जिस प्रकार मोर और बरसाती पक्षी का प्रेम बादलों की गड़गड़ाहट तक ही सीमित रहता है और यह प्रेम केवल वर्षा तक ही दिखाई देता है। (उनका प्रेम स्थायी नहीं होता।)
जिस प्रकार सूर्यास्त के समय कमल का फूल बंद हो जाता है, लेकिन जल में रहता है और भौंरा अन्य फूलों पर मंडराता रहता है। लेकिन सूर्योदय के समय जब कमल का फूल खिलता है, तो उसका कमल के फूल के प्रति प्रेम पुनः जाग उठता है। उसका प्रेम स्थायी प्रकृति का नहीं होता।
मेंढक का पानी के प्रति प्रेम बहुत अपमानजनक है। वह सांस लेने के लिए पानी से बाहर आता है। पानी से बाहर, वह मरता नहीं है। इस तरह वह पानी के प्रति अपने प्रेम को शर्मसार करता है।
इसी प्रकार दिखावटी प्रेम करने वाला धोखेबाज सिख अन्य देवी-देवताओं का अनुयायी होता है, जबकि सच्चे और आज्ञाकारी सिख का अपने सच्चे गुरु के प्रति प्रेम मछली और पानी के समान होता है। (वह सच्चे गुरु के अलावा किसी और के प्रति प्रेम नहीं रखता) (442)