कबित सव्ये भाई गुरदास जी

पृष्ठ - 591


ਜੈਸੇ ਪੋਸਤੀ ਸੁਨਤ ਕਹਤ ਪੋਸਤ ਬੁਰੋ ਤਾਂ ਕੇ ਬਸਿ ਭਯੋ ਛਾਡ੍ਯੋ ਚਾਹੈ ਪੈ ਨ ਛੂਟਈ ।
जैसे पोसती सुनत कहत पोसत बुरो तां के बसि भयो छाड्यो चाहै पै न छूटई ।

जिस प्रकार अफीम के छिलके का आदी व्यक्ति इस लत को बुरा कहता है, लेकिन इसके जाल में फंसकर वह इसे छोड़ना भी चाहे तो नहीं छोड़ पाता।

ਜੈਸੇ ਜੂਆ ਖੇਲ ਬਿਤ ਹਾਰ ਬਿਲਖੈ ਜੁਆਰੀ ਤਊ ਪਰ ਜੁਆਰਨ ਕੀ ਸੰਗਤ ਨ ਟੂਟਈ ।
जैसे जूआ खेल बित हार बिलखै जुआरी तऊ पर जुआरन की संगत न टूटई ।

जैसे एक जुआरी अपना सारा धन हार जाता है और रोता है, तब भी वह अन्य जुआरियों का साथ नहीं छोड़ सकता।

ਜੈਸੇ ਚੋਰ ਚੋਰੀ ਜਾਤ ਹ੍ਰਿਦੈ ਸਹਕਤ ਪੁਨ ਤਜਤ ਨ ਚੋਰੀ ਜੌ ਲੌ ਸੀਸ ਹੀ ਨ ਫੂਟਈ ।
जैसे चोर चोरी जात ह्रिदै सहकत पुन तजत न चोरी जौ लौ सीस ही न फूटई ।

जिस प्रकार एक चोर चोरी करने के लिए निकलते समय पकड़े जाने से डरता है, फिर भी वह तब तक चोरी करना नहीं छोड़ता जब तक कि वह मुसीबत में न पड़ जाए (पकड़ा न जाए, कैद न हो जाए या फांसी न हो जाए)।

ਤੈਸੇ ਸਭ ਕਹਤ ਸੁਨਤ ਮਾਯਾ ਦੁਖਦਾਈ ਕਾਹੂ ਪੈ ਨ ਜੀਤੀ ਪਰੈ ਮਾਯਾ ਜਗ ਲੂਟਈ ।੫੯੧।
तैसे सभ कहत सुनत माया दुखदाई काहू पै न जीती परै माया जग लूटई ।५९१।

जैसे सभी मनुष्य माया को कष्टदायक आवश्यकता बताते हैं, फिर भी उसे कोई जीत नहीं सकता। इसके विपरीत, वह समस्त संसार को लूट रही है। (लोगों को अपने जाल में फंसाकर उन्हें भगवान के पवित्र चरणों से दूर कर रही है।) (591)