ऐसी बुरी दुर्दशा होने पर भी अघोरसिंह भागा नहीं और कृष्ण का सामना करके बिना लज्जित हुए बोला।।1204।।
चौपाई
श्री कृष्ण की उपस्थिति में उन्होंने कहा,
उसने कृष्ण से कहा, "तुमने धोखे से अद्दार सिंह को मार डाला है।"
अजब सिंह को धोखा दिया गया है और बर्बाद किया गया है।
तूने ही बेईमानी से अजायब सिंह को भी मारा है और यह रहस्य मैं अच्छी तरह जानता हूं।
दोहरा
अघरसिंह ने कृष्ण के सामने बड़ी निर्भीकता से बात की
जो कुछ वचन उन्होंने कृष्ण से कहे थे, कवि अब उन्हें कहता है।1206।
स्वय्या
वे युद्ध भूमि में बिना किसी लज्जा के कृष्ण से बोले, "आप व्यर्थ ही हम पर क्रोध कर रहे हैं।"
इस युद्ध से तुम्हें क्या मिलेगा? तुम अभी भी एक बालक हो,
इसलिये तुम मुझसे लड़कर भाग मत जाना।
यदि तुम लड़ते रहोगे तो अपने घर का रास्ता नहीं पा सकोगे और मारे जाओगे।1207.
दोहरा
जब वह इस प्रकार गर्व से बोला, तो कृष्ण ने अपना धनुष खींच लिया और बाण उसके चेहरे पर जा लगा।
बाण लगने से वह मरकर पृथ्वी पर गिर पड़ा।1208.
तब अर्जुनसिंह ने निर्भीकतापूर्वक कृष्ण से यह बात कही।
तब हठी अर्जुन सिंह ने कृष्ण से कहा, "मैं एक शक्तिशाली योद्धा हूँ और तुम्हें तुरंत मार गिराऊँगा।"1209.
उसके वचन सुनकर श्रीकृष्ण ने अपनी तलवार पकड़ ली और दौड़कर शत्रु के सिर पर प्रहार कर दिया।
यह सुनकर श्रीकृष्ण ने अपने खड्ग से उसके सिर पर प्रहार किया और वह तूफान में पड़े वृक्ष की भाँति नीचे गिर पड़ा।।1210।।
स्वय्या
जब अर्जुन सिंह की तलवार से हत्या हुई, तो राजा अमर सिंह भी मारे गये।
अर्जुन सिंह और अमरेश सिंह नामक राजा को खंजर से मार डाला, तब कृष्ण ने अपने हथियार संभाल लिए, अतलेश पर क्रोधित हो गए
वह भी कृष्ण के सामने आकर 'मारो, मारो' कहने लगा।
उनके स्वर्ण-आभूषणों से विभूषित अंगों की शोभा के सामने सूर्य भी फीका प्रतीत होता था।1211.
उसने एक पबार (लगभग तीन घंटे) तक भयंकर युद्ध किया, लेकिन उसे मारा नहीं जा सका
तब भगवान श्री कृष्ण ने मेघ के समान गरजते हुए शत्रुओं पर तलवार से प्रहार किया।
और जब कृष्ण ने उसका सिर काटा तो वह मरकर धरती पर गिर पड़ा
यह देखकर देवताओं ने जयजयकार करके कहा, "हे कृष्ण! आपने पृथ्वी का बहुत बड़ा भार हल्का कर दिया है।"
दोहरा
जब अनेक वीरों के राजा अटल सिंह की हत्या हुई,
जब अनेक योद्धाओं का सरदार अटल सिंह मारा गया, तब अमित सिंह ने युद्ध के लिए प्रयास आरम्भ किये।1213.
स्वय्या
उसने कृष्ण से कहा, "यदि तुम मुझसे युद्ध करोगे तो मैं तुम्हें महान योद्धा मानूंगा।"
क्या तुम भी इन राजाओं की तरह छल करके मुझे धोखा दोगे?
मुझे महान क्रोध में भरा हुआ देखकर तुम युद्ध भूमि में खड़े होकर यहाँ से लौट नहीं जाओगे।
मुझे अत्यन्त कुपित देखकर तुम अवश्य ही युद्धभूमि से भाग जाओगे और यदि कभी मुझसे युद्ध करोगे तो अवश्य ही अपना शरीर त्याग दोगे।।1214।।
हे कृष्ण! तुम युद्ध भूमि में क्रोधवश दूसरों के लिए क्यों लड़ते हो?
हे कृष्ण! तुम क्रोध में आकर युद्ध क्यों कर रहे हो? तुम्हारे शरीर पर घाव क्यों हो रहे हैं? किसके कहने पर तुम राजाओं का वध कर रहे हो?
���तुम तभी जीवित रहोगे जब मुझसे युद्ध नहीं करोगे
मैं तुम्हें सुन्दर समझकर तुम्हारी निन्दा करता हूँ, अतः तुम युद्ध-स्थल छोड़कर अपने घर जाओ।।1215।।
तब युद्ध क्षेत्र में बलवान अमित सिंह ने क्रोधपूर्वक कहा,
अमित सिंह फिर युद्ध भूमि में बोला, "अभी भी तुम्हारा क्रोध बहुत कम है और अगर तुम मुझे लड़ते हुए देखोगे तो इसका कोई मूल्य नहीं रहेगा।"
हे कृष्ण! मैं तुमसे सत्य कह रहा हूँ, किन्तु तुम मन में कुछ और ही सोच रहे हो।
अब या तो तुम निर्भय होकर मुझसे युद्ध करो या अपने सारे हथियार फेंक दो।1216.
मैं आज युद्ध के मैदान में तुम्हें और तुम्हारी सारी सेना को मार डालूंगा।
यदि तुममें से कोई वीर योद्धा हो, युद्धकला जानता हो, तो वह मेरे साथ युद्ध करने के लिए आगे आए।