पहले 'इम्भियारि ध्वनि' (हाथी के शत्रु सिंह की ध्वनि वाली सेना) बोलें और फिर 'रिपु अरि' शब्द बोलें।
‘लिम्भरिधननि’ शब्द बोलकर फिर ‘रिपु अरि’ जोड़ने से तुपक नाम बनते हैं।।५९८।।
पहले 'कुंभीरी नादनी' (हाथी के विरुद्ध सिंह की आवाज वाली सेना) बोलें (फिर) 'रिपु खीप' शब्द जोड़ें।
‘कुम्भी-अरी-नादिनि’ शब्दों को पहले बोलकर फिर ‘रिपु-क्षै’ शब्द जोड़ने से तुपक नाम बनते हैं।।५९९।।
पहले 'कुंजर्यारि' (हाथी का शत्रु सिंह) बोलें और फिर अंत में 'रिपु' बोलें।
पहले ‘कुंजर-अरि’ शब्द बोलकर फिर ‘रिपु अरि’ कहने से तुपक नाम बनते हैं।६००।
(पहले) 'पत्रिरि अरि ध्वनि' (सिंह की सेना, पत्ते फाड़ने वाले हाथी की शत्रु) का जाप करें और फिर 'रिपु' शब्द जोड़ें।
'पत्रारिधननि' का उच्चारण करके फिर 'रिपु' जोड़ने से तुपक नाम बनते हैं।601.
(पहले) कहो 'तरु रिपु अरि ध्वनि' (वृक्षों, हाथियों, सिंहों की गूंजती सेना) और फिर 'रिपु' शब्द जोड़ दो।
हे बुद्धिमान् पुरुषों! ‘तरुरिपुअरिधननि’ शब्द कहकर और फिर ‘रिपु’ जोड़कर, तुपक के नामों को पहचानो।
(पहले) 'सुद्यन्तक ध्वनि' (हाथी को मारती हुई सिंह की आवाज वाली सेना) बोलें और फिर 'रिपु अरि' शब्द का उच्चारण करें।
'सौदियन्तक-धननि' शब्दों का उच्चारण करके फिर 'रिपु अरि' कहने से तुपक नाम बनते हैं।603।
पहले 'हय्न्यारि' (घोड़ा शत्रु सिंह) शब्द बोलें और अंत में 'रिपु अरि' शब्द जोड़ें।
प्रारम्भ में ‘हयानि-अरि’ कहकर और अन्त में ‘रिपु अरि’ जोड़कर तुपक नाम बनते हैं, जिन्हें हे श्रेष्ठ कवियों, तुम समझ सकते हो।
पहले 'ह्यणियारि ध्वनि' (अश्व-शत्रु सिंह-वाणी वाली सेना) कहकर, फिर 'रिपु' शब्द बोलें।
प्रारम्भ में ‘हयानि-अरि-धनानि’ शब्द बोलकर फिर ‘रिपु अरि’ शब्द जोड़ने से तुपक नाम बनते हैं, जिन्हें हे बुद्धिमान् पुरुषों! तुम पहचान सकते हो।।६०५।।
(पहले) 'ह्यन्यन्तक ध्वनानि' (अश्वनाशी सिंहवाणी वाली सेना) कहो, फिर 'रिपु' शब्द बोलो।
'हयानि-यन्तक-धननि' शब्दों का उच्चारण करने और 'रिपु अरि' जोड़ने से 'तुपक' नाम बने।606.
पहले 'असुअरि ध्वनि' (घोड़े शत्रु सिंह स्वर सेना) कहें, फिर 'रिपु अरि' शब्द जोड़ें।
पहले ‘अशुअरि-धननि’ कहकर फिर ‘रिपु अरि’ जोड़ने से तुपक नाम बनते हैं।६०७।
पहले 'तुरयारि नादनि' (घोड़े की शत्रु सिंह की गरजती हुई सेना) कहकर, (तत्पश्चात) अन्त में 'रिपु अरि' शब्द बोलें।
पहले ‘तुर्-अरि-नादिनि’ कहकर अन्त में ‘रिपु अरि’ जोड़ने से तुपक नाम बनते हैं।६०८।
पहले 'तुरंगारी ध्वनि' (घोड़े शत्रु सिंह स्वर सेना) बोलें, फिर 'रिपु' शब्द जोड़ें।
प्रारम्भ में ‘तुरंगरिधननि’ कहकर फिर ‘रिपु’ जोड़कर तुपक नाम बनते हैं, जिन्हें हे कुशल पुरुषों! तुम समझ सकते हो।
पहले 'घोरन्तकणि' (घोड़े को मारने वाली सिंहनी) बोलें और अंत में 'रिपु' शब्द जोड़ें।
प्रारम्भ में ‘घोर्नटकणि’ शब्द बोलकर अन्त में ‘रिपु’ लगाने से तुपक नाम शुद्ध बनते हैं।६१०.
पहले 'बजंतकनि' (घोड़े को समाप्त करने वाला) कहकर, (फिर) अंत में 'रिपु अरि' शब्द जोड़ें।
पहले ‘बाजन्तकानि’ कहकर और फिर अन्त में ‘रिपु अरि’ कहकर तुपक नाम बनते हैं, जिन्हें हे बुद्धिमान् पुरुषों! तुम समझो।
पहले 'बहनन्तकी' (वाहनों का नाश करने वाली) कहकर फिर 'रिपु नादनी' का पाठ करें।
‘बहनन्तकी’ कहकर फिर ‘रिपु-नादिनी’ कहने से तुपक नाम बनते हैं।६१२.
पहले 'सूरज्जा अरि ध्वनि' (घोड़े की हिनहिनाहट की ध्वनि) बोलें और फिर 'रिपु' शब्द का उच्चारण करें।
हे बुद्धिमान् पुरुषों! ‘सर्जाङ्ङानि’ शब्द कहकर फिर ‘रिपु’ शब्द जोड़कर तुपक नाम बनते हैं।।६१३।।
पहले बोलें 'बाज अरि ध्वनि' (घोड़े के दुश्मन शेर की आवाज) और फिर अंत में 'अंतक' शब्द जोड़ें।
पहले ‘बाजी-अरी-धननि’ कहकर फिर ‘अन्त्यन्तक’ जोड़कर तुपक नाम बनते हैं, जिन्हें हे कुशल व्यक्तियों! तुम समझ सकते हो।
पहले 'सिंधुरि' (हाथी का शत्रु सिंह) शब्द बोलकर अंत में 'रिपु' का उच्चारण करें।
प्रारम्भ में ‘सिन्दुअरी’ शब्द बोलकर अन्त में ‘रिपु’ शब्द बोलने से तुपक नाम बनते हैं।६१५।
पहले 'बहनी नदीनी' बोलें, फिर 'रिपु' शब्द बोलें।
प्रारम्भ में ‘वाहिनी-नादिन’ शब्द बोलकर अन्त में ‘रिपु’ शब्द लगाने से तुपक नामों का ठीक-ठीक अर्थ हो जाता है।616.
पहले 'तुरंगारी' (घोड़ा-शत्रु सिंह) बोलें और फिर 'ध्वनि' शब्द का उच्चारण करें।
प्रारम्भ में ‘तुरंगारी’ कहकर फिर ‘धननि-अरि’ जोड़ने से तुपक नाम बनते हैं।६१७.
पहले 'अरबयरी' (अरबी घोड़े का दुश्मन शेर) शब्द बोलें और फिर 'रिपु अरी' का उच्चारण करें।
पहले 'अरब-अरी' कहकर फिर 'रिपु अरी' जोड़ने से तुपक के नाम समझ में आते हैं।६१८.
पहले 'तुरंगरि ध्वनि' बोलें, फिर 'रिपु अरि' शब्द जोड़ें।
पहले ‘तुरंगरि-धननि’ कहकर फिर ‘रिपु अरि’ कहने से तुपक नाम की पहचान होती है।६१९।
(पहले) 'किंकण अरि ध्वनि' (घोड़े की गर्जना के साथ) का जप करें और फिर 'रिपु' शब्द का जप करें।
“किंकण-अरि-धननि” कहकर अन्त में “रिपु अरि” जोड़ने से तुपक नाम बनते हैं।।६२०।।
पहले 'घुरारि नदनि' (घोड़े के हिनहिनाने की ध्वनि) बोलें और फिर अंत में 'रिपु अरि' शब्द बोलें।
प्रारम्भ में ‘घरि-अरि-नादानी’ कहकर अन्त में ‘रिपु अरि’ जोड़ने से तुपक नाम बनते हैं।621.