'जलजत्राण' शब्द का उच्चारण करके फिर 'इश्रास्त्र' कहने से पाश नाम बनते हैं, जिन्हें हे कुशल लोगों! तुम पहचान सकते हो।।३८३।।
पहले 'हृदृद', 'जलद्रृद', 'बारीद्र' बोलें और (फिर) 'निधि पति' और 'अस्त्र' शब्द जोड़ें।
पाश के नाम ‘हृदृद, जलद्रृद, वारिद्रृद, विधिपति और अस्त्र’ के उच्चारण से बनते हैं, जिन्हें हे बुद्धिमान् पुरुषों, आप पहचानिए।।३८४।।
पहले 'निरधि' बोलें, अंत में 'इस्त्रस्त्र' बोलें।
पहले ‘नीरद’ और अंत में ‘इश्रास्त्र’ कहकर पाश के अनेक नाम विकसित होते रहते हैं।।३८५।।
पहले 'अम्बुदजा धर निधि' बोलो, फिर अंत में 'इसराष्ट्र' बोलो।
हे बुद्धिमान् पुरुषों, “अम्बुदजाधर निधि” और फिर “ईश्र्रास्त्र” कहकर उन सभी नामित पाशों को पहचानो।।३८६।।
(पहले) 'धराधरजा' शब्द का उच्चारण करें और फिर 'निधि पति' और 'अ' का उच्चारण करें।
“धरराधराज” और फिर “निधिपति ईश” और “शास्त्रार” कहकर पाश का नाम जाना जाता है।।३८७।।
(पहले) 'धराधर धराद् इस' कहकर फिर 'अस्त्र' शब्द बोलें।
‘धराध्रज’ कहकर फिर ‘अस्त्र’ शब्द जोड़ने से पाश नाम बनते हैं, जिन्हें बुद्धिमान लोग पहचान सकते हैं।।३८८।।
पहले 'पा' पद का उच्चारण करके, (फिर) 'निधि' और 'है' शब्द जोड़ें।
पहले ‘पय’ शब्द बोलकर फिर ‘निधि ईश’ और तत्पश्चात ‘अस्त्र’ शब्द बोलकर पाश के नामों को पहचानो।।३८९।।
दूध के सभी नाम लेते हुए (तब) अंत में 'निध', 'है'
'दुग्ध' नाम देकर फिर 'निधि ईश' जोड़कर और तत्पश्चात 'अस्त्र' शब्द बोलकर हे प्रतिभाशाली लोगों, पाश के नामों को पहचानो।।३९०।।
सबसे पहले सभी वीरों के नाम बोलें।
प्रारम्भ में सब वीरों के नाम बोलकर फिर ग्राष्टान् शब्द का उच्चारण करने से पाश के सब नाम ठीक से समझ में आ जाते हैं।।३९१।।
(पहले) जल के सभी नाम लेते हुए, (फिर) अंत में 'निधि पति' कहें।
'जल' के सब नामों को कहकर फिर 'निधिपति ईश' जोड़कर और तत्पश्चात 'अस्त्र' शब्द कहकर हे बुद्धिमान पुरुषों! पाश के सब नामों को जान लो।।३९२।।
(पहले) 'धुरी' के सभी नाम लेकर, (फिर) 'धर निधि' और 'ईस' का जाप करें।
'धूल' के सब नाम कहकर फिर 'धर निधि ईश' और 'अस्त्र' शब्द जोड़कर हे बुद्धिमान पुरुषों! पाश के नामों को पहचानो।।३९३।।
पहले 'बरीद अरि' बोलें (फिर) अंत में 'निधि' और 'इसराष्ट्र' बोलें।
प्रारम्भ में ‘वारिद अरि’ शब्द बोलकर, अन्त में ‘ईशरास्त्र’ जोड़कर और तत्पश्चात् ‘निधि’ कहकर हे बुद्धिमान् पुरुषों! पाश के नामों को पहचानो।।३९४।।
पहले 'त्रात्रान्तक' (त्रात्रि अन्तक) शब्द बोलें और फिर 'स्त्र' शब्द जोड़ें।
प्रारम्भ में ‘त्रेतान्तक’ शब्द का उच्चारण करके फिर ‘निधि ईशशास्त्र’ कहने से पाश नाम बनते हैं, जिन्हें हे बुद्धिमान् पुरुषों! तुम पहचान लो।।३९५।।
पहले 'जखि त्राणि' का पाठ करें (फिर) 'इसरास्त्र' का पाठ करें।
मुख्यतः 'जखित्रं' और अंत में 'इश्रास्त्र' शब्द का उच्चारण करते हुए पाश के सभी नामों का विकास होता रहता है।396.
पहले 'मात्स ट्रानी' कहें, (फिर) 'इस्रास्त्र' कहें।
पहले ‘मत्स्यत्राण’ कहने से और फिर ‘ईश्रास्त्र’ जोड़ने से पाश नाम बनते हैं, जिन्हें हे बुद्धिमान् पुरुषों! तुम पहचान सकते हो।।३९७।।
'मन केतु' बोलें और फिर 'त्रणि' और 'इस्त्रास्त्र' बोलें।
‘मैंकेतु’ और ‘त्राण’ कहकर फिर ‘इश्रास्त्र’ जोड़कर पाश नाम बनाये जाते हैं, जिन्हें हे बुद्धिमान् पुरुषों! तुम पहचान सकते हो।।३९८।।
सबसे पहले नीर (पानी) के सभी नाम लें और फिर 'ज' और 'तरनि' शब्द जोड़ें।
'जल' के सभी नामों को कहकर फिर 'जा, त्राण और फिर ईश्रास्त्र' शब्दों का उच्चारण करने से पाश के नाम पहचाने जाते हैं।।399।।
(पहले) 'बारीज त्राणि' कहो (फिर) 'इस्रास्त्र' शब्द कहो।
हे बुद्धिमान् लोगों! ‘वारिजत्राण’ कहकर फिर ‘ईश्रस्त्र’ जोड़कर पाश नाम बनते हैं।।४००।।
पहले 'जलज त्राणि' शब्द बोलें, फिर 'ईसरस्त्र' बोलें।
पाश के नाम पहले ‘जलजत्राण’ शब्द का उच्चारण करके फिर ‘इश्रास्त्र’ कहने से बनते हैं, जिन्हें बुद्धिमान पुरुष मन ही मन समझ लेते हैं।
'नीरज त्राणि' कहने के बाद अंत में 'इसराष्ट्र' कहें।
प्रारम्भ में ‘नीरजत्रान्’ और अन्त में ‘ईश्रास्त्र’ कहकर पाश के सभी नामों का विकास होता रहता है।।४०२।।
पहले 'कमल त्राणि' पद कहें और 'इस्त्रस्त्र' जोड़ें।
हे बुद्धिमान् पुरुषों! पाश नाम प्रारम्भ में ‘कमलत्राण’ बोलने और तत्पश्चात् ‘ईशरास्त्र’ जोड़ने से बनते हैं।403.
(पहले) 'रिपु' पद का पाठ करें और फिर 'अन्तक' (शब्द) का पाठ करें।
हे बुद्धिमान् पुरुषों! पाश के नाम पहले ‘रिपु’ शब्द का उच्चारण करके फिर ‘अन्तक’ जोड़ने से बनते हैं।
पहले 'शत्रु' शब्द का उच्चारण करें और फिर 'अंतक' शब्द जोड़ें।
हे बुद्धिमान् पुरुषों! पहले ‘शत्रु’ शब्द का उच्चारण करके फिर ‘अन्तक’ शब्द जोड़कर पाश नाम बनते हैं।।४०५।।
पहले 'खल' शब्द का उच्चारण करें और फिर अंत में 'अंतक' (पद) जोड़ें।
हे बुद्धिमान् पुरुषों! ‘खल’ शब्द कहकर अन्त में ‘यन्तक’ शब्द जोड़कर पाश नाम बनते हैं, जिन्हें तुम पहचान सकते हो।।४०६।।
आरंभ में 'धूल' शब्द बोलकर अंत में 'अंतक' बोलें।