सर्वप्रथम यम के पाशों के नामों का उच्चारण करके, फिर उनमें चार बार ‘हर’ शब्द और फिर उनमें ‘नृप’ शब्द जोड़ो और इस प्रकार हे श्रेष्ठ कवि! तू तुपक के नामों को जान और उनका प्रयोग स्वययास में सचेतन रूप से कर।।1285।।
पहले 'अरबलारी (आयु-शत्रु, मृत) अरि' का उच्चारण करें।
फिर 'पति' शब्द को चार बार जोड़ें।
(इसे) सभी हृदयों में एक बूँद का नाम समझो।
सबसे पहले “अरिबालारि अरि” शब्द बोलकर, “पति” शब्द चार बार जोड़ें और कुंदर्या छंद में उनका उपयोग करने के लिए तुपक के सभी नामों को जानें।१२८६।
पहले 'अर्जरि (मृत्यु) अरि' शब्द का उच्चारण करें।
फिर 'नृप' शब्द का चार बार उच्चारण करें।
फिर 'अरी' शब्द जोड़कर बुद्धिमान लोग तुपक का नाम पहचानते हैं।
सर्वप्रथम ‘अरजार अरि’ शब्द बोलें। ‘नृप’ शब्द चार बार जोड़ें तथा ‘अरि’ शब्द बोलते हुए झूलना छंद में प्रयोग करने के लिए तुपक के सभी नामों को पहचानें।1287.
सर्वप्रथम 'देहबासि (जीवन) अरि हरि' श्लोक का पाठ करें।
फिर 'नृप' शब्द को चार बार जोड़ें।
(तब) इसे बुद्धिमानों का नाम समझकर 'अरि' शब्द कहकर त्याग दो।
सर्वप्रथम “देहवासी अरि हर” शब्द बोलकर, चार बार “नृप” शब्द बोलकर, “अरि” शब्द जोड़कर तथा तुपक के नामों पर विचार करके, अरिल छंद में निर्भय होकर उनका प्रयोग करें।।1288।।
सबसे पहले 'बापूबासी' (जीवन) अरी अरी' शब्द का उच्चारण करें।
इसमें 'नृप' शब्द चार बार जोड़ें।
(फिर) 'अरि' कहकर इसे बूंद के नाम के रूप में पहचानें।
सर्वप्रथम ‘वपुवासी अरि’ शब्द बोलकर, चार बार ‘नृप’ शब्द जोड़ें तथा ‘अरि’ शब्द बोलते हुए चण्डचरीय श्लोक में प्रयोग करने के लिए तुपक के नाम जान लें।।1289।।
सबसे पहले 'तनबसि (जीवन) अरि हरि' शब्द का जाप करें।
(फिर) 'नृप' शब्द चार बार जोड़ें।
(तो) बुद्धिमानी से 'अरी' कहो! तुपक के नाम को पहचानो।
सर्वप्रथम ‘तनवासी अरि हर’ शब्द बोलकर, ‘नृप’ शब्द चार बार जोड़ें तथा ‘अरि’ शब्द बोलते हुए तुपक के नामों को पहचानकर इच्छानुसार प्रयोग करें।।१२९०।।
पहले 'असुर' शब्द का उच्चारण करें।
फिर 'पीथ' बोलें और उसके अंत में 'नृप' शब्द जोड़ें।
(इस प्रकार) 'अरि' शब्द कहकर उस बूँद के नाम से ज्ञानी को पहचानना।
पहले ‘असुर’ शब्द बोलकर, उसके बाद ‘पीत’ शब्द और फिर अंत में ‘नृप’ शब्द बोलकर, फिर अंत में ‘नृप’ शब्द बोलकर, फिर ‘अरि’ शब्द बोलकर, इच्छानुसार प्रयोग करने के लिए तुपक के नामों को पहचानें।।१२९१।।
सबसे पहले मुख से 'राचसरी' शब्द बोलें।
(फिर) इसमें 'पति' शब्द चार बार जोड़ें।
(फिर) 'अरि' शब्द बोलो और उसे अपने हृदय में उस बूँद का नाम मानो।
राक्षसी शब्द बोलकर चार बार पति शब्द जोड़कर अन्त में अरि शब्द बोलकर सबको निःसंकोच संदेश देने के लिए तुपक के नाम जान ले।।1292।।
सबसे पहले मुख से 'दंवरी' (राक्षस का शत्रु) शब्द का उच्चारण करें।
इसके अंत में 'नृप' शब्द चार बार जोड़ें।
(फिर) 'अरि' शब्द बोलकर इसे बूंद के नाम के रूप में पहचानें।
पहले दानवारी शब्द बोलकर चार बार नृप शब्द जोड़ दे और फिर अरि शब्द जोड़कर निर्भय होकर उच्चारण करने वाले को तुपक नाम जान।।१२९३।।
सबसे पहले 'अमरर्दन (विशाल) अरी' शब्द का उच्चारण करें!
इसके अंत में तीन बार 'नृप' शब्द लिखें।
(फिर) 'अरि' शब्द बोलकर बूंद के नाम पर विचार करो।
सर्वप्रथम ‘अमरर्दन अरि’ शब्द कहकर, अन्त में तीन बार ‘नृप’ शब्द जोड़कर फिर ‘अरि’ शब्द का उच्चारण करके सबको उपदेश देने के लिए तुपक के सभी नामों को जान ले।।1294।।
सर्वप्रथम 'स्क्र' (इन्द्र) शब्द का उच्चारण करें।
फिर 'अरी' 'अरी' बोलें और 'पति' शब्द चार बार जोड़ें।
इसके अंत में 'शत्रु' शब्द बोलें।
पहले ‘साकार’ शब्द बोलकर, फिर ‘अरि’ शब्द जोड़कर, फिर चार बार ‘पति’ शब्द बोलकर, फिर अंत में ‘शत्रु’ शब्द जोड़कर, चतुराई से तुपक के सभी नाम जान लें।।1295।।
सर्वप्रथम 'सत् कृत (इन्द्र) अरि अरि' शब्द का जाप करें।
इसमें 'नृप' शब्द चार बार जोड़ें।
इसके अंत में 'शत्रु' शब्द बोलें।
“सत्कृत् अरि अरि” शब्द कहकर चार बार “नृप” शब्द जोड़कर अन्त में “शत्रु” शब्द जोड़कर तुपक नाम जानें।।१२९६।।
सर्वप्रथम 'सचि पतिरि (इन्द्र का शत्रु राक्षस) अरि' का जाप करें।
इसमें 'नृप' शब्द चार बार जोड़ें।
फिर बूंद का नाम 'अरी' बोलो! पहचानो