पहले कहें 'मृग अरि नदनी' और अंत में कहें 'रिपु अरि'।
प्रारम्भ में ‘मृग-अरि-नादनि’ शब्द बोलकर अन्त में ‘रिपु अरि’ शब्द लगाने से तुपक नाम बनते हैं, जिन्हें हे कवियों! तुम भलीभाँति समझो।।६२२।।
पहले 'सिन्गि अरि ध्वनि' बोलें और अंत में 'रिपु अरि' बोलें।
प्रारम्भ में ‘श्रंगि-अरी-धननि’ शब्द बोलकर अन्त में ‘रिपु आरति’ जोड़ने से तुपक नाम बनते हैं। ६२३.
पहले कहें 'मृगी अरि नादनी' और अंत में कहें 'रिपु अरि'।
प्रारम्भ में ‘मृग-अरि-नादिनि’ शब्द बोलकर अन्त में ‘रिपु अरि’ शब्द लगाने से तुपक नामों का ठीक-ठीक अर्थ हो जाता है।६२४।
(पहले) 'तृण अरि नादनि' (हिरण के शत्रु सिंह की ध्वनि के साथ) बोलो और फिर 'रिपु' शब्द बोलो।
‘तृणि-अरि-नादिनि’ कहकर और फिर ‘रिपु’ जोड़कर बुद्धिमान् मन से तुपक के नामों को पहचाना जाता है।
पहले 'भूचरी' (भूमि पर चलने वाले पशु) बोलें और फिर अंत में 'रिपु अरि' शब्द जोड़ें।
प्रारम्भ में ‘भूचरी’ शब्द बोलकर अन्त में ‘रिपु अरि’ कहने से तुपक नाम बनते हैं।६२६।
पहले 'सुभत' शब्द बोलें और अंत में 'शत्रु' शब्द जोड़ें।
प्रारम्भ में ‘सुभट्’ शब्द बोलकर अन्त में ‘शत्रु’ शब्द जोड़ने से तुपक नाम बनते हैं।627.
पहले 'शत्रु' शब्द का उच्चारण करके अंत में 'अन्तक' शब्द बोलें।
प्रारम्भ में शत्रु शब्द का उच्चारण करके फिर अन्त्यन्तक शब्द जोड़ने से तुपक नाम बनते हैं।628.
पहले 'शत्रु' शब्द का उच्चारण करें, फिर अंत में 'सुलनी' शब्द का उच्चारण करें।
प्रारम्भ में शत्रु शब्द बोलकर अन्त में सूलानि शब्द जोड़ने से तुपक नाम बनते हैं।629.
पहले 'जुधानी' शब्द बोलें, फिर 'अंतकानी' शब्द बोलें।
प्रारम्भ में ‘युद्धाणी’ शब्द बोलकर फिर ‘अन्तकाणी’ शब्द जोड़ने से तुपक नाम बनते हैं।६३०.
प्रथम शब्द 'ब्रम' (कवच) बोलने के बाद अंत में 'बेधानी' शब्द बोलें।
प्रारम्भ में ‘वरम्’ शब्द बोलकर अन्त में ‘वेधानि’ शब्द जोड़कर ‘वरमवेधारी तुपक’ नाम बोला जाता है।।631।।
पहले 'आकर्षण' (ढाल) शब्द बोलें, फिर 'घाइनी' शब्द जोड़ें।
प्रारम्भ में “चरम” शब्द बोलकर फिर “घयानी” शब्द जोड़ने से “चरम-घयानी तुपक” नाम की मान्यता होती है।632.
पहले 'द्रुजं' शब्द बोलने के बाद अंत में 'बच्छणी' शब्द बोलें।
प्रारम्भ में ‘दुर्जन’ शब्द बोलकर अन्त में ‘घयानि’ शब्द बोलने से ‘दुर्जन-भक्षणी तुपक’ नाम का ठीक अर्थ होता है।।६३३।।
पहले 'खल' शब्द का उच्चारण करें, फिर 'हा' शब्द जोड़ें।
प्रारम्भ में ‘खल’ शब्द बोलकर फिर ‘हा’ शब्द बोलकर तुपक नाम का बोध करें।
पहले 'दुस्तान' शब्द बोलकर अंत में 'रिपुनी' जोड़ें।
हे कुशल पुरुषों! प्रारम्भ में ‘दुष्टान्’ शब्द बोलकर अन्त में ‘रिपुणि’ शब्द जोड़कर तुपक नाम बनते हैं।।635।।
पहले 'रिपुनि' शब्द बोलें, फिर 'खिपनि' शब्द बोलें।
प्रारम्भ में ‘रिपुणि’ शब्द बोलकर फिर ‘खिपानी’ शब्द जोड़ने से तुपक नाम बनते हैं।६३६.
साथ, सफ़नी, तुपक, जबर जंग, हत्था,
नाल, सैफनी, तुपक, जबरजंग, हथनाल, सुतारनाल, घुरनाल, चूर्ण-पार-ज्वाल भी तुपक के नाम हैं।637।
पहले 'जुअल' शब्द का उच्चारण करें, फिर अंत में 'धरनी' (धारण) का उच्चारण करें।
प्रारम्भ में ‘ज्वाल’ शब्द बोलकर फिर ‘धरणी’ शब्द बोलने से तुपक नाम बनते हैं।638.
पहले 'अन्लु' (अग्नि) शब्द का उच्चारण करें, फिर अंत में 'चोदनी' कहें।
प्रारम्भ में ‘अनिल’ शब्द बोलकर अन्त में ‘छोड़नि’ शब्द जोड़ने से तुपक नाम बनते हैं।639.
सबसे पहले 'जुआला बामनी' (अग्नि-श्वास वाला) कहकर अच्छा हृदय प्राप्त करें!
प्रारम्भ में ‘ज्वालावामनी’ शब्द का उच्चारण करके फिर मन में चिन्तन करने पर तुपक नामों का बोध होता है।640.
पहले 'घन' (परिवर्तन) शब्द बोलें, फिर अंत में 'ध्वनि' शब्द बोलें।
हे बुद्धिमान् पुरुषों! प्रारम्भ में ‘घन’ शब्द का उच्चारण करके और अन्त में ‘धुनानि’ शब्द का उच्चारण करके तुपक नाम बनते हैं।।641।।
पहले 'घन' (परिवर्तन) शब्द बोलें (फिर) अंत में 'नदनी' शब्द का उच्चारण करें।
प्रारम्भ में ‘घन’ और अन्त में ‘नादिनी’ शब्द बोलने से तुपक नाम बनते हैं।642.
पहले 'बारीद' (परिवर्तन) शब्द बोलकर अंत में 'सबदनी' शब्द बोलें।
प्रारम्भ में ‘वारीद’ शब्द और अन्त में ‘धबदनी’ शब्द बोलने से तुपक नाम बनते जाते हैं।643.
पहले 'मेघं ध्वनानि' बोलें और फिर 'रिपु अरि' बोलें।
हे बुद्धिमान् पुरुषों! प्रारम्भ में ‘मेघन-धननि’ शब्द कहकर फिर ‘रिपु अरि’ शब्द कहने से तुपक नाम बनते हैं।।६४४।।
पहले मेघना सब्दनी बक्ट्र (मुखपत्र) का उच्चारण करें।
प्रारम्भ में ‘मेघषड्डनि’ शब्द का उच्चारण करने से तुपक नाम भी बनते हैं, जिनका सही अर्थ लगाया जा सकता है।६४५।