इकट्ठी कर ली है
युद्ध में प्रज्वलित अग्नि से युक्त भट्टी के समान क्रोध करने वाले योद्धागण क्रोधित हो रहे थे, सेना घूम-घूमकर एकत्र हो रही थी और बड़े क्रोध के साथ युद्ध करने में तल्लीन थी।
हजारों तलवारें बेतहाशा चमक उठीं।
वे साँपों की तरह दुश्मनों के शरीर को डसते हैं।
युद्ध के दौरान खून में डूबकर वे ऐसे ही हँसते हैं,