कबित सव्ये भाई गुरदास जी

पृष्ठ - 375


ਜੈਸੇ ਮਛ ਕਛ ਬਗ ਹੰਸ ਮੁਕਤਾ ਪਾਖਾਨ ਅੰਮ੍ਰਿਤ ਬਿਖੈ ਪ੍ਰਗਾਸ ਉਦਧਿ ਸੈ ਜਾਨੀਐ ।
जैसे मछ कछ बग हंस मुकता पाखान अंम्रित बिखै प्रगास उदधि सै जानीऐ ।

चूंकि समुद्र पर निर्भर जीव जैसे मछली, कछुआ, बगुला, हंस, मोती, कीमती पत्थर और अमृत आदि का संबंध जल (जैसे समुद्र आदि) से माना जाता है।

ਜੈਸੇ ਤਾਰੋ ਤਾਰੀ ਤਉ ਆਰਸੀ ਸਨਾਹ ਸਸਤ੍ਰ ਲੋਹ ਏਕ ਸੇ ਅਨੇਕ ਰਚਨਾ ਬਖਾਨੀਐ ।
जैसे तारो तारी तउ आरसी सनाह ससत्र लोह एक से अनेक रचना बखानीऐ ।

जिस प्रकार ताला, चाबी, तलवार, कवच तथा अन्य हथियार एक ही लोहे से बनते हैं, उसी प्रकार लोहा भी एक ही लोहे से बनता है।

ਭਾਂਜਨ ਬਿਬਿਧਿ ਜੈਸੇ ਹੋਤ ਏਕ ਮਿਰਤਕਾ ਸੈ ਖੀਰ ਨੀਰ ਬਿੰਜਨਾਦਿ ਅਉਖਦ ਸਮਾਨੀਐ ।
भांजन बिबिधि जैसे होत एक मिरतका सै खीर नीर बिंजनादि अउखद समानीऐ ।

जैसे मिट्टी से अनेक प्रकार के बर्तन बनाये जाते हैं जिनमें दूध, जल, खाद्य पदार्थ और औषधियाँ रखी जाती हैं;

ਤੈਸੇ ਦਰਸਨ ਬਹੁ ਬਰਨ ਆਸ੍ਰਮ ਧ੍ਰਮ ਸਕਲ ਗ੍ਰਿਹਸਤੁ ਕੀ ਸਾਖਾ ਉਨਮਾਨੀਐ ।੩੭੫।
तैसे दरसन बहु बरन आस्रम ध्रम सकल ग्रिहसतु की साखा उनमानीऐ ।३७५।

इसी प्रकार अनेक प्रकार के दार्शनिक ग्रन्थ, चार वर्ण व्यवस्था, चार जीवन धाम तथा धर्म गृहस्थ जीवन की शाखाएँ कहलाते हैं। (ये सब गृहस्थ जीवन के कारण ही हैं।) (375)