सबसे पहले 'धरा' शब्द बोलें।
उसके बाद 'इन्द्र' (भाला) शब्द जोड़ें।
फिर 'पृष्ठानी' शब्द का उच्चारण करें।
प्रारम्भ में ‘धरा’ शब्द बोलकर फिर ‘इन्द्र’ शब्द बोलकर और तदनन्तर ‘प्रस्थानि’ शब्द जोड़कर तुपक के सभी नाम समझ में आ जाते हैं।।७०६।।
पहले 'धरा' शब्द का उच्चारण करें।
अंत में 'माता-पिता' शब्द पर विचार करें।
इसके बाद 'पृष्ठानि' शब्द का उच्चारण करें।
पहले ‘धरा’ शब्द बोलकर, फिर ‘पालक’ शब्द जोड़कर, फिर ‘पालक’ शब्द बोलकर और फिर ‘प्रस्थनी’ शब्द बोलकर, तुपक के सब नाम जाने जाते हैं।।७०७।।
पहले 'तारुज' (भाले से उत्पन्न लकड़ी) शब्द बोलो।
इसके अंत में 'नाथ' शब्द लिखें।
फिर 'पृष्ठानि' शब्द बोलें।
प्रारम्भ में ‘तरुज’ शब्द बोलकर, ‘नाथ’ शब्द जोड़कर, फिर ‘प्रस्थानि’ शब्द बोलकर, तुपक नामों को समझो ।।७०८।।
पहले शब्द 'द्रुमाज' रखें।
फिर 'हीरो' शब्द जोड़ें।
अंत में 'प्रस्थानि' शब्द बोलें।
प्रारम्भ में ‘द्रुमज’ शब्द लगाकर फिर ‘नायक’ शब्द जोड़कर तथा अन्त में ‘प्रस्थानि’ शब्द जोड़कर तुपक के सभी नामों का बोध होता है।।७०९।।
सबसे पहले 'फल' शब्द का उच्चारण करें।
उसके बाद 'हीरो' शब्द जोड़ें।
फिर आप 'प्रस्थानि' शब्द बोलते हैं।
पहले ‘फल’ शब्द का, फिर ‘नायक’ शब्द का और फिर ‘प्रस्थनी’ शब्द का उच्चारण करने से तुपक के सभी नाम समझ में आ जाते हैं।
सर्वप्रथम 'त्रुज' (ब्रीच्छ से उत्पन्न लकड़ी) का जाप करें।
फिर 'राज्य' शब्द जोड़ें।
इसके बाद 'पृस्थानि' शब्द रखें।
प्रारम्भ में ‘तरुज’ शब्द बोलकर फिर ‘राज’ और ‘प्रस्थनी’ शब्द जोड़कर मन में तुपक (तुफांग) नाम का ज्ञान होता है।।७११।।
सर्वप्रथम 'धरणीजा' (पृथ्वी-जनित) शब्द बोलें।
उसके बाद 'चूहा' शब्द जोड़ें।
अंत में 'प्रस्थानि' शब्द लगाएं।
‘धरनी जा’ कहकर फिर ‘रात’ शब्द जोड़कर और तदनन्तर ‘प्रस्थनी’ शब्द जोड़कर तुपक के सभी नामों को समझें।
सबसे पहले 'वृश्चिक' शब्द का वर्णन करें।
उसके बाद राजा शब्द जोड़ें।
अंत में 'प्रिस्थानि' शब्द का उच्चारण करें।
प्रारम्भ में ‘वृक्षज’ शब्द बोलकर फिर ‘राजा’ और ‘प्रस्थानि’ शब्द जोड़कर तुपक के सम्पूर्ण नामों को समझो।।७१३।।
प्रथम पद राखिए 'तरु रूह अनुज'।
फिर 'हीरो' शब्द बोलें।
अंत में ``प्रिस्थानि'' शब्द लिखें।
प्रारम्भ में ‘तरु-रूहा-अनुज’ शब्द बोलकर फिर ‘नायक’ और ‘प्रस्थनी’ शब्द जोड़कर तुपक के नये नाम बनते हैं।७१४.
दोहरा
पहले मुख से 'तरु रुह पृष्ठानि' (शब्द) बोलें।
हे बुद्धिमान् पुरुषों! ‘तरु-रूहा-प्रस्थानि’ शब्दों को कहकर तुपक के नामों को समझा जा सकता है।
हे कवि! पहले 'कुण्डनी' शब्द का मौखिक उच्चारण करो।
हे श्रेष्ठ कवि! अपने मुख से “कुण्डनी” शब्द का उच्चारण करो, जिससे तुपक आदि नाम ठीक-ठीक बनते हैं।
अधिचोल
सर्वप्रथम 'कास्त कुण्डनी' शब्द का उच्चारण करें।
तुपक के नाम “काष्ठ-कुण्डनी” शब्द के उच्चारण से पहचाने जाते हैं
अपने मुख से 'बृच्छज बसनी' शब्द का उच्चारण करें।
मुख से “वृक्षजवासिनी” शब्द कहते हुए, हृदय में तुपक के नाम जाने जाते हैं।।७१७।।
पहले 'धरेस' बोलें और अंत में 'राजा' बोलें।
‘धर-ईश्वरजा’ शब्द बोलकर उसके बाद ‘कुण्डनी’ शब्द जोड़ना,