अडिग:
उसने एक दूत भेजकर उसे घर बुलाया।
उसके साथ कई प्रकार के यौन सुख प्राप्त किये।
जब शाह सो जाता तो वह उसे पुकारती
और वह खुशी-खुशी उसके साथ खेलकर अपना प्यार जताती थी।
चौबीस:
(एक दिन) जब महिला जाग गई, तो शाह भी जाग गए
और वह स्वयं से पूछने लगा।
हे स्त्री! दस, तुम कहाँ जा रही थी?
(और इस प्रकार) मेरे मन का भ्रम दूर करो। 6.
हे शाह! जो शब्द मैं कहता हूँ उन्हें सुनो,
(मैं) आपके मन का भ्रम दूर कर दूँ?
जब मेरी साधना टूट गई (अर्थात समाप्त हो गई)
तो मैं धड़कने लगा.7.
दोहरा:
इस तरह शाह को खुश ('निसा') करने के बाद उन्हें सुला दिया गया
और वह तुरन्त मित्र के पास गयी और मित्र ने उसे लपेटा और रमण किया।८.
श्रीचरित्रोपाख्यान के त्रिचरित्र के मन्त्रीभूपसंवाद का 230वाँ अध्याय समाप्त हुआ, सब मंगलमय हो गया। 230.4352. आगे जारी है।
दोहरा:
बावनी देश में मालव नाम का एक ग्रामवासी रहता था।
उनकी स्त्री कला बहुत सुन्दर थी। 1.
उसका शरीर बहुत खुला हुआ था और सभी अंग बहुत मजबूत थे।
संसार में उसके समान लम्बी और चौड़े शरीर वाली कोई दूसरी (बलवान) स्त्री नहीं थी। 2.
अडिग:
एक सैनिक उनके गांव में आया।
वह प्यास और गर्मी से बहुत परेशान था।
वह पानी पीना चाहता था और जति ने उसे पानी उठाकर दे दिया।
उसका (स्त्री का) रूप देखकर (सैनिक) मोहित हो गया। 3.
(उसने) मन में सोचा
कि हम इसे (किसी तरह) प्राप्त करें और इसका सेवन करके पुत्र उत्पन्न करें।
वह एक महान बलिदान होगा और पूरे विश्व में जाना जाएगा।
किसी अन्य को उसके समान लम्बा और ऊंचा नहीं कहा जाएगा। 4.
दोहरा:
फौजदार ने दासी को बुलाकर सारा रहस्य बता दिया
और उसने उसे बहुत सा धन देकर सांत्वना दी और (उसके पास) भेजा।5.
अडिग:
उसकी बातें सुनकर दासी वहाँ गयी।
उन्होंने उस महिला को एक-एक करके समझाना शुरू किया।
वहां से लौटकर उसने सिपाही को समझाया और कहने लगा
कि वह आज रात को आपसे मिलने आएगी। 6.
वह महिला भी सिपाही से प्यार करने लगी
और आधी रात को उससे मिलने गया।
डोडा, पान, मदिरा पीकर सुन्दर सेज सजाई।
(उस) स्त्री के साथ संभोग ऐसा था कि संभोग रात भर चलता रहा। 7.
(एक ऐसे व्यक्ति को) पाकर जो पूरी रात अच्छा खेलता है
(वह) स्त्री बिना मूल्य के बेच दी गयी।
(उसने) हंसते हुए प्रिया से कहा कि मैं एक चरित्र दिखाऊंगा
और मैं अपने पति को मारकर तुम्हारे पास आ जाऊंगी।८.