तभी अर्थ राय आगे आया और उससे झगड़ा करने लगा।
फिर उस महिला ने चार तीर छोड़े
महिला ने चार तीर चलाकर उसके चार घोड़ों को मार डाला।(38)
फिर उसने रथ को काट डाला और सारथि को मार डाला
फिर उसने रथों को काट डाला और सारथी को मार डाला।
उसे बेहोश करके पकड़ लिया
उसने उसे (अर्थराय को) अचेत कर दिया और विजय का ढोल बजाया।(३९)
उसे बांधकर घर ले आए
वह उसे बांधकर घर ले आई और खूब सारा धन बांटा।
जीत के दरवाजे पर घंटी बजने लगी।
उसके दरवाजे पर लगातार विजय के नगाड़े बज रहे थे और लोग खुशी से झूम रहे थे।(40)
दोहिरा
वह अपने पति को कालकोठरी से बाहर लायी और उसे सब कुछ बताया।
उसने पगड़ी और घोड़ा सौंप दिया और उसे अलविदा कहा।(41)(1)
शुभ चरित्र का छियालीसवाँ दृष्टान्त - राजा और मंत्री का वार्तालाप, आशीर्वाद सहित पूर्ण हुआ। (९६)(१७२४)
दोहिरा
सियालकोट देश में सलवान नाम का एक राजा रहता था।
वह छह शास्त्रों में विश्वास करते थे और हर किसी से प्रेम करते थे।(1)
त्रिपारी उनकी पत्नी थीं, जो पूरे वर्ष देवी भवानी की पूजा करती थीं।
दिन के आठ पहर.(2)
चौपाई
जब बिक्रम को पता चला यह राज
जब राजा बिक्रम को उनके बारे में पता चला तो उसने बड़ी सेना के साथ हमला कर दिया।
सलबान को बिलकुल भी डर नहीं लगा
सलवान डरे नहीं और अपने बहादुर साथियों के साथ दुश्मन का सामना किया।(3)
दोहिरा
तब देवी चण्डिका ने राजा से कहा,
'तुम मिट्टी की मूर्तियों की एक सेना तैयार करो, और मैं उनमें प्राण डाल दूँगा।'(4)
चौपाई
देवी चण्डिका ने वही किया जो उन्होंने कहा था।
उन्होंने विश्वमाता के आदेशानुसार कार्य किया और एक मिट्टी की सेना तैयार की।
चण्डी ने कृपापूर्वक उन्हें देखा
चण्डिका की कृपा से वे सभी लोग अस्त्र-शस्त्र से सुसज्जित होकर उठ खड़े हुए।(5)
दोहिरा
मिट्टी के बने हुए रूपों में से सैनिक बड़े क्रोध में जाग उठे।
कुछ पैदल सैनिक बन गए और कुछ ने राजा के घोड़े, हाथी और रथ ले लिए।(6)
चौपाई
शहर में तेज आवाज में संगीत बजने लगा
जब निडर लोग दहाड़ रहे थे, तब नगर में तुरही बज रही थी।
वे कहते हैं, भले ही हम टुकड़े-टुकड़े हो जाएं,
और उन्होंने पीछे न हटने का दृढ़ निश्चय किया।(7)
दोहिरा
इस निश्चय के साथ उन्होंने (शत्रु) सेना पर धावा बोला,
और उन्होंने बिक्रिम की सेनाओं को हिला दिया।(8)
भुजंग छंद
अनेक रथी मारे गये और अनगिनत हाथी ('कारी') मारे गये।
कितने ही सुसज्जित शाही घोड़े नष्ट कर दिये गये।
उस युद्धभूमि में लड़ते हुए अनगिनत योद्धा मारे गये।