जैसे शराब दिन-रात बोतल में रहती है, लेकिन बोतल/बर्तन को अपनी विशेषताओं का पता नहीं चलता।
जैसे किसी पार्टी में प्यालों में शराब बांटी जाती है, परंतु वह प्याला उसका (शराब का) रहस्य नहीं जानता और न ही उसके बारे में सोचता है।
जैसे एक शराब व्यापारी दिन भर शराब बेचता रहता है, परन्तु धन के लालच में उसे उसके नशे का महत्व पता नहीं होता।
इसी प्रकार बहुत से लोग गुरु शब्द और गुरबाणी लिखते हैं, गाते हैं और पढ़ते हैं, परन्तु उनमें से कोई विरला ही होता है जो उससे दिव्य अमृत प्राप्त करने की प्रेमपूर्ण इच्छा रखता हो। (530)