अब एक विदेशी सम्राट की कहानी सुनो,
जो अपनी पत्नी के पास चारपाई पर बैठा था।(3)
उसने बाहर देखा तो एक जौहरी का बेटा दिखाई दिया,
जो बहुत सुन्दर और अपनी युवावस्था के चरम पर दिखाई देता था।(4)
जब सूरज डूब गया तो उसने पुकारा,
वह सुन्दर बालक, जो सरू के वृक्ष जैसा लम्बा था।(5)
वे दोनों एक दूसरे में मग्न हो गये।
जब उन्हें होश आया तो वे डर गए। (बचने के लिए) उन्होंने एक तरकीब सोची। ६.
वे दोनों मिले, एक दूसरे को गले लगाया और एक हो गये,
उनकी सभी इंद्रियाँ, विशिष्टताएँ और विशेषताएँ।(7)
जो कोई भी उसे देखेगा, वह वास्तविकता का अंदाजा नहीं लगा सकेगा,
जैसे उसका पुरुष चेहरा महिला के रूप में प्रच्छन्न था।(८)
हर किसी ने माना कि वह एक महिला थी,
और वह स्वर्ग की परियों की तरह सुंदर थी।(९)
एक दिन राजा ने उसे देखा,
और कहा कि उसके चेहरे के भाव आकाश के चन्द्रमा के समान मनोहर हैं।(10)
तब उसे सलाह दी गई, 'तुम भाग्यशाली हो,
'तुम राजा के योग्य हो और सिंहासन पर बैठने के योग्य हो।'(11)
'तुम किसकी स्त्री हो और किसकी पुत्री हो?
'आप किस देश से हैं और किसकी बहन हैं?(12)
'आपने आंतरिक दृष्टि को भेद दिया है,
'और क्या राजा पहली नज़र में ही तुम्हारे प्यार में पड़ गया है?'(13)
अपनी दासी के द्वारा राजा ने उसे बुलाया,
और उससे कहा कि उसे अपने घर के भीतरी कक्षों में ले आओ।(14)
(राजा ने कहा था,) 'हे मेरी दासी, मैं एक सरू के समान सुन्दर वृक्ष के पास आया हूँ,
'जो यमन के आसमान से गिरा हुआ चाँद जैसा दिखता है।(15)
'मेरा दिल उसके लिए तड़प रहा है,
'यह उसी प्रकार है जैसे मछली को गंदे पोखर में डालने पर वह फड़फड़ाने लगती है।(16)
'ओह, तुम मेरी दासी-दूत हो, जो एक खिलते हुए फूल की तरह हो,
'खिलती हुई कली के पास जाओ और उसे मेरे पास ले आओ।(17)
'यदि तुम उसे मेरे लिए मेरे पास ले आओ,
'मैं तुम्हारे लिए अपने खजाने के सभी द्वार खोल दूंगा।'(18)
यह सुनकर दासी तुरन्त वहाँ से चली गई।
और सारी बातें शुरू से अंत तक बयान कीं।(19)
जब उसने दासी की पूरी बात सुनी,
वह उलझन में पड़कर व्यथा से अभिभूत हो गया।(20)
(और सोचा,) 'अगर मैं अपना रहस्य दुनिया को बता दूं,
'मेरी सारी योजनाएँ ध्वस्त हो जाएँगी।(21)
'मेरे स्त्री वेश को देखकर राजा मुझ पर मोहित हो गया है,
'हे मेरी महिला, कृपया मुझे सलाह दें कि मुझे क्या करना चाहिए?'(22)
'अगर तुम कहो तो मैं यहां से भाग जाऊंगा।
'तुरंत, आज, मैं अपनी एड़ी पर चढ़ता हूं।'(23)
(रानी ने कहा,) 'डरो मत, मैं तुम्हें उपाय बताऊंगी।
'मैं तुम्हें चार महीने तक उसकी निगरानी में रखूंगा।'(24)
फिर वे दोनों सोने की जगह पर चले गए और गहरी नींद में सो गए।
और यह समाचार सिंह हृदय राजा तक पहुंच गया।(25)
तब दासी ने राजा को सारी बात बताई।
और राजा सिर से पाँव तक क्रोध से भर गया।(२६)