श्री दशम ग्रंथ

पृष्ठ - 667


ਨਹੀ ਮੁਰਤ ਅੰਗ ॥੩੯੫॥
नही मुरत अंग ॥३९५॥

ਅਤਿ ਛਬਿ ਪ੍ਰਕਾਸ ॥
अति छबि प्रकास ॥

ਨਿਸਿ ਦਿਨ ਨਿਰਾਸ ॥
निसि दिन निरास ॥

ਮੁਨਿ ਮਨ ਸੁਬਾਸ ॥
मुनि मन सुबास ॥

ਗੁਨ ਗਨ ਉਦਾਸ ॥੩੯੬॥
गुन गन उदास ॥३९६॥

ਅਬਯਕਤ ਜੋਗ ॥
अबयकत जोग ॥

ਨਹੀ ਕਉਨ ਸੋਗ ॥
नही कउन सोग ॥

ਨਿਤਪ੍ਰਤਿ ਅਰੋਗ ॥
नितप्रति अरोग ॥

ਤਜਿ ਰਾਜ ਭੋਗ ॥੩੯੭॥
तजि राज भोग ॥३९७॥

ਮੁਨ ਮਨਿ ਕ੍ਰਿਪਾਲ ॥
मुन मनि क्रिपाल ॥

ਗੁਨ ਗਨ ਦਿਆਲ ॥
गुन गन दिआल ॥

ਸੁਭਿ ਮਤਿ ਸੁਢਾਲ ॥
सुभि मति सुढाल ॥

ਦ੍ਰਿੜ ਬ੍ਰਿਤ ਕਰਾਲ ॥੩੯੮॥
द्रिड़ ब्रित कराल ॥३९८॥

ਤਨ ਸਹਤ ਸੀਤ ॥
तन सहत सीत ॥

ਨਹੀ ਮੁਰਤ ਚੀਤ ॥
नही मुरत चीत ॥

ਬਹੁ ਬਰਖ ਬੀਤ ॥
बहु बरख बीत ॥

ਜਨੁ ਜੋਗ ਜੀਤ ॥੩੯੯॥
जनु जोग जीत ॥३९९॥

ਚਾਲੰਤ ਬਾਤ ॥
चालंत बात ॥

ਥਰਕੰਤ ਪਾਤ ॥
थरकंत पात ॥

ਪੀਅਰਾਤ ਗਾਤ ॥
पीअरात गात ॥

ਨਹੀ ਬਦਤ ਬਾਤ ॥੪੦੦॥
नही बदत बात ॥४००॥

ਭੰਗੰ ਭਛੰਤ ॥
भंगं भछंत ॥

ਕਾਛੀ ਕਛੰਤ ॥
काछी कछंत ॥

ਕਿੰਗ੍ਰੀ ਬਜੰਤ ॥
किंग्री बजंत ॥

ਭਗਵਤ ਭਨੰਤ ॥੪੦੧॥
भगवत भनंत ॥४०१॥

ਨਹੀ ਡੁਲਤ ਅੰਗ ॥
नही डुलत अंग ॥

ਮੁਨਿ ਮਨ ਅਭੰਗ ॥
मुनि मन अभंग ॥

ਜੁਟਿ ਜੋਗ ਜੰਗ ॥
जुटि जोग जंग ॥

ਜਿਮਿ ਉਡਤ ਚੰਗ ॥੪੦੨॥
जिमि उडत चंग ॥४०२॥

ਨਹੀ ਕਰਤ ਹਾਇ ॥
नही करत हाइ ॥

ਤਪ ਕਰਤ ਚਾਇ ॥
तप करत चाइ ॥

ਨਿਤਪ੍ਰਤਿ ਬਨਾਇ ॥
नितप्रति बनाइ ॥

ਬਹੁ ਭਗਤ ਭਾਇ ॥੪੦੩॥
बहु भगत भाइ ॥४०३॥

ਮੁਖ ਭਛਤ ਪਉਨ ॥
मुख भछत पउन ॥

ਤਜਿ ਧਾਮ ਗਉਨ ॥
तजि धाम गउन ॥

ਮੁਨਿ ਰਹਤ ਮਉਨ ॥
मुनि रहत मउन ॥

ਸੁਭ ਰਾਜ ਭਉਨ ॥੪੦੪॥
सुभ राज भउन ॥४०४॥

ਸੰਨ੍ਯਾਸ ਦੇਵ ॥
संन्यास देव ॥

ਮੁਨਿ ਮਨ ਅਭੇਵ ॥
मुनि मन अभेव ॥

ਅਨਜੁਰਿ ਅਜੇਵ ॥
अनजुरि अजेव ॥

ਅੰਤਰਿ ਅਤੇਵ ॥੪੦੫॥
अंतरि अतेव ॥४०५॥

ਅਨਭੂ ਪ੍ਰਕਾਸ ॥
अनभू प्रकास ॥

ਨਿਤਪ੍ਰਤਿ ਉਦਾਸ ॥
नितप्रति उदास ॥

ਗੁਨ ਅਧਿਕ ਜਾਸ ॥
गुन अधिक जास ॥

ਲਖਿ ਲਜਤ ਅਨਾਸ ॥੪੦੬॥
लखि लजत अनास ॥४०६॥

ਬ੍ਰਹਮੰਨ ਦੇਵ ॥
ब्रहमंन देव ॥

ਗੁਨ ਗਨ ਅਭੇਵ ॥
गुन गन अभेव ॥

ਦੇਵਾਨ ਦੇਵ ॥
देवान देव ॥


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