उसने राजा तथा मंत्रियों को बुलाकर अनेक प्रकार के भोजन तैयार करवाये।
उसने उसमें जहर घोल दिया
उसने भोजन में जहर मिला दिया और सभी की मौत हो गई।
जब राजा (और अन्य) की मृत्यु हो गई,
जब राजा की मृत्यु हो गई, तो उसने रसोइये को बुलाया।
उसने वही भोजन ('टैम') लिया और उसे खिला दिया
उसने उसे जबरदस्ती खाना खिलाया और उसे भी मार दिया गया।(6)(1)
अट्ठावन शुभ चरित्रों का दृष्टान्त - राजा और मंत्री का वार्तालाप, आशीर्वाद सहित सम्पन्न। (58)(1074)
चौपाई
निकोदर नामक नगर में एक शाह रहता था।
हर कोई जानता था कि उसकी दो पत्नियाँ थीं।
उनके नाम थे लाड़म कुंवर और सुहाग देवी और कई अन्य
महिलाएं उनसे शिक्षा लेने के लिए उनके पास आती थीं।(1)
(वह) बनिया दूसरे देश चला गया
जब शाह विदेश गए तो उन्हें बहुत कष्ट हुआ।
(उन्होंने) विदेश में बहुत समय बिताया
वह काफी समय तक विदेश में रहे और फिर बहुत सारा धन कमाकर वापस आ गये।(2)
कुछ दिनों के बाद बनिया घर आया।
जब शाह वापस आने वाले थे, तो दोनों ने स्वादिष्ट भोजन तैयार किया।
वह सोच रहा है कि मेरे घर आएगा
एक ने सोचा कि वह उसके पास आएगा और दूसरे ने सोचा कि वह उसके पास आएगा।(3)
(रास्ते में) बनिया एक गाँव में रुका।
शाह को रास्ते में एक गांव में रोक लिया गया और यहां चोरों ने एक महिला के घर में सेंध लगा दी।
उसने एक स्त्री को जागते हुए देखा, जो अपने घर नहीं आई।
जब उसने देखा कि महिला अभी भी जाग रही है, तो वह दूसरे के घर गया।(4)
उस औरत ने सोचा कि मेरे पति आये हैं
पहली महिला को लगा कि उसका पति वापस आ गया है, लेकिन अब वह दूसरी महिला के पास चला गया था।
दोनों पति को (दूसरे के घर जाने से) रोकने लगीं।
दोनों पति को वापस अपने घर ले जाने के लिए निकल पड़े।(5)
दोहिरा
वे दोनों क्रोध में उबलकर बाहर चले गए थे।
और उन्होंने चोर को अपना पति समझकर उसे पकड़ लिया।(6)
दोनों ने दीपक जलाया और पति को पहचानने के इरादे से उसकी ओर देखा।
परन्तु उसे चोर समझकर उन्होंने उसे नगर के पुलिस प्रमुख को सौंप दिया और उसे जेल में डाल दिया।(7)(l)
शुभ चरित्र का 59वाँ दृष्टान्त - राजा और मंत्री का वार्तालाप, आशीर्वाद सहित सम्पन्न। (59)(1084)
दोहिरा
राजा रणथम्भौर बहुत ही प्रतापी शासक थे।
अमीर-गरीब सभी उनका आदर करते थे।(1)
रंग राए उनकी पत्नी थीं, जो अपनी युवावस्था के चरम पर थीं।
राजा उससे इतना प्रेम करते थे कि कामदेव भी उनका सामना करने में लज्जित होते थे।(2)
एक दिन राजा जंगल में गए,
और रंगराए को गले लगा लिया और प्यार से गले लगा लिया।(3)
राजा ने रंगराए से इस प्रकार कहा,
'जिस प्रकार मैंने दो स्त्रियों को वश में किया है, उसी प्रकार तुम दो पुरुषों को भी वश में नहीं कर सकती।(4)
चौपाई
जब कुछ समय बीत गया
कई दिन बीत गए और राजा अपनी बातचीत भूल गया।
(वह) दाढ़ी और मूंछ के बिना
वह एक ऐसे आदमी से प्यार करती थी जिसके दाढ़ी-मूंछ नहीं थी।(5)
उसने खुद को एक महिला के रूप में प्रच्छन्न किया
उसने स्त्री का वेश धारण कर लिया और राजा से इस प्रकार कहा,
कि मेरी बहन घर से आई है,
'मेरी बहन आई है, चलो, उसका सत्कार करें।(6)
दोहिरा
'हम उससे मिलने जाते हैं और उसका गर्मजोशी से स्वागत करते हैं।
'फिर उसे मेरे पास बैठाकर बहुत सारा धन दो।'(7)
राजा आगे आये और अपनी स्त्री को उसके (बहन) पास बैठने दिया।
आदरपूर्वक उसने उसे बहुत-सा धन दिया और बहुत-सी अन्य स्त्रियाँ भी वहाँ एकत्रित हो गईं।(८)
जब राजा उनके बीच बैठा तो दोनों ने एक-दूसरे को पकड़ लिया।
वे जोर-जोर से रोने लगे और एक-दूसरे के प्रति बहुत स्नेह दिखाने लगे।(९)
रंग राए ने पुरुष को स्त्री का वेश धारण कर रखा था,
और राजा को अपनी दाहिनी ओर तथा प्रेमी को बाईं ओर बैठाया।(10)
'वह मेरी बहन है और आप मेरे पूज्य पति हैं, तथा मेरे लिए उनसे अधिक प्रिय कोई दूसरा नहीं है।'
दिन के उजाले में औरतें धोखा देती हैं और हमें चुप रहना पड़ता है।(11)
क्योंकि वर्ण अद्वितीय हैं, और कोई भी उन्हें अनुभव नहीं कर सकता।
उसके रहस्यों को कोई नहीं समझ सकता, यहाँ तक कि देवता और राक्षस भी नहीं।(12)(1)
शुभ चरित्र का साठवाँ दृष्टान्त - राजा और मंत्री का वार्तालाप, आशीर्वाद सहित सम्पन्न। (60)(1066)
चौपाई
ग्वालियर में एक बनिया रहता था।
ग्वालियर में एक शाह रहता था और उसके घर में बहुत धन था।
एक चोर उसके घर आया।
एक बार जब उनके घर चोर आया तो उन्होंने अपनी पत्नी से चर्चा की।(1)