जो दिन रात अपने प्रियतम का नाम जपती थी।
(उस राजा की) एक और पत्नी थी जिसका नाम बिसुनाथ प्रभा था।
दुनिया उसे बहुत सुन्दर कहती थी। 2.
(राजा) बिसुनाथ से बहुत स्नेह करते थे।
उदगिन्द्रप्रभा को केवल एक शब्द में रुचि थी।
वह दिन-रात इसके साथ रहता था
और वह अपने घर नहीं गया। 3.
चौबीस:
उसके शत्रु ने राजा पर आक्रमण कर दिया।
द्रुगती सिंह भी दल-बल के साथ आगे आए।
बहुत युद्ध छिड़ गया और घंटियाँ बजने लगीं।
सभी देवता और दैत्य देखने लगे।
गर्वित योद्धा सिंहों की तरह दहाड़ने लगे।
दोनों ओर से मृत्यु की घंटी बज उठी।
गोमुख, शंख, धोंसे,
ढोल, मृदंग, मुचंग, नगाड़े आदि खूब बज रहे थे।५.
तुरही, नाद, नफीरी,
मंडाला, तूर, उतांग,
मुरली, झांझ, भेर आदि बहुत जोर से बजते थे
और उनकी पुकार सुनकर हठीले सैनिक चिल्लाने लगते थे।
जोगन और दिग्गज खुशियाँ मना रहे थे।
गिद्ध और शिव गर्व से प्रत्युत्तर दे रहे थे।
भूत-प्रेत नाचते-गाते थे।
कहीं रुद्र बजा रहा था ढोल।७।
डाकिये खून पीकर डकार रहे थे
और कौवे मांस खाने के बाद काँव-काँव करते थे।
सियार और गिद्ध मांस ले जा रहे थे।
कहीं बिटल के शब्द सुनाई पड़े। 8।
कहीं-कहीं तलवारों की धार चमक रही थी।
राक्षसी सिर और धड़ धड़क रहे थे।
बड़े-बड़े नायक ज़मीन पर गिर रहे थे।
बहुत से घुड़सवार झुककर मारे जा रहे थे।
भाले खड़काये जा रहे हैं
और तलवारें खींची जा रही हैं।
कटार से काटा काटी (इतना कुछ) काटा गया है
कि सारी पृथ्वी लाल हो गई है। 10.
कहीं-कहीं तो दिग्गज लोग अपने दांत निकलवाकर घूम रहे हैं
और कहीं-कहीं दुर्भाग्य अच्छे नायकों पर बरस रहा है।
कहीं-कहीं भयानक आवाजें सुनाई दे रही हैं।
अन्य लोग कहीं और से (युद्ध की) छवि देखने आये हैं। 11.
दोहरा:
कहीं घायल (घाव) त्राहि-त्राहि कर रहे हैं तो कहीं असंख्य मसान (भूत) बनकर मार रहे हैं।
भयंकर योद्धा तीव्र तलवारों से शरीर को काट रहे हैं और घावों से रक्त बह रहा है।
चौबीस:
कहीं न कहीं वे बहुत नाराज हैं
और कहीं मसान चिल्ला रहा है।
कहीं-कहीं भयानक घंटियाँ बज रही हैं।
कहीं-कहीं योद्धा धनुष खींचकर तीखे बाण चला रहे हैं।