(पहले) 'घणज' शब्द बोलकर फिर 'धूनी' शब्द जोड़ दो। (ये) सब बाणों के नाम हैं।
‘धनज’ शब्द बोलकर फिर ‘धन’ शब्द जोड़कर चतुर पुरुष बाण के सभी नामों को पहचान लेते हैं।
पहले 'मत्स' (मछली) शब्द का उच्चारण करें और फिर 'अच्छ' (आंख) शब्द जोड़ें।
प्रारम्भ में ‘निर्माता’ शब्द का उच्चारण करके फिर ‘अक्ष और अरि’ शब्द कहने और जोड़ने से बाण के सभी नाम ज्ञात होते हैं।।२०६।।
पहले 'मीन' का नाम लें, फिर 'चखु रिपु' शब्द बोलें।
प्रारम्भ में मीन (मछली) का नाम लेकर फिर चक्षु शब्द बोलने से बाण के सभी नाम ज्ञात हो जाते हैं।
पहले 'मकार' शब्द बोलें, फिर 'चखु रिपु पद' का सदैव उच्चारण करें।
पहले ‘मकार’ शब्द कहकर फिर ‘चक्षु’ शब्द जोड़कर हे बुद्धिमान लोगों! बाण के सब नामों को पहचानो।।208।।
पहले 'झक' शब्द बोलें और फिर 'चखु रिपु' (शब्द) बोलें।
बाण के सभी नामों को पहचानें, आरम्भ में ‘जख’ शब्द बोलकर फिर ‘चक्षु’ शब्द जोड़ें।209.
(पहले) 'सफारी नेत्र' बोलें और फिर 'अरी' शब्द का उच्चारण करें।
सफरी (मछली) और नेतर (नेतर) कहकर फिर अरि शब्द का उच्चारण करते हुए हे कवियों! बाण के सभी नामों को ठीक-ठीक समझो।
(पहले) 'मछरी चाचू' बोलें और फिर 'अरी' शब्द जोड़ें।
“मात्सुचक्षु” और “अरि” शब्द बोलकर बाण के सभी नामों को सही-सही समझें।२११.
पहले 'जलचर' बोलें, फिर 'चखू' शब्द का उच्चारण करें।
बाण के सभी नामों को पहचानिए, आरम्भ में ‘जलचर’ कहकर, फिर ‘चक्षु और अरि’ शब्द जोड़कर बोलिए।212.
(पहले) 'बक्त्रगजा' (मुंह, आंख से पहले वाला) शब्द बोलें और फिर 'मीन' और 'अरि' शब्द जोड़ें।
हे बुद्धिमान लोगों! “बक्त्रागज” शब्द बोलकर और फिर मीन शब्द जोड़कर बाण के सभी नामों को पहचानो।।२१३।।
सबसे पहले 'मीन' का नाम लें और फिर 'केतु' शब्द जोड़ें।
प्रारम्भ में ‘मीन’ नाम का उच्चारण करके फिर ‘केतु, चक्षु और अरि’ शब्द जोड़कर कहने से मन में बाण के सभी नाम पहचाने जाते हैं।
पहले 'सम्बरारी' शब्द का उच्चारण करें, फिर 'धुज' और 'चखू' शब्दों का उच्चारण करें।
हे बुद्धिमान् लोगों! बाण के नामों को पहचानो, आरम्भ में ‘सम्बरारि’ शब्द बोलकर फिर ‘चक्षुध्वज् और अरि’ शब्द बोलकर जोड़ दो।
पहले 'पिनाकी' शब्द का उच्चारण करें, फिर 'अरी', 'धुज' और 'नेत्र' शब्द जोड़ें।
मुख्यतः ‘पिनाकी’ शब्द का उच्चारण करके फिर ‘अरि’, ध्वज, नेतर और अरि’ शब्दों को जोड़कर कहने से बाण के सभी नाम सही बोले जाते हैं।
पहले पद 'महारुद्र अरिधुजा' का पाठ करें, फिर पद 'नेत्र' का पाठ करें।
'महारुद्र और अरिध्वज' शब्दों का उच्चारण करके तथा फिर 'नेतर' शब्द का उच्चारण करके मन में बाण के सभी नामों को पहचानें।
पहले 'त्रिपुरान्तक अरी केतु' बोलें और फिर 'चखु अरी' शब्द जोड़ें।
यदि ‘त्रिपुरान्तक और अरिकेतु’ शब्दों के पश्चात् ‘चक्षु-अरि’ शब्द का उच्चारण करें, तो कविगण बाण के सभी नामों को ठीक-ठीक जान लेते हैं।
पहले 'कार्तिकेय पितु' कहें, फिर 'अरि धुज नेत्र' कहें।
बाण के सभी नाम प्रारम्भ में ‘कार्तिक्य और पितर’ शब्द बोलकर तथा तत्पश्चात ‘अरि-ध्वज, नेतर और अरि’ शब्द बोलकर और जोड़कर पहचाने जाते हैं।219.
बिरल बारी करी (शत्रुओं का नाश करने वाली) बारहमासी, बहुमुखी, मजबूत,
"वैरी, विलारकर, बार-हा, बोहलंतक, वर्णानंतक, बलहा, विशिख, वीरपतन आदि।" ये सभी बाण.220 के नाम से बोले जाते हैं।
पहले 'सल्ली', फिर 'धर' और 'अरी' नाम का उच्चारण करें।
प्रारम्भ में ‘सलिल’ (जल) शब्द का उच्चारण करके तथा उसके बाद ‘धर, अरि केतु, चक्षु और अरि’ शब्द कहकर और जोड़कर बाण नाम जाना जाता है।।221।।
पहले 'कार्तिकेय' शब्द बोलें, फिर 'पीतु', 'अरि' और 'केतु' का उच्चारण करें।
बाण के सभी नामों का उच्चारण शुद्ध रूप से इस प्रकार किया जाता है कि प्रारम्भ में ‘कार्तिक्य’ शब्द बोलकर फिर क्रमशः ‘पित्र, अरि, केतु, चक्षु और अरि’ शब्द बोलकर और जोड़कर उनका उच्चारण किया जाता है।222.
पहले 'पिनाकी' और 'पानी' कहें और 'रिपु धूज चखु अरि' शब्द जोड़ें।
बुद्धिमान लोग प्रारम्भ में ‘पिनाकीपाणि’ कहकर तथा तत्पश्चात् रिपध्वज और चक्षु जोड़कर बाण के सभी नामों को अपने मन में समझ सकते हैं।
(पहले) 'पसु पति' और 'सुरिधर' कहें, फिर 'अरि' और 'धूज चखु शत्रु' कहें।
‘पशुपति, सुरधर और अरि’ इन शब्दों का उच्चारण करके तथा फिर ‘ध्वज-चक्षु और शत्रु’ इन शब्दों का उच्चारण करके बुद्धिमान लोग बाण के ये सभी नाम जानते हैं।
'पार्बतीस अरि केतु चखु' कहें और फिर 'रिपु' शब्द जोड़ें।
'पार्वतीश, अरिकेतु और चक्षु' इन शब्दों का उच्चारण करके तथा फिर 'रिपु' शब्द जोड़कर बुद्धिमान लोग बाण के सभी नामों को जानते हैं।
जो शास्त्रों के अनुसार चलते हैं और शत्रुओं का गर्व नष्ट करते हैं,
जो शस्त्र शत्रु के अहंकार को नष्ट कर देते हैं, जिन्होंने सम्पूर्ण जगत् को जीत लिया है, उन्हीं का नाम मैं भक्तिपूर्वक उच्चारण करता हूँ।।226।।
संभु (शिव) के सभी नाम लेते हुए 'अरि धुज नेत्र' का पाठ करें।
शम्भू (शिव) के सभी नामों का उच्चारण करके फिर 'अरि, ध्वज और नेतर' शब्दों का उच्चारण करके बाण के सभी नाम संगृहीत होते रहते हैं।।227।।
पहले 'शत्रु' का नाम लें और फिर 'अर्दन' शब्द जोड़ें।
प्रारम्भ में शत्रु शब्द का उच्चारण करके फिर अर्दन् शब्द का उच्चारण करने से बाण के सभी नाम विकसित होते रहते हैं।।२२८।।