नाम-माला पुराण में "चक्र का नाम" नामक दूसरे अध्याय का अंत।
अब श्री बाण (बाण) का वर्णन शुरू होता है।
दोहरा
बिसिख (बाण) बाण, सर, धनुज (धनुष, बाण से उत्पन्न) को 'कवचन्तक' (कवच-भेदक, बाण) नामों से पुकारा जाता है।
हे धनुषपुत्र और कवच को नष्ट करने वाले महान बाण! हमें विजय प्रदान करो और हमारे कार्य पूर्ण करो।
पहले 'धनुख' शब्द का उच्चारण करें और फिर 'अग्रज' (धनुष से आगे की ओर तीर) शब्द का उच्चारण करें।
पहले धनुष और फिर अग्रज शब्द का उच्चारण करने से बाण के सभी नाम सही-सही समझ में आ जाते हैं।76.
पहले 'पंच' (धनुष) शब्द का उच्चारण करें और फिर 'अग्रज' शब्द का उच्चारण करें।
पहले 'पनाच' और फिर 'अग्रज' शब्द के उच्चारण से बाण के सभी नाम विकसित होते चले गये।
(पहले) 'निखंग' (भट्ठा) नाम का उच्चारण करें और फिर 'बासी' (निवासी) शब्द का उच्चारण करें।
निखंग के नामों का उच्चारण करके फिर वंशी का वर्णन करने से बाण के सभी नाम ज्ञात हो जाते हैं।78.
सभी मृगयानों (पशुओं) के नाम बोलें और फिर 'हा' शब्द का उच्चारण करें।
सभी मृगों के नाम लेकर फिर ‘हा’ शब्द का उच्चारण करने पर बाण के सभी नाम मन में याद आ जाते हैं। ७९।
'कवच' के सभी नाम लें और फिर 'भेदक' (भेदक) शब्द बोलें।
कवच के सभी नामों का उच्चारण करने के बाद उनके साथ भेदक शब्द जोड़ने पर बाण के सभी नाम विकसित होते हैं।80.
पहले 'आकर्षण' (ढाल) का नाम बोलें और फिर 'छेदक' (छेदक) शब्द बोलें।
'चरम' नाम का उच्चारण करके और फिर 'छेदक' शब्द जोड़कर बुद्धिमान लोग मन में बाण के सभी नामों को जान लेते हैं। ८१।
पहले 'सुभट' (सूरमा) नाम का उच्चारण करें और फिर 'हा' शब्द का उच्चारण करें।
‘सुभट्’ नाम का उच्चारण करके फिर ‘हा’ शब्द जोड़कर बुद्धिमान लोग बाण के सभी नाम बताते हैं।
सभी पक्षियों के नाम बोलें और फिर 'पर' (वारी) शब्द बोलें।
सब पक्षियों के नाम लेकर उनके साथ ‘पर’ शब्द जोड़कर बुद्धिमान लोग बाण का नाम पहचान लेते हैं।
पक्षी, परी (पंखों वाली) स्पंखा (पंखों वाली) पच्छीधर (पंखों वाला) (कहते हुए) फिर 'अन्तक' (समापन) शब्द बोलें।
पक्षी, परेश और पंखधर शब्दों के साथ अन्तक शब्द जोड़ने पर बाण के सभी नाम मन में पहचाने जाते हैं।
आकाश के सभी नाम बोलें और फिर 'चर' (फैलाने वाला) पद बोलें।
'आकाश' के सब नामों का उच्चारण करके फिर 'चर' शब्द का उच्चारण करके बुद्धिमान लोग बाण के सब नामों को पहचान लेते हैं।
ख्, आकाश, नभ और गगन (शब्द) बोलें और फिर 'चर' (चलना) शब्द का उच्चारण करें।
‘खे, आकाश, नभ और गगन’ इन शब्दों को बोलकर फिर ‘चर’ शब्द का उच्चारण करने से बुद्धिमान् लोग बाण के सभी नामों को ठीक-ठीक समझ सकते हैं।
आकाश, सिपिहर, दिव और फिर गर्दुन (घूमता आकाश) (शब्द) बोलें।
आसमान, सिपिहिर, दिव, गर्दूण आदि शब्द बोलने के बाद फिर चर शब्द बोलने से बाण नाम प्रसिद्ध होते हैं।
पहले चन्द्रमाओं के नाम बोलें, फिर 'धर' शब्द जोड़ें।
प्रारम्भ में ‘चन्द्र’ शब्द बोलकर फिर ‘देह’ शब्द जोड़कर तथा बाद में ‘चर’ शब्द बोलने से बाण नाम बनते हैं। ८८।
हे मारीच, हे किरण, हे छत्रधर (प्रकाश धारण करने वाला चंद्रमा) जाओ, (तब) मन में 'धर' शब्द बोलो।
'गो, मारीच, किरण, छत्ताधार आदि' शब्दों के अंत में 'चर' शब्द जोड़ने पर बाण नाम बनते हैं।
(पहले) 'रजनिसार' (चन्द्रमा) 'दिन्हा' (दिन का नाश करनेवाला) (शब्द) कहो, फिर (दो बार) 'धर धर' शब्द कहो।
'रजनीश्वर और दिन्हा' शब्दों का उच्चारण करने के बाद अंत में 'धुरंधर' शब्द जोड़ने पर बाण के नाम विकसित होते हैं।90.
रात्रि, निसा, दिन घटनी बोलने के बाद 'चर' और 'धर' पद बोलें।
रात्रि, निशा और दिनघातिनी सहित चारधार शब्द बोलने से बाण के सभी नाम विकसित होते हैं।
'शसि उपरजनि' (चन्द्रमा का निर्माता) और 'रवि हरणी' (सूर्य का नाश करने वाला) (पहले ये शब्द बोलें, फिर) 'चर' शब्द का प्रयोग करें।
रात्रि नाम के उच्चारण के बाद चर शब्द बोलने से तथा उसके बाद धर शब्द बोलने से बाण के सभी नाम याद आ जाते हैं।92.
रण अंधपति', 'महा निष्पति', 'निसि-इसर', 'निसि राज' और 'चंद्र',
रात्रि, अन्धकारपति, निष्पति आदि शब्द चन्द्रबाण नाम से प्रसिद्ध हैं, जो चन्द्रमा रूप में होकर अन्धकार में डूबे हुए रूपों का संहार करते हैं।
किरण के सभी नाम बोलें और फिर 'धर' शब्द का उच्चारण करें।
समस्त किरणों के नाम बोलकर फिर ‘धर’ शब्द का उच्चारण करके तथा तत्पश्चात् पुनः ‘धर’ शब्द का उच्चारण करने से बाण के समस्त नाम ज्ञात हो जाते हैं।
सभी महासागरों के नाम लें और अंत में 'सुत' शब्द बोलें।
समुद्र के सभी नामों का उच्चारण करके, अंत में शतदेह शब्द जोड़कर तथा बाद में धार शब्द का उच्चारण करने से बाण के सभी नाम सामने आ जाते हैं।
(पहले) 'जलपति', 'ज्लालै' (पानी का स्थान) 'नदी पति' (शब्द) बोलें और फिर 'सुत' शब्द जोड़ें।
समुद्र शब्द के उच्चारण के बाद शतदेह शब्द जोड़कर तथा उसके बाद धार शब्द का उच्चारण करने से बाण के सभी नाम समझ में आ जाते हैं।
(पहले) 'निरालै' 'सरताधिपति' (शब्द) बोलें और फिर 'सुत' शब्द जोड़ें।
'नीरल्य और सरिताधपति' शब्दों का उच्चारण करके तत्पश्चात 'शत्' शब्द जोड़कर तथा तत्पश्चात 'धर' कहकर बाण का नाम बोला जाता है।
सभी झखन (मछलियों) का नाम लें और एक बार 'बिरिया' (सुख देने वाली) कहें।
एक बार समस्त विवादों का नामकरण करके फिर 'शतधार' शब्द बोलने से बाण के अनेक नाम विकसित हो जाते हैं।98.