रांझा और हीर का प्रेम एकता का पर्याय बन गया।
यद्यपि वे दो शरीर थे, तथापि वे (आत्मा में) एक थे।(26)
चौपाई
प्रिया (हीर) का प्यार कुछ इस तरह हुआ
प्रेम में डूबी हुई, वह अपने प्रियतम के प्रति पूरी तरह से वासना में डूबी हुई थी।
वह रांझे समझ बैठी
रांझा के व्यवहार में उलझकर वह सामान्य सामाजिक शिष्टाचार की अवहेलना करने लगी।(27)
तब चूचक ने ऐसा सोचा
(तब) चूचक (पिता) ने सोचा कि उसकी बेटी जीवित नहीं बचेगी।
अब आइये खेलों की ओर बढ़ते हैं।
उसे बिना किसी विलम्ब के तुरन्त खेरे (ससुराल) में दान कर देना चाहिए।(28)
उन्होंने तुरंत खेड़ा परिवार को बुलाया (और हीर से विवाह कर लिया)।
तुरन्त एक दूत भेजा गया और रांझा एक तपस्वी का वेश धारण करके उसके साथ चला गया।
जब भिखारी की बाजी बढ़ा दी गई
भिक्षाटन के दौरान जब उसे अवसर मिला तो वह हीर को लेकर मृत्युलोक की ओर प्रस्थान कर गया।(29)
जब हीर और रांझा की मुलाकात हुई
जब रांझा और हीर मिले थे तो उन्हें आनंद मिला था।
जब यहाँ अवधि पूरी हो जाती है
उनकी सारी परेशानियाँ दूर हो गयीं और वे स्वर्ग चले गये।(30)
दोहिरा
रांझा देवता इंद्र बन गया और हीर मेनका बन गई,
और सभी आदरणीय कवियों ने उनकी प्रशंसा में गीत गाए।(31)(1)
शुभ चरित्र का 98वाँ दृष्टान्त - राजा और मंत्री का वार्तालाप, आशीर्वाद के साथ पूरा हुआ। (98)(1828)
चौपाई
पोथोहार में एक महिला रहती थी।
पुथोहर देश में एक महिला रहती थी, जिसे रूडर काला के नाम से जाना जाता था।
मुल्लाने ('खुदाई') हर रोज़ उसके घर आता था
हर दिन कुछ (मुस्लिम) पुजारी उसके पास आते थे और उसे डरा धमका कर उसकी संपत्ति छीन लेते थे।(1)
एक दिन उसने उन्हें कोई पैसा नहीं दिया,
एक बार जब उसके पास कोई पैसा नहीं बचा तो मौलाना पुजारी क्रोधित हो गए।
सबने अपने हाथों में कुरान उठा ली
वे एकत्र होकर उसके घर आये।(2)
और कहा, तूने पैगम्बर पर निन्दा की है।
(उन्होंने कहा) 'तुमने पैगम्बर मोहम्मद का अपमान किया है,' यह सुनकर वह घबरा गयी।
उन्हें (बच्चों को) घर पर बैठा दिया
उसने उन्हें आमंत्रित किया और बैठने का अनुरोध किया और फिर, मोहब्बत खान (उस स्थान के शासक) को संदेश भेजा।(3)
उसके प्यादे तुरन्त आ गए
तभी तुर्क (मुस्लिम) जासूस आये और उसने उन्हें गुप्त रूप से एक कमरे में ठहराया।
भोजन (तैयार) उनके (बच्चों) सामने अच्छी तरह से परोसा गया।
वे (हमलावर) पहले से ही वहाँ थे; उसने उन्हें स्वादिष्ट भोजन परोसा था। उसने जो कहा, वह इस प्रकार है:(4)
मैंने नबी की निंदा नहीं की।
'मैंने पैगम्बर का अपमान नहीं किया है। इसके अलावा मुझसे क्या गलती हो सकती थी?
यदि मैं उनकी निंदा करूँ
'यदि मैंने उनका अपमान किया है, तो मैं खंजर से अपने आप को मार डालूंगा।(5)
जो लेना है ले लो,
'जो कुछ भी आप चाहते हैं, मुझसे छीन लीजिए लेकिन मुझ पर ईशनिंदा का आरोप मत लगाइए।'
लड़के हँसे और बोले.
फिर वे प्रसन्न होकर कहने लगे, "हमने यह योजना तुमसे धन लूटने के लिए बनाई थी।"(6)