असंख्य गोमुख, झांझ, तुरही,
ढोल, मृदंग, मुचांग, नागारे (आदि)
भयानक धुनें बजने लगीं 'भभक भभक'।
योद्धाओं ने अपने धनुष खींचे और बाण चलाने लगे। 114.
वहाँ खून के गड्ढे भर गये।
उनमें से अनगिनत दिग्गज प्रकट हुए।
(वे) एक साथ 'मारो मारो' चिल्लाने लगे।
उनसे हजारों दिग्गज पैदा हुए। 115.
जब पृथ्वी पर अकाल पड़ा, तब तुमने उन्हें मार डाला।
तब खून से सनी धरती सुन्दर हो जाएगी।
असंख्य दिग्गज उठकर उनसे दूर भाग जाते
और तीर, धनुष और भाले का प्रयोग किया जाएगा। 116.
वे बहुत गुस्से के साथ आगे आते थे।
अकाल ने एक ही झटके में उन सभी को मार डाला होगा।
उनका सारा खून (पृथ्वी पर) गिरता है।
फिर (उससे) दानवों की सेना दण्ड देगी। 117.
तभी अचानक भयंकर युद्ध शुरू हो गया।
पृथ्वी के छः प्रथम लोग घोड़ों की टापों के साथ उड़ गये।
(इस प्रकार सात से) तेरह स्वर्ग बन गये
और एक ही नरक शेष रह गया। 118.
इधर भटाचार्ज (महाकाल के) यश गा रहे थे
और ढाढी सैन करखा (श्लोक) पढ़ रहे थे।
इस बीच, कॉल पर संदेह बढ़ता जा रहा था
और वह (शत्रुओं को) चाय-चाय से (अपनी इच्छानुसार) अनेक प्रकार के दुबाहियों (दोनों भुजाओं से शस्त्र चलाने) से मार रहा था।119.
उन (राक्षसों) का मांस और फल जो (पृथ्वी पर) गिरे,
वह रथियों, हाथियों और घुड़सवारों का रूप धारण कर रही थी।
(वहाँ) कितने भयानक दिग्गज पैदा हुए,
(अब) मैं उनका भली-भाँति वर्णन करता हूँ। १२०।
जिसकी एक आंख और एक ही पैर था
और उनके पास दो हजार (अर्थात्) अमित भुज थे।
उनमें से अधिकांश में पाँच पक्ष थे
और (उनके) हाथों में हथियार और कवच थे। (121)
(कई में से) एक नाक, एक पैर
और उनके एक हाथ था और वे आकाश में घूम रहे थे।
कुछ लोगों के आधे तथा कुछ के पूरे सिर मुंडे हुए थे।
कितने लोग बक्सा थामे हुए (आसमान में) दौड़ रहे थे।122.
(उनमें से) एक शराब का टैंक पी रहा है
और दुनिया में ऐसे लोग भी थे जो इंसानों को खाकर जीते थे।
(उसने) विशाल भांग के दस हजार बर्तन
पी.पी.के. युद्ध में आकर लड़ते थे। 123.
दोहरा:
बज्र बाण, बिच्छू, बाण और (अन्य) विशाल अस्त्र-शस्त्रों की वर्षा कर रहा था।
ऊँचे और नीचे, बहादुर और कायर को समान बनाया गया। 124.
चौबीस:
युद्ध का उपकरण लेकर
इतना भयानक युद्ध हुआ।
जब महान युग उग्र था,
तभी अनेक दिग्गज नष्ट हो गए।125.