जिस प्रकार स्वर चिह्न से रहित शब्द का उच्चारण अलग होगा, उसी प्रकार 'पिता' और 'पुट' शब्द एक जैसे पढ़े जाएंगे।
जिस प्रकार एक व्यक्ति को विक्षिप्त तब कहा जाता है जब वह अपने पूरे होश में नहीं होता, वह जो कहा जा रहा है उससे अलग समझता है।
जिस प्रकार गूंगा व्यक्ति किसी भी सभा में अपनी बात नहीं कह सकता, यदि वह एक शब्द भी बोलने की कोशिश करे तो सभी के लिए हंसी का पात्र बन जाता है,
कोई भी स्वार्थी या स्वेच्छाचारी व्यक्ति गुरुचेतन व्यक्तियों के मार्ग पर नहीं चल सकता। जब कोई शुभ या अशुभ शकुनों से बंधा हुआ हो, तो वह गुरुचेतन व्यक्तियों के मार्ग पर चलने के लिए कैसे प्रेरित हो सकता है? (264)