उसने मन ही मन निश्चय किया, ‘मैं अब उसके लिए कोई धन-संपत्ति नहीं छोडूंगा।’(5)
दोहिरा
उसने प्रेमी की ओर से एक पत्र लिखा,
और एक मित्र के माध्यम से उस महिला को भेजा।(6)
चौपाई
जब उसने पूरा पत्र खोलकर पढ़ा
जब उसने पत्र सुना और उसमें प्रेमी का नाम सुना तो उसने उसे गले लगा लिया।
यार ने उसे यह लिखा
प्रेमी ने कहा था कि उसके बिना वह बहुत कष्ट में है।(7)
पत्र में यह भी लिखा गया
पत्र में लिखा था, 'मैं तुम्हारे बिना खोया हुआ हूं,
मेरा चेहरा खुद ही ले लो
'अब आपको मेरी देखभाल करनी होगी और मुझे जीने के लिए कुछ पैसे भेजने होंगे।'(8)
दोहिरा
यह सब सुनकर मूर्ख स्त्री बहुत प्रसन्न हुई।
और सोचा, 'मैं बहुत भाग्यशाली हूं कि मेरे प्रेमी ने मुझे याद रखा है।'(९)
चौपाई
किसी को भेजकर महिला को यह बात समझाई
महिला ने दूत से कहा, 'मैंने पत्र में स्पष्ट कर दिया है,
वह भोर होते ही वापस आ जाएगा
'उसे सुबह-सुबह घर के पीछे आकर दो बार ताली बजानी चाहिए।'(10)
जब तुम अपने कानों से ताली की आवाज सुनोगे
'जब मैं अपने कानों से ताली की आवाज सुनूंगा, तो तुरंत उस स्थान पर जाऊंगा।
बैग को दीवार पर रख दो।
'मैं थैला (जिसमें पैसे हैं) दीवार पर रख दूंगी और मैं आग्रह करूंगी कि वह इसे ले जाए।(11)
सुबह उसने ताली बजाई।
सुबह उसने ताली बजाई, जिसे महिला ने सुना,
(उसने) बैग दीवार पर रख दिया।
उसने सामान इकट्ठा करने के लिए थैला दीवार पर रख दिया, लेकिन अभागी को रहस्य का पता नहीं चला।(12)
दोहिरा
इस क्रिया को छह-सात बार दोहराने से उसकी सारी सम्पत्ति नष्ट हो गई।
और मूर्ख स्त्री असली रहस्य को नहीं समझ सकी।
चौपाई
इस प्रयास से (उस गुज्जर ने) सारा धन खो दिया।
इस मार्ग पर आगे बढ़ते हुए, रानी धनहीन हो गयीं।
(वह) धन मित्रा के हाथ में नहीं आया।
न तो मित्र को कुछ प्राप्त हुआ, बल्कि बिना किसी उद्देश्य के उसका सिर मुण्डवा दिया गया (अपमान का सामना करना पड़ा)।(14)(1)
शुभ चरित्र का 83वाँ दृष्टान्त - राजा और मंत्री का वार्तालाप, आशीर्वाद सहित सम्पन्न। (83)(1487)
दोहिरा
महाराष्ट्र देश में महाराष्ट्र नाम का एक राजा रहता था।
वह कवियों और विद्वानों पर खूब खर्च करता था।(1)
चौपाई
उनकी इंद्रा मति नाम की एक पटरानी थी।
इन्द्रमती उनकी वरिष्ठ रानी थीं, जो संसार में सबसे सुन्दर मानी जाती थीं।
राजा अपने निवास में रहते थे।
राजा हमेशा उसके आदेश के अधीन रहता था और वह उसके आदेशानुसार कार्य करता था।(2)
दोहिरा
मोहन सिंह द्रविड़ देश के राजा के पुत्र थे।