दोहिरा
'यदि हमने पैगम्बर के विरुद्ध झूठी शपथ ली होती,
हम भी खंजरों से खुद को मार लेते।(7)
चौपाई
(बच्चों ने कहा) आपने नबी से कुछ नहीं कहा।
'तुमने पैगम्बर के खिलाफ कुछ नहीं कहा है, हमने तुम्हारा पैसा ऐंठने के लिए यह योजना बनाई है।
अब हमें बहुत सारा पैसा दे दो,
'अब हमें बहुत सारा धन दो, नहीं तो हम तुम्हें मार डालेंगे।'(८)
दोहिरा
'हमने पहले भी पेशावर शहर में कई लोगों पर आरोप लगाया है,
'और उन्हें कंगाल बना दिया।'(9)
चौपाई
(जब) प्यादों ने ये शब्द सुने,
जो जासूस यह सब सुन रहे थे, उन्होंने उन्हें झूठा करार दिया।
वह उन्हें घर से बाहर ले गया और पकड़ लिया
वे उन्हें घर से बाहर ले गए और बाँध दिया।(10)
दोहिरा
उन्हें मुक्कों और जूतों से पीटा गया,
और उन्हें बाँधकर सड़कों पर ले जाया गया।(11)
चौपाई
उन्होंने उन्हें बांध दिया और वहां ले गए
वे उन्हें घसीटकर उस स्थान पर ले गये जहां मोहब्बत खान बैठा था।
नवाब ने (उस महिला से भी) जूते मांगे।
खान ने महिला के माध्यम से उन्हें पिटवाया और फिर उन्होंने खेद व्यक्त किया।(l2)
वे जूतों की मार से मर गये।
जूतों से पीटने के कारण उनकी मौत हो गई और उन्हें नदी में फेंक दिया गया।
इस पर सभी तुर्क चुप हो गये।
इससे सभी मुसलमान शांतिपूर्ण हो गए और किसी को भी दोषी नहीं ठहराया गया।(13)
दोहिरा
फिर उसने ब्राह्मण पुरोहितों को आमंत्रित किया और उन पर दान की वर्षा की।
ऐसी ही एक कथा के माध्यम से महिला ने मुस्लिम पुजारियों को जूतों से पिटवाया।(14)
चौपाई
तब से मुलेन चुप हैं।
तब से मुस्लिम धर्मगुरुओं ने धैर्य धारण कर लिया और कभी भी कलह में लिप्त नहीं हुए।
वे वही करते थे जो हिंदू कहते थे
वे हिन्दुओं की इच्छानुसार कार्य करते थे और कभी किसी पर झूठा आरोप नहीं लगाते थे।(15)(1)
शुभ चरित्र का निन्यानवेवाँ दृष्टान्त - राजा और मंत्री का वार्तालाप, आशीर्वाद के साथ पूरा हुआ। (99)(1843)
चौपाई
रोपड़ नगर में रूपेश्वर नाम का एक महान राजा था।
रोपड़ शहर में एक उदार राजा रहता था जिसे 'राजा' कहा जाता था।
उनके घर में चित्रा कुमारी नाम की एक रानी रहती थी।
रूपेश्वर। चित्तर कुँवर उनकी रानियों में से एक थी, संसार में उसके समान सुन्दर कोई नहीं थी।(1)
लंका से एक दैत्य आया
लंका देश से एक शैतान आया, जो उसकी सुन्दरता पर मोहित हो गया।
वह मन ही मन बहुत खुश हुआ।
वह उसके प्यार में पड़ गया और उसे लगा कि वह उसके बिना जीवित नहीं रह पाएगा।(2)
फिर उसने कई मंत्रियों को बुलाया
उसने अनेक भिक्षुकों को बुलाया और उनसे कुछ जादू-टोना करवाया।
एक मुल्ला वहाँ से गुजरा।
एक मौलाना (मुस्लिम पुजारी) भी वहां आये और कुछ मंत्र पढ़े।(3)
तभी विशाल को अवसर मिला।
जब शैतान को मौका मिला तो उसने एक झटके में महल ही चुन लिया।
और दूसरे हाथ से उसे (मुल्ला को) पकड़ लिया।
एक हाथ से उसने मौलाना को अंदर धकेल दिया और दूसरे हाथ से उसे (मौलाना को) अंदर धकेल दिया।(4)
दोहिरा
उसने छत को ऊपर धकेल दिया और उसे एक खंभे के ऊपर रख दिया,
और इस प्रकार मौलाना को मार डाला और उसे मौत के लोक में भेज दिया।(5)
चौपाई
तभी एक और लड़का वहाँ आया।
तभी एक और मौलाना आया और उसने उसे पैरों से पकड़कर नीचे गिरा दिया।
(तभी) एक तीसरा मुलाना आया।
तीसरा भी आया, जिसे उसने नदी में फेंक दिया।(6)
तभी एक औरत वहाँ टहलती हुई आई।
एक महिला वहां आई और बार-बार उसकी प्रशंसा करने लगी।
उसे (विशालकाय को) विभिन्न प्रकार का भोजन दिया गया
स्वादिष्ट भोजन और मदिरा से उसने शैतान को प्रसन्न किया।(7)
अपने घर पर वह रोज दहेज देती थी
वह हर दिन वहाँ झाड़ू लगाने आती और उसे सांत्वना देती।
एक दिन बेमानी बैठ गयी।
एक दिन जब वह उदास बैठी थी, शैतान ने पूछा।(८)
तुम हमसे कुछ भी मत खाओ, न पियो
'हमारे घर में आप न खाते हैं, न पीते हैं, बस हमारी सेवा करते रहते हैं।