तिल का बीज बोया जाता है जो धरती में मिलकर पौधा बन जाता है। एक बीज से अनेक बीज निकलते हैं और वे संसार में अनेक रूपों में फैलते हैं।
कुछ लोग इन्हें (तिल) खाते हैं, कुछ लोग चीनी की गोलियों में इन्हें लपेटते हैं (रेवाड़ी) जबकि अन्य लोग इन्हें गुड़ की चाशनी में मिलाकर केक/बिस्किट जैसे खाद्य पदार्थ बनाते हैं।
कुछ लोग इन्हें पीसकर दूध के पेस्ट के साथ मिलाकर मिठाई बनाते हैं, कुछ लोग इन्हें निचोड़कर तेल निकालते हैं और इसका उपयोग दीपक जलाने तथा अपने घरों को रोशन करने के लिए करते हैं।
जब सृष्टिकर्ता के एक तिल के बराबर भी अनेकता का वर्णन नहीं किया जा सकता, तो अज्ञेय, निराकार परमेश्वर को कैसे जाना जा सकता है? (२७३)