'कृपया इसे अपने हृदय में रखें और किसी को न बतायें।'(7)
जब लगभग चार दिन बीत गए तो उसने कहा,
कि उसके सभी प्रेमी अपने घरों से बाहर आ जाएँ।(8)
उसने अपनी सभी नौकरानियों और उनकी सहेलियों को इकट्ठा किया,
और फिर उसने राजा को यह बताने के लिए एक दासी को भेजा।(९)
चौपाई
'मैंने शिव के कथनों के बारे में तुमसे जो कहा,
'मैंने आपके घर में ऐसा होते देखा है।
अपना कवच उतारो और चले जाओ
'अब शास्त्रों को छोड़कर मेरे साथ आओ, और कृपया क्रोध मत करो।'(10)
दोहिरा
यह जानकर राजा तुरंत वहां पहुंचे जहां स्त्रियां संभोग कर रही थीं।
शिवजी की वाणी सत्य होते देख वे आश्चर्यचकित हो गये।(11)
चौपाई
जिस महिला ने मुझसे शिव बानी कही,
तुम सोचो, 'शिव ने जो भी भविष्यवाणी की थी, वह मेरे घर में सत्य सिद्ध हो रही है।
रूपमती ने मुझसे झूठ नहीं बोला है।
'रूप कला झूठ नहीं बोल रही थी। अब मैं उसकी सच्चाई पहचान गया हूँ।'(12)
दोहिरा
प्रेम करने के बाद सभी स्त्रियों को दूर भेज दिया गया,
और रानी स्वयं आकर राजा के पास बैठ गयी।(13)
'राजा, जैसा कि मैंने तुमसे कहा था, यह उसी तरह घटित हुआ।
'और अब शिव पर कभी क्रोध मत करना, क्योंकि उनकी वाणी सत्य है।'(14)
किन्नर, जच्छ, भुजंग, गन्न, मनुष्य और तपस्वी, सभी प्रकार के देवता,
नारी के चरित्र समझ न सके।(15)(1)
शुभ चरित्र का सड़सठवाँ दृष्टान्त - राजा और मंत्री का वार्तालाप, आशीर्वाद सहित सम्पन्न। (67)(1185)
दोहिरा
गुजरात में एक शाह रहता था, जिसका एक बेटा था।
वह एक आज्ञाकारी लड़का था और व्यवसाय में बहुत सतर्क था।(1)
वह एक नाई के बेटे का सम्मान करता था,
और वे इतने समान दिखते थे कि कोई भी भेद नहीं कर सकता था।(2)
चौपाई
शाह का बेटा अपने ससुर के घर गया
शाह का बेटा नाई के बेटे को अपने साथ ससुराल ले गया।
(जब) दोनों घने बन में चले गए
जब वे घने जंगल से गुजर रहे थे, तो नाई के बेटे ने उन्हें बुलाया।(3)
नाई के बेटे ने कहा,
नाई के बेटे ने कहा, 'सुनो, तुम शाह के बेटे हो,
तभी तो मैं तुम्हें अपना दोस्त मानूंगा,
'मैं आपकी मित्रता तभी स्वीकार करूंगा जब आप मुझ पर एक उपकार करेंगे।(4)
दोहिरा
'तुम मुझे अपना घोड़ा और सारे कपड़े दे दो,
'और यह गठरी लेकर तुम मेरे आगे चलो।'(5)
चौपाई
शाह के बेटे ने भी ऐसा ही किया।
शाह के बेटे ने वैसा ही किया जैसा कहा गया था और गठरी अपने सिर पर रख ली।
उसे अपने घोड़े पर चढ़ाया
उसने (शाह के बेटे ने) उसे अपने घोड़े पर सवार किया और उसे (नाई के बेटे को) अपने कपड़े पहनाये।(6)