कबित सव्ये भाई गुरदास जी

पृष्ठ - 505


ਜੈਸੇ ਤਉ ਅਰੋਗ ਭੋਗ ਭੋਗਵੈ ਨਾਨਾ ਪ੍ਰਕਾਰ ਬ੍ਰਿਥਾਵੰਤ ਖਾਨਿ ਪਾਨ ਰਿਦੈ ਨ ਹਿਤਾਵਈ ।
जैसे तउ अरोग भोग भोगवै नाना प्रकार ब्रिथावंत खानि पान रिदै न हितावई ।

जिस प्रकार एक स्वस्थ व्यक्ति अनेक प्रकार के व्यंजन और खाद्य पदार्थ खाता है, परन्तु एक बीमार व्यक्ति इनमें से कुछ भी खाना पसंद नहीं करता।

ਜੈਸੇ ਮਹਖੀ ਸਹਨਸੀਲ ਕੈ ਧੀਰਜੁ ਧੁਜਾ ਅਜਿਆ ਮੈ ਤਨਕ ਕਲੇਜੋ ਨ ਸਮਾਵਈ ।
जैसे महखी सहनसील कै धीरजु धुजा अजिआ मै तनक कलेजो न समावई ।

जिस प्रकार भैंस अपनी सहनशीलता के कारण बहुत धैर्यवान मानी जाती है, वहीं दूसरी ओर बकरी में उस धैर्य का एक अंश भी नहीं होता।

ਜੈਸੇ ਜਉਹਰੀ ਬਿਸਾਹੈ ਵੇਚੇ ਹੀਰਾ ਮਾਨਕਾਦਿ ਰੰਕ ਪੈ ਨ ਰਾਖਿਓ ਪਰੈ ਜੋਗ ਨ ਜੁਗਾਵਈ ।
जैसे जउहरी बिसाहै वेचे हीरा मानकादि रंक पै न राखिओ परै जोग न जुगावई ।

जैसे एक जौहरी हीरे और कीमती पत्थरों का व्यापार करता है, लेकिन कोई भी मूल्यवान हीरा किसी गरीब के पास नहीं रखा जा सकता, क्योंकि उसके पास इतनी महंगी वस्तु रखने की क्षमता नहीं होती।

ਤੈਸੇ ਗੁਰ ਪਰਚੈ ਪਵਿਤ੍ਰ ਹੈ ਪੂਜਾ ਪ੍ਰਸਾਦਿ ਪਰਚ ਅਪਰਚੇ ਦੁਸਹਿ ਦੁਖ ਪਾਵਈ ।੫੦੫।
तैसे गुर परचै पवित्र है पूजा प्रसादि परच अपरचे दुसहि दुख पावई ।५०५।

इसी प्रकार जो भक्त भगवान की सेवा और स्मरण में लगा रहता है, उसे भगवान के लिए अर्पित नैवेद्य और प्रसाद खाने का अधिकार है, किन्तु जो गुरु की आज्ञा का पालन करने से विमुख है, उसे पूजा का प्रसाद नहीं मिल सकता।