कबित सव्ये भाई गुरदास जी

पृष्ठ - 544


ਬਾਹਰ ਕੀ ਅਗਨਿ ਬੂਝਤ ਜਲ ਸਰਤਾ ਕੈ ਨਾਉ ਮੈ ਜਉ ਅਗਨਿ ਲਾਗੈ ਕੈਸੇ ਕੈ ਬੁਝਾਈਐ ।
बाहर की अगनि बूझत जल सरता कै नाउ मै जउ अगनि लागै कैसे कै बुझाईऐ ।

नदी के बाहर जलती हुई आग को नदी के पानी से बुझाया जा सकता है, लेकिन नदी में नाव में आग लग जाए तो उसे कैसे बुझाया जा सकता है?

ਬਾਹਰ ਸੈ ਭਾਗਿ ਓਟ ਲੀਜੀਅਤ ਕੋਟ ਗੜ ਗੜ ਮੈ ਜਉ ਲੂਟਿ ਲੀਜੈ ਕਹੋ ਕਤ ਜਾਈਐ ।
बाहर सै भागि ओट लीजीअत कोट गड़ गड़ मै जउ लूटि लीजै कहो कत जाईऐ ।

खुले में डाकू के हमले से बचने के लिए तो कोई भागकर किसी किले या अन्य स्थान पर शरण ले सकता है, लेकिन जब कोई किले में लूटपाट करे, तब क्या किया जा सकता है?

ਚੋਰਨ ਕੈ ਤ੍ਰਾਸ ਜਾਇ ਸਰਨਿ ਗਹੈ ਨਰਿੰਦ ਮਾਰੈ ਮਹੀਪਤਿ ਜੀਉ ਕੈਸੇ ਕੈ ਬਚਾਈਐ ।
चोरन कै त्रास जाइ सरनि गहै नरिंद मारै महीपति जीउ कैसे कै बचाईऐ ।

यदि चोरों के भय से कोई शासक की शरण ले और शासक दण्ड देने लगे तो क्या किया जा सकता है ?

ਮਾਇਆ ਡਰ ਡਰਪਤ ਹਾਰ ਗੁਰਦੁਅਰੈ ਜਾਵੈ ਤਹਾ ਜਉ ਮਾਇਆ ਬਿਆਪੈ ਕਹਾ ਠਹਰਾਈਐ ।੫੪੪।
माइआ डर डरपत हार गुरदुअरै जावै तहा जउ माइआ बिआपै कहा ठहराईऐ ।५४४।

सांसारिक विवशताओं के जाल से डरकर यदि कोई गुरु के द्वार पर जाए और वहाँ भी माया उस पर हावी हो जाए तो फिर कोई छुटकारा नहीं है। (५४४)