आज मेरा जन्म सफल और फलदायी हो गया। यह शुभ दिन, रात्रि, घड़ी, क्षण जिसने मुझे मेरे प्रभु से मिलन के क्षण प्रदान किये हैं, वे वंदनीय और वंदनीय हैं।
आज मेरे नाम सिमरन के सभी श्रृंगार सफल हो रहे हैं, क्योंकि अब मैं हृदय रूपी बिस्तर पर अपने प्रभु के साथ मिलन का आध्यात्मिक आनंद लेने जा रहा हूँ। मेरा हृदय रूपी आँगन और मंदिर रूपी शरीर भी सुशोभित हो रहा है।
मेरे हृदय के बिस्तर पर मेरे प्रभु के साथ मिलन के परिणामस्वरूप मेरी स्थिर आध्यात्मिक स्थिति में सुख और आनंद के सागर उछल रहे हैं। यह दिव्य प्रकाश से जगमगा रहा है। इसने मुझे प्रशंसा और महिमा, भव्यता और वैभव तथा एक सुंदर छवि से आशीर्वाद दिया है।
जिस भगवान् का नाम धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को ध्येयहीन कर देता है; उस नाम के ध्यान से मेरे प्रियतम भगवान् मेरे प्रेम के रंग में मोहित हो गए हैं और अब वे मेरे हृदयरूपी शय्या पर आकर विराजमान हो गए हैं। (६५२)