कबित सव्ये भाई गुरदास जी

पृष्ठ - 602


ਕੌਨ ਗੁਨ ਗਾਇ ਕੈ ਰੀਝਾਈਐ ਗੁਨ ਨਿਧਾਨ ਕਵਨ ਮੋਹਨ ਜਗ ਮੋਹਨ ਬਿਮੋਹੀਐ ।
कौन गुन गाइ कै रीझाईऐ गुन निधान कवन मोहन जग मोहन बिमोहीऐ ।

हम पुण्य के भण्डार के कौन-से गुण गाकर उन्हें प्रसन्न कर सकते हैं? हम कौन-से सुखद कार्यों से संसार के मोहिनी को मोहित कर सकते हैं?

ਕੌਨ ਸੁਖ ਦੈ ਕੈ ਸੁਖਸਾਗਰ ਸਰਣ ਗਹੌਂ ਭੂਖਨ ਕਵਨ ਚਿੰਤਾਮਣਿ ਮਨ ਮੋਹੀਐ ।
कौन सुख दै कै सुखसागर सरण गहौं भूखन कवन चिंतामणि मन मोहीऐ ।

सुख-साधनों के उस सागर को क्या सुख दिया जा सकता है जो हमें उसकी शरण प्रदान कर सके? हम किन अलंकरणों से उस प्रभु के मन को मोहित कर सकते हैं जो सभी इच्छाओं को पूर्ण करता है?

ਕੋਟਿ ਬ੍ਰਹਮਾਂਡ ਕੇ ਨਾਯਕ ਕੀ ਨਾਯਕਾ ਹ੍ਵੈ ਕੈਸੇ ਅੰਤ੍ਰਜਾਮੀ ਕੌਨ ਉਕਤ ਕੈ ਬੋਹੀਐ ।
कोटि ब्रहमांड के नायक की नायका ह्वै कैसे अंत्रजामी कौन उकत कै बोहीऐ ।

करोड़ों ब्रह्माण्डों के स्वामी की पत्नी कैसे बन सकती है? अन्तरंग विषयों के ज्ञाता को मन की व्यथा से अवगत कराने के लिए कौन से उपाय और उपाय हैं?

ਤਨੁ ਮਨੁ ਧਨੁ ਹੈ ਸਰਬਸੁ ਬਿਸ੍ਵ ਜਾਂ ਕੈ ਬਸੁ ਕੈਸੇ ਬਸੁ ਆਵੈ ਜਾਂ ਕੀ ਸੋਭਾ ਲਗ ਸੋਹੀਐ ।੬੦੨।
तनु मनु धनु है सरबसु बिस्व जां कै बसु कैसे बसु आवै जां की सोभा लग सोहीऐ ।६०२।

जिस प्रभु के अधीन मन, शरीर, धन और जगत् है, जिसकी स्तुति में संलग्न होने से मनुष्य पूजनीय हो जाता है, ऐसे प्रभु को कैसे अपने वश में किया जा सकता है? (602)